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2025 तक भारत बन जाएगा दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार
भारत के ऑटो बाजार में अभी मंदी का दौर चल रहा है। ऐसी खबरें पिछले कुछ समय से आपको लगतार मिल रही होगी। साथ ही यह भी बताया जा रहा होगा कि भारतीय ऑटो का देश की जीडीपी में 2 प्रतिशत की भागीदारी है।
इसके गिरने से अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। भारत में ऑटो उत्पादों की गिरती बिक्री से सरकार के साथ वाहन निर्माता भी चिंतित है। सरकार और ऑटो कंपनियां के प्रतिनिधि इसके लिए कई तरह की योजनाओं पर भी काम कर रहे है।
ऑटो कंपनियां लगातार अपनी वाहनों की बिक्री में बढ़ोत्तरी के लिए कई आकर्षक ऑफर की पेशकश कर रही है। साथ ही गिरती बिक्री के नुकसान को कम करने के लिए उत्पादन भी कम कर दिया है।
वहीं इन सबसे अलग एक रिपोर्ट में यह दावा किया जा रहा है कि भारत आने वाले भविष्य में दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो बाजार के रूप में सामने आएगा। इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारत 7.4 मिलियन वाहनों के साथ दुनिया का तीरा सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जब प्रति व्यक्ति आय $ 10,000-20,000 के दायरे में आ जाती है, तो अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं में कार का स्वामित्व गति पकड़ना शुरू कर देता है। 2025 तक कई विकासशील देश पहली बार उस स्तर तक पहुंच जाएंगे।
इससे कम कीमत और कम परिचालन लागत वाली छोटी कारों की बड़ी मांग पैदा होगी। भारत ऐसी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन जाएगा। दूसरी ओर चीन, जिसने पहले ही कार स्वामित्व में उछाल देखा है, कार के बंटवारे के साथ मौजूदा मंदी के बावजूद अधिक लोकप्रिय होने की उम्मीद है।
जैसा कि रिपोर्ट में दावा किया गया है, 1995 में, विकसित देशों के 35 मिलियन की तुलना में उभरते बाजारों में 14 मिलियन वाहनों का हिसाब था। दूसरी ओर, 2025 में उभरते बाजारों में 78 मिलियन वाहनों के लिए जिम्मेदार होने की उम्मीद है, जबकि विकसित अर्थव्यवस्थाएं 34 मिलियन वाहनों के लिए जिम्मेदार होंगी।
इन जानकारियों के अलावा, यह अध्ययन कनेक्टेड, स्वायत्त और इलेक्ट्रिक कारों जैसे अन्य रुझानों को भी इंगित करता है। जैसा कि दावा है, पूरी तरह से स्वायत्त कारों के साथ सड़कों पर अक्सर परीक्षण किया जा रहा है।
पहली व्यावसायिक रूप से उपलब्ध अर्ध-स्वायत्त कारें अगले 1-2 वर्षों में सड़क पर हो सकती हैं। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी साफ किया गया है कि सॉफ्टवेयर पर नियंत्रण बदलने से नई हैकिंग कमजोरियां और अन्य खतरे हो सकते हैं, जिसे ऑटो कंपनियां अनदेखा नहीं कर सकती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी कारें जो ड्राइवरों को आपात स्थिति के दौरान हस्तक्षेप करने की अनुमति देंगी, निकट भविष्य में अधिक संभावना परिदृश्य है।
वहीं इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की बढ़ती मांग ऑटोमोबाइल उद्योग में अधिक नवाचार और विभिन्न प्रकार के खिलाड़ी जैसे सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी प्रदाता लाएगी। यह भी कहता है कि नए ऑपरेटर आने वाले दिनों में पारंपरिक ऑटोमोबाइल उद्योग को बाधित करेंगे।