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ड्राइविंग/राइडिंग के दौरान मोबाइल पर बात करते दिखे तो समझो लाइसेंस कैंसल
भारतीय सड़कों पर एक्सीडेंट की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। परिवहन मंत्रालय और संबधित अन्य विभाग रोड सेफ्टी को लेकर लगातार जागरूकता फैलाने में लगे हैं। अब इसी बीच खबर आई है कि राजस्थान हाइकोर्ट ने ट्रैफिक पुलीस को ये निर्देश दिया है कि जो भी वाहन चलाते हुए मोबाइल का इस्तेमाल करते पाया जाता है उसका लाइसेंस कैंसल किया जाए।
राजस्थान हाइकोर्ट ने ट्रैफिक पुलिस को निर्देश दिया है कि जो भी वाहन चलाते समय मोबाइल फोन इस्तेमाल करते हुए पाया जाता है, उसकी फोटो निकालकर संबंधित आरटीओ के पास उसका लाइसेंस रद्द करने के लिए भेजा जाए। इसके लिए आरटीओ को पूरी डिडेल्स दी जाए।
राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला तब आया है जब वहां के ट्रैफिक पुलीस के एडिशनल कमिश्नर ने कोर्ट को बताया कि वाहन चलाते समय मोबाइल फोन के इस्तेमाल की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं।
आपको बता दें कि ड्राइविंग या राइडिंग के समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना ट्रैफिक नियमों के खिलाफ है। लेकिन फिर भी बहुत कम लोग ही इस नियम का पालन करते हैं और एक्सीडेंट का शिकार होते हैं।
लाइसेंस रद्द करने का यह फैसला राजस्थान हाइकोर्ट के दो जजों की बेंच गोपाल कृष्ण व्यास और रामचंद्र सिंह झाला ने सुनाया है। इस आदेश में कोर्ट ने ट्रैफिक पुलिस को ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ सख्त कारवाई करने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने आरटीओ को भी लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिये हैं। लेकिन आपको बता दें कि लाइसेंस रद्द करने कि इस प्रक्रिया में अभियुक्त को भी अपना पक्ष रखने का पुरा मौका दिया जाना अनिवार्य है।
इस मुद्दे पर दुनिया कि जानी-मानी संस्था वल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने भी रिपोर्ट दिया था कि कैस ड्राइविंग के दौरान मोबाइल के इस्तेमाल से एक्सीडेंट का खतरा चार गुना तक बढ़ जाता है और इस तरह के एक्सीडेंट की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं।
अभी 2016 का ही आंकड़ा है कि ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल के कारण हुई दुर्घटनाओं से देश में ही करीब 2138 लोगों की मौत हो गई। ये नंबर भले ही कम लग रहे हों मगर इस बात को भी समझ लेना चाहिए की इस तरह की घटनाएं रिकॉर्ड में बहुत कम दर्ज हो पाती हैं।
सबसे ताजा घटना तो उत्तर प्रदेश का है जहां स्कुल बस एक मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेन से जा टकराई, जिसमें 13 बच्चों की जान चली गई। घटना के कारणों में बताया गया कि बस का ड्राइवर हेडफोन लगाए हुए था और मोबाइल में व्यस्त था।
बता दें कि ड्राइविंग के दौरान वायरलेस डिवाइस जैसे ब्लूटूथ वगैरह का भी इस्तेमाल वर्जित है और इसके लिए भी दंड के प्रावधान हैं। कोर्ट ने आदेश तो दे दिया है लेकिन अब देखना होगा कि ट्रैफिक पुलीस इसको किस तरह से लागू करवा पाती है।
हम राजस्थान हाइकोर्ट के इस आदेश की तरीफ करते हैं और उम्मीद करते हैं कि अन्य राज्य भी इसको अपनाएंगे। अगर इस मुद्दे को लेकर ठीक तरह से जागरूकता फैलाया गया तो निश्चित ही कई जानों को बचाया जा सकता है।