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फॉक्सवैगन पेट्रोल और डीजल इंजन का प्रोडक्शन पुरी तरह से करेगी बंद
दुनिया की बड़ी और जानी मानी ऑटोमेकर फॉक्सवैगन ने घोषणा की है कि 2026 से वो पेट्रोल और डीजल इंजन की कारें बनाना बंद कर देगी। ये नई योजना VW ग्रूप के अंतर्गत आनेवाली सभी सब ब्रांड पर लागू होगा जिसमें VW, ऑडी, सीट, स्कोडा, पोर्शे, बेंटले, लेम्बोर्गिनी और बुगाटी के साथ और भी कई नाम शामिल हैं।
पेट्रोल और डीजल इंजन का प्रोडक्शन बंद करने का यह एलान खुद कंपनी के स्ट्रेटजी प्रमुख माइकल जॉस्ट ने जर्मनी के वोल्फ्सबर्ग में चल रहे ऑटोमोटिव कॉन्फरेंस में किया। हालांकि ऐसा नहीं है कि फॉक्सवैगन ग्रूप कारों का प्रोडक्शन ही बंद करे जा रहा है। इसके बदल वो इको फ्रैंडली और कम उत्सर्जन वाले इलेक्ट्रिक इंजन की कारें उतारेंगे।
कॉन्फरेंस में जॉस्ट कहा कि हम ईंधन जलाकर चलने वाले इंजन कारों से धीरे-धीरे हट रहे हैं।
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बता दें कि कुछ वर्षों पहले हुए डीजल-गेट स्कैंडल से फॉक्सवैगन को तगड़ा झटका लगा था जिसमें उसे 27 बिलियन यूरो का फाइन भरना पड़ा था। अब कंपनी ने अपने आपको डीजल और पेट्रोल इंजन से पुरी तरह अलग करने का निर्णय लिया है।
ऑटोमोटिव न्यूज के अनुसार फॉक्सवैगन पुरी तरह से इलेक्ट्रिक कार उतारने पर काम कर रहा है और पोर्शे टेकैन उसका पहला प्रोडक्ट हो सकता है। पोर्शे टेकैन को अलगे साल ग्लोबल मार्केट में लॉन्च किया जा सकता है। बता दें कि पिछले महीने कार निर्माता कंपनी ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर 2023 तक 44 अरब यूरो (50 अरब डॉलर) के निवेश की घोषणा की थी।
कंपनी ने कहा था कि 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते के उत्सर्जन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वह अपनी डीजल और पेट्रोल इंजन वाली कारों को धीरे-धीरे बंद कर देगी।
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इसके अलावा कंपनी ने ये भी एलान किया है कि अगले 12 महिने के भीतर ही वो अपने I.D हैचबैक का प्रोडक्शन भी शुरू कर देंगे। इसी लाइनअप में आगे जाकर 2020 तक कई इलेक्ट्रिक कारें लॉन्च की जाएंगी। I.D (इलेक्ट्रिक हैचबैक कॉन्सेप्ट) के अलावा भी फॉक्सवैगन पुरी तरह से इलेक्ट्रिक या आधी इलेक्ट्रिक कार, बस, ट्रक और मोटरसाइकिल पर भी काम कर रहा है। इन्हें 2030 तक धीरे-धीरे उतारा जाएगा।
बता दें कि इस जर्मन निर्माता फॉक्सवैगन ने कई यूरोपियन मार्केट में ई-गोल्फ और ई-अप नाम की दो इलेक्ट्रिक कारें पहले ही पेश कर चुकी है। इसके साथ कंपनी SK इनोवेशन के साथ भी बातचीत कर रही है ताकि मास लेवल पर इलेक्ट्रिक कारों के लिए बैटरी सेल बनाई जा सके।
गौरतलब है कि आनेवाला समय इलेक्ट्रिक कारों का ही होगा। तमाम बड़ी और छोटी कंपनियां इस दिशा में आगे बढ़ चुकी हैं। लेकिन फॉक्सवैगन जैसा बड़ा ग्रूप अगर इसमें सत प्रतिशत उतर जाए तो इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए ये एक क्रांति की तरह होगा।
भारत में भी इलेक्ट्रिक कारें के प्रति रूझान काफी तेजी से बढ़ रहा है। कई बड़ी कंपनियों ने हजारों करोड़ के निवेश की घोषणा भी की हैं। इसके अतिरिक्त कई छोटे-बड़े स्टार्टअप भी हैं जो इलेक्ट्रिक कारों पर काम कर रहे हैं। हालांकि भारत में अभी पुरी तरह से इलेक्ट्रिक कारों के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं है, पर निश्चित तौर पर इसमें बहुत तेजी से विस्तार हो रहा है।
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