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ऑटो उद्योग में जारी है मंदी का दौर, 2 लाख नौकरियां प्रभावित
भारतीय ऑटो उद्योग अपनी मंदी के दौर से गुजड़ रहा है। अगर जुलाई 2019 के आकड़ों पर ही ध्यान दे तो पिछले 19 वर्षों में पैसेंजर कारों की बिक्री सबसे कम हुई है। भारतीय ऑटो बाजार की गिरती बिक्री का यह नौवां महीना था।
कई रिपोर्ट में इस मंदी को सिर्फ ऑटो उद्योग तक ही नहीं बल्कि देश की आर्थिक मंदी भी बतलाया गया है। भारतीय बाजार में लगातार गिरती वाहनों की बिक्री से ऑटो उद्योग से जुड़े लोगों की नौकरियां भी जा चुकी है।
हाल के दिनों में दोपहिया वाहनों की बिक्री में 16 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। यह लगभग 1.5 मिलियन यूनिट है। मोटरसाइकिलों की बिक्री दोपहिया वाहनों की बिक्री के 60 प्रतिशत से अधिक है और बाकी स्कूटरों के लिए जिम्मेदार है।
देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का स्वास्थ्य मोटरसाइकिलों की मांग से आंका जाता है, और खराब बिक्री का मतलब है कि अर्थव्यवस्था बहुत अच्छा नहीं कर रही है।
वहीं जुलाई में थ्री-व्हीलर्स की बिक्री में 7.66 फीसदी की गिरावट देखी गई। थ्री-व्हीलर्स शहरी बाजारों में रोजगार का एक प्रमुख स्रोत हैं, जिनका इस्तेमाल लोगों और सामानों की फेरी लगाने में किया जाता है।
इसकी बिक्री में गिरावट देश में तेजी से बढ़ते बेरोजगारी दर को दर्शाती है। थ्री-व्हीलर व्यवसाय काफी हद तक स्वरोजगार पर आधारित है। सरकार कहती है कि लोग खुद निवेश कर रोजगार के साथ दूसरों के लिए भी अवसर उत्पन्न कर रहे है।
लेकिन थ्री-व्हीलर की बिक्री में गिरावट से यह बात स्पष्ट है कि लोगों के पास निवेश करने के लिए कम पूंजी है और देश आर्थिक मंदी की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
वहीं कमर्शियल वाहनों की बिक्री के भी आकड़े को ठीक नहीं है। इन वाहनों की बिक्री में 25.72 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। इस गिरावट के बीच मध्यम और भारी कमर्शियल वाहनों की बिक्री में 37.48 प्रतिशत की गिरावट आई है।
इसके साथ ही हल्के कमर्शियल वाहनों की बिक्री में 18.79 प्रतिशत की गिरावट आई है। आपको बता दें कि देश में मध्यम आकार या भारी वाहनों का ज्यादातर इस्तेमाल आद्योगिक उत्पादों के परिवहन के लिए किया जाता है। ऐसे में इन वाहनों की बिक्री में गिरावट देश की लड़खड़ाती औद्योगिक उत्पादन को दर्शाती है।
वहीं इस मोटर वाहन डीलरों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था फेडरेशन ऑप ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ने कहा कि अप्रैल 2019 तक 18 डीलरशिप की दुकान बंद हो गई है। इससे 32,000 लोगों की अपनी नौकरी गवांनी पड़ी है।
साथ ही देश के कई डीलरशिप लागत को कम रखने के लिए नौकरियों में कटौती कर रहे है, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 20,0000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों का नुकसान हुआ है। ये सभी नौकरी कटौती इस साल मई से जुलाई के बीच हुई है।
वहीं इस पर ऑटो उद्योग से संबधित सभी लोगों का बयान भी आ रहा है। ऑटो पार्टस निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इस पर कहा है कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो भविष्य में एक लाख नौकरियों को खतरा है।
साथ ही हम नए इलेक्ट्रिक मोटर्स में बदलाव से भी प्रभावित हो रहे है। क्योंकि इससे पूंजी और नौकरियों में अधिक नुकसान होगा।
ऑटो उद्योग में मंदी और बढ़ती बेरोजगारी पर विचार
हाल के दिनों में आ रही सभी खबरों ऑटो उद्योग से संबधित लोगों के किसी डरावने सपने की तरह है। साथ ही इससे देश के सभी लोग प्रभावित होंगे। भारत में ऑटो सेक्टर ने इस तरह की मंदी पहले कभी नहीं देखी थी। यह पूरे देश के लिए चिंता का विषय है।
क्योंकि हम इतनी बड़ी आबादी वाले देश के रूप में आर्थिक मंदी और बेरोजगारी बर्दाशत नहीं कर सकते है। अगर चीजे खराब होती है, तो हम सभी ऐसी स्थिति में होंगे जिसमें हमें नहीं होना चाहिए।