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कलपुर्जा कारोबार पर भी पड़ा मंदी का असर, एक लाख से अधिक नौकरियां गईं
ऑटोमोबाइल सेक्टर में चल रही मंदी का असर वाहन कलपुर्जा उद्योग और इससे जुड़े रोजगार पर भी पड़ रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही यानि अप्रैल से सितंबर तक की अवधि में वाहन कलपुर्जा कारोबार में 10 फीसदी की गिरावट हुई है।
कलपुर्जा कारोबार अब 1.8 लाख करोड़ से घटकर 1.5 लाख करोड़ रह गया है। वहीं इस उद्योग से जुड़ी 1 लाख से अधिक अस्थायी नौकरियां चली गईं हैं।
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (एक्मा) के अध्यक्ष दीपक जैन ने कहा कि सभी श्रेणी के वाहनों की बिक्री में गिरावट आई है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में सुस्ती के कारण कलपुर्जा उद्योग में प्रतिकूल असर पड़ा है।
कलपुर्जा उद्योग का विकास ऑटोमोबाइल सेक्टर पर निर्भर करता है। पिछले एक वर्ष से कलपुर्जा उद्योग में निवेश भी घटा है जिसके कारण रोजगार सृजन में भी कमी आई है।
उन्होंने यह भी कहा कि वाहनों को बीएस-4 से बीएस-6 में शिफ्ट करने में अतरिक्त लागत और इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति के प्रति सरकार का अस्पष्ट स्वाभाव भी इस सेक्टर के विकाश पर प्रतिकूल असर डाल रहे हैं।
दीपक जैन ने इस समस्या पर सुझाव देते हुए कहा कि यदि कलपुर्जों पर जीएसटी दर को 28 प्रतिशत से घटा कर 18 प्रतिशत कर दिया जाए तो इससे इंडस्ट्री को मंदी से उबरने में मदद मिलेगी।
ऑटोमोबाइल कलपुर्जा उद्योग में 70 प्रतिशत से अधिक छोटे और मध्यम दर्जे के उपक्रम हैं। अगर सरकारी सहायता मिले तो इन्हे मंदी से बहार निकला जा सकता है।
एक्मा ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस वर्ष सभी श्रेणी के ऑटोमोबाइल सेल में 17.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। कलपुर्जा कारोबार से रेवेन्यू 2 लाख करोड़ से घटकर 1.78 लाख रह गई है।
ड्राइवस्पार्क के विचार
भारतीय ग्राहकों में वाहनों की मांग में अप्रत्याशित गिरावट आई है। एक तरफ जहां सरकार वाहन कंपनियों द्वारा अधिक उत्पादन को इसका जिम्मेदार मान रही हैं वहीं दूसरी ओर वाहन कंपनियां सरकारी नीति और जीएसटी को जिम्मेदार ठहरा रहीं हैं। देखना यह है कि वाहन उद्योग इस त्रासदी से कैसे उबार पता है।