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सरकार करोड़ों रुपयें में बेच रही है आपके वाहन और ड्राइविंग लाइसेंस की निजी जानकारी
सरकार द्वारा हाल ही में आर्थिक सर्वे कराया गया था। जिसमें यह बात सामने आई है कि डाटा वाहन और ड्राइविंग लाइसेंस डाटा की बिक्री कर भी राजस्व इकठ्ठा किया जा सकता है। सरकार ने ऐसा करना शुरू भी कर दिया है।
भारत में डाटा सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कानून नहीं है। इसलिए यहां किसी भी व्यक्ति की जानाकारी का आसानी से गलत इस्तेमाल कर लिया जाता है। अक्सर देखा जाता है कि इंटरनेट और निजी कंपनियों द्वारा गलत तरीके से आपकी निजी जानकारी को लीक कर दिया जाता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 अंतर्गतकिसी भी व्यक्ति की प्राइवेसी उसका मूल अधिकार है। इस पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी कई बार निर्देश दिए गए है। भारत में डाटा प्रोटेकश्न को लेकर ठोस कानून और जागरूकता की कमी है। इस वजह से जनता के इस मूल अधिकार का मजाक बन हुआ है। वर्तमान में ऐसे कई ऐप और वेबसाइट मौजूद है, जो धोखे से आपकी निजी जानकारी चुरा कर उसका गलत इस्तेमाल करते है।
वहीं राज्यसभा में कुछ सवालों के जवाब देते हुए सड़क परिवहन और राज्यमार्ग मंत्रालय के मंत्री नीतिन गडकरी ने यह खुलासा किया है कि सरकार वाहन पंजीकरण और ड्राइविंग लाइसेंस डाटा की बिक्री कर पैसे कमा रही है।
हालांकि वाहन पंजीकरण और ड्राइविंग लाइसेंस की बिक्री करने से निजी जानकारियां सार्वजनिक होना और भी कई तरह की समस्या उत्पन्न हो सकती है। लेकिन सरकार के जवाब में इससे संबधित कुछ भी नहीं बताया गया है कि इन समस्याओं से वो कैसे निपटेगी।
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राज्यसभा में कांग्रेस के सांसद हुसैन दलवाई ने भी सरकार से इससे संबधित सवाल पूछा है कि" अगर सरकार वाहन और सारथी के डाटाबेस को बल्क में बिक्री कर रही रही है, तो इससे होने वाला राजस्व कितना है।"
इस सवाल के जवाब में सरकार ने 8 जुलाई को बताया कि 87 प्राइवेट और 32 सरकारी एंजेसियों को वाहन और सारथी के डाटाबेस की जानकारी साझा किया गया है। इससे सरकार को कुल 65 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है।
आपको बता दें कि वाहन और सारथी सड़क परिवहन और राज्यमार्ग मंत्रालय के वाहन पंजीकरण और ड्राइविंग लाइसेंस से संबधित दस्तावेज का ध्यान रखती है। यह राष्ट्रिय परिवहन विभाग के अंतर्गत कार्य करती है,जो सभी जानकारियों को नेश्नल इंफोरमेटिक सेंटर के साथ मिलकर व्यवस्थित रखती है। इस संस्था के पास लगभग 25 करोड़ से वाहन पंजीकरण दस्तावेज और 15 करोड़ ड्राइविंग लाइसेंस के रिकॉर्ड उपलब्ध है।
सड़क परिवहन और राज्यमार्ग मंत्रालय ने डाटा शेयरिंग के लिए बल्क डाटा शेयरिंग नीति और प्रक्रिया का निर्माण किया है। इसके तहत वाहन पंजकीरण से जुड़ी कुछ सामान्य जानकारियां ही साझा की जाएंगी। वहीं राज्यसभा में नीतिन गडकरी ने इस पर और जानकारी देते हुए बताया कि सरकार बल्क डाटा की बिक्री करके वित्त वर्ष 2019-20 में 3 करोड़ रुपयें का राजस्व कर सकती है।
वहीं शैक्षणिक संस्थानों को सिर्फ रिर्सच और आंतरिक इस्तेमाल के लिए डाटा मुहैया कराए जाएंगे। कोई भी शैक्षणिक संस्था वित्त वर्ष 2019-20 में 5 लाख रुपयें की राशि देकर डाटा को प्राप्त कर सकता है। साथ ही नेश्ननल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के द्वारा चोरी हुई वाहनों के दस्तावेजों को भी वाहन और सारथी के डाटाबेस से जोड़ा गया है।
सरकार द्वारा वाहन पंजीकरण और ड्राइविंग लाइसेंस डाटा बिक्री पर ड्राइवस्पार्क के विचार
भारत सरकार निजी जानकारियों की बिक्री कर रही है। इसके आम जनता को कितना फर्क पड़ता है, ये तो समय के साथ ही पता चलेगा। क्योंकि भारत में जहां लोग डाटा की महत्तवता को ही नहीं समझते, उन्हें इसके गलत तरीके से इस्तेमाल का भी नहीं पता चलता है। शिक्षा व्यवस्था देश की इतनी चौपट है कि भारत के ज्यादातर आबादी को संविधान में दिए गए मूल अधिकारों की ही जानकारी नहीं है।
हालांकि सरकार ने फिर आपसे बिना पूछ आपकी निजी जानकारियों की बिक्री विकास के नाम पर करना शुरू कर दिया है। साथ ही यह भी बताना उचित नहीं समझा है कि जिन निजी या सरकारी संस्थाओं को यह जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है, वो इसका इस्तेमाल कैसे करेंगे। जाहिर है भविष्य में आप खुद को ऑटो निर्माताओं, पॉलिटीकल पार्टी या फिर इन्सुरेंस कंपनियों की मार्केटिंग स्ट्रैटजी का हिस्सा बना हुआ पाएंगे।