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वाहन पंजीकरण शुल्क में 400% की बढ़ोत्तरी
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार नई वाहन पंजीकरण योजना को लागू करने जा रही है। इस योजना के तहत सभी वाहनों का पंजीकरण और नवीनीकरण पर आपको 400 प्रतिशत तक का शुल्क देना पड़ सकता है।
इस निर्णय के पीछे भी सरकार की योजना पांरपरिक ईंधनों से चलने वाहनों का उपयोग कम करना है। जिससे गिरते प्रदूषण स्तर को भी कम किया जा सकता है। दरअसल पिछ्ले कुछ हफ्तों से सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई नई रणनीतियों को लागू करने प्रयास कर रही है।
हालांकि मोटर व्हीकल उद्योग से जुड़े कई लोगों ने इन योजनाओं का विरोध किया है। क्योंकि उन्हें लगता है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मोटर उद्योग अभी तैयार नहीं है और इससे उद्योग को नुकसान हो सकता है।
लेकिन वही सरकार भी अपनी.योजनाओं के बारे में बहुत मुखर है। देश के वाहन निर्माताओं को केवल 14 दिनों का समय दिया गया है। साथ ही इस समय सीमा के भीतर ही भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा पर रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया है।
सरकार की योजना के अनुसार, अप्रैल 2023 से देश में बेचे जाने वाले सभी तीन पहिया वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन में बदलने की है। वही 150 सीसी से नीचे के सभी दोपहिया वाहनों को अप्रैल 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहन में तबदील कर दिया जाएगा। 2030 के बाद सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों की ही बिक्री की जाएगी।
अब सरकार की योजना पुराने वाहनों को बढ़ावा नहीं देने की है। इसलिए 15 साल से पुराने वाहनों के नवीनीकरण के लिए शुल्क में बढ़ोत्तरी कर रही है, जिसके तहत यात्री कारों के पंजीकरण शुल्क को 1000 रुपयें से बढ़ाकर 10,000 रुपयें तक किया जा सकता है।
टैक्सियों के नवीनीकरण शुल्क को 1,000 रुपयें से बढ़ाकर लगभग 15,000 रुपयें तक करने की मांग है। वहीं ट्रकों के नवीनीकरण शुल्क को 2,000 रुपयें से 40,000 रुपयें तक बढ़ाया जा सकता है।
मौजूदा मोटर वाहन नियम के तहत किसी भी वाहन का पंजीकरण या नवीनीकरण तब कराना चाहिए, जब वह 15 साल का हो जाए। नई योजना से वाहन पंजीकरण बहुत महंगा हो जाएगा। साथ ही इससे पुराने वाहनों के उपयोग में भी कमी आएगी।
वाहन पंजीकरण में वृद्धि सिर्फ पुराने वाहनों के लिए ही नहीं बल्कि सरकार नए वाहनों के पंजीकरण शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रही है। नए यात्री कारों पर सरकार पंजीकरण शुल्क को बढ़ाकर 1,000 से 5,000 रुपयें कर सकती है। वही ट्रकों के लिए 1,500 से 20,000 रुपयें तक बढ़ाने की योजना है। वहीं नए पंजीकरण नियम इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी लागू किया जाएगा या नहीं इस पर सरकार की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है।
लेकिन सरकार की योजना पुराने वाहनों के लिए पांच वर्ष की बजाए हर 6 महीने पर फिटनेस टेस्ट कराने जरूर है। वही सरकार पुराने वाहनों के रोड टैक्स में वृद्धि करने जा रही है।
अगर परिवहन क्षेत्र में हाल के दिनों खबरों को देखे तो ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार सिर्फ नीति आयोग के सुझाव को लागू करने का काम कर रही है। इससे यह स्पष्ट है कि नीति आयोग सरकार को जो भी सुझाव देगा, उसे सरकार स्वीकार करेगी। अब उस फैसले से मोटर वाहन उद्योग भयानक तरीके से प्रभावित भी हो इस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है।