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जानिए ड्राइवरलेस कारें किस तरह से आपकी जिंदगी बदल देंगी
क्या आपने कभी सोचा है कि ड्राइवरलेस कारें हमारी जिंदगी पर किस तरह का असर डालेंगी। यदि आप इस बात पर जरा गौर करते हैं तो आपको अपने आस पास बहुत कुछ बदला हुआ नजर आयेगा।
इस समय दुनिया भर में ड्राइवरलेस कारों की चर्चा हो रही है। बहुत तेजी से कई तकनीकी कंपनियां इस विषय पर नित नये प्रयोग कर रही है। जिसमें गूगल और वोल्वो जैसे दिग्गज भी शामिल हैं। युनाइटेड किंगडम में तो ये भी दावा किया जा रहा है कि आगामी 2021 तक सड़कों पर ड्राइवरलेस कारों का राज होगा। इस दिशा में कई वाहन निर्माताओं ने अपने ड्राइवरलेस कारों की टेस्टिंग भी शुरू कर दी है। यदि सबकुछ सही रहा तो तय समय के अनुसार ड्राइवरसेल यानि की बिना चालकों वाली कारें सड़कों पर दौड़ना शुरू कर देंगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ड्राइवरलेस कारें हमारी जिंदगी पर किस तरह का असर डालेंगी।
यदि आप इस बात पर जरा गौर करते हैं तो आपको अपने आस पास बहुत कुछ बदला हुआ नजर आयेगा। ये ड्राइवरलेस कारें न केवल ट्रांस्पोर्टेशन हिस्ट्री को बदलेंगी बल्कि इसका सीधा असर आम लोगों की निजी जिंदगी पर भी पड़ेगा। ये बदलाव न केवल सकारात्मक होगा बल्कि इसके कुछ प्रभाव भी नजर आयेंगे। आज हम आपको अपने इस लेख में ड्राइवरलेस कारों के सड़कों पर उतरने के बाद होने वाले बदलावों से ही रूबरू करायेंगे। तो आइये जानते हैं कि आखिर बिना ड्राइवर के चलने वाली कारें आपकी जिंदगी को किस तरह से बदल कर रख देंगी -
बेरोजगारी बढ़ेगी:
ट्रास्पोर्टेशन किसी भी देश का प्रमुख रोजगार है। आज के समय में बहुतायत लोग कार के साथ साथ ड्राइवर भी हायर करते हैं। लेकिन जब ड्राइवरलेस कारें सड़क पर आ जायेंगी तो भला ड्राइवर की जरूरत किसे रहेगी। ऐसी दशा में दुनिया भर में ड्राइविंग कर अपना रोजगार चलाने वाले लाखों, करोडों लोग बेरोजगार हो जायेंगे। ड्राइविंग एक ऐसा रोजगार है जिसकी उपयोगिता हर ट्रेड और सेक्टर में है लेकिन ड्राइवरलेस कारों के आने के बाद लोग स्वयं ही अपनी कारों का संचालन कर सकेंगे ऐसे में ड्राइविंग बिजनेस पूरी तरह से फ्लॉप हो जायेगा।
वहीं ड्राइवरलेस कार निर्माता कंपनियां इस बात की पूरी तस्दीक कर अपनी कारों को बाजार में उतारेंगी कि उनकी गाड़ियां पूरी तरह से सुरक्षित हैं। वहीं भारत जैसे देश में ड्राइविंग बिजनेस बहुत ही सफल हैं। यहां पर लोग अपने देश के अलावा दूसरे मुल्कों में भी ड्राइविंग कर अपनी जीविका चलाते हैं। एक साथ इन सभी लोगों का रोजगार ध्वस्त हो जायेगा।
ड्रिंक एंड ड्राइव को मिलेगा बल:
ड्राइवरलेस कारों के आने के बाद सबसे बड़ा असर लोगों के ड्रिंकिंग हैबिट पर पड़ेगा। जहां आज लोग ड्राइविंग के समय ड्रिंक न करने से कतराते हैं वहीं ड्राइवरलेस कारों के आने के बाद लोग अपनी कार में बैठकर आसानी से ड्रिंक करेंगे। क्योंकि कार तो आॅटो मोड में होगी और उसे चलाने के लिए किसी ड्राइवर की भी जरूरत नहीं होगी। कुछ जानकारों का मानना है कि ऐसी कारों के आने के बाद सरकार को सड़क पर लागू किये गये नियमों में भारी बदलाव करना होगा।
वहीं कुछ लोगों का ये भी मानना है कि ड्राइवरलेस कारें एल्कोहल कंजप्शन को तेजी से बढ़ावा देंगी। हालांकि इन कारों से एक फायदा ये जरूर होगा कि नशे की हालत में होने वाले सड़क दुर्घटनाओं में तेजी से गिरावट देखने को मिलेगी। क्योंकि कोई भी व्यक्ति नशे की हालत में स्वयं ड्राइविंग नहीं करेगा। इसे सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज से सकारात्मक भी लिया जा सकता है। लेकिन शराब के उपभोग के लिहाज से ये नुकसानदेह भी होगा।
अपनी ही कार में होंगे बंधक:
इन ड्राइवरलेस कारों के आने के बाद जहां कुछ सहूलियतें आपको मिलेंगी वहीं इनके कुछ दुष्परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। जानकारों का मानना है कि दुनिया में इस समय सायबर सिक्योरिटी सबसे बड़ा सवाल है। वहीं ये ड्राइवरलेस कारें पूरी तरह से सायबर द्वारा संचालित की जायेंगी। ऐसे ही एक मामले के बारे में जिक्र करते हुए जानकारों ने कहा कि कुछ दिनों पहले सायबर सिक्योरिटी की एक टीम ने जीप ग्रांड चेरोकी को लगभग 10 मील की दूरी से संचालित किया था।
इस टीम ने इतनी दूरी से पूरी कार को कंट्रोल किया था यहां तक कि कार के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों जैसे रेडियो, हीटर, विंडस्क्रीन और वाइपर को भी कंट्रोल किया था। इस टेस्टिंग के दौरान कार को क्रैश कर दिया गया। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि चूकिं ड्राइवरलेस कारें पूरी तरह से जीपीएस, सॉफ्टवेयर और कम्प्यूटर प्रोग्राम पर आधारित होंगी। वहीं दुनिया भर में ऐसे हैकर्स हैं जो बड़े ही आसानी से इन प्रोग्राम और टेक्नोलॉजी को हैक कर सकते हैं। ऐसे में ये भी संभावना बलवती हो जाती है कि कोई हैकर आपकी कार के सिस्टम को हैक कर आपको बड़े ही आसानी से आपकी ही कार में बंधक बना सकता है, या फिर किसी और अपराधिक गतिविधी को अंजाम दे सकता है।
खत्म हो जायेगा रोड रेज:
रोड रेज आज के समय की एक ऐसी समस्या है जिससे हर वाहन चालक आये दिन दो चार होता रहता है। रोड रेज यानि कि सड़क पर दूसरे वाहन चालक या फिर किसी अन्य व्यक्ति से बेवजह होने वाली नोक झोक। कभी कभी स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि मामला मार पीट में तब्दील हो जाता है। लेकिन ड्राइवरलेस कारों के आने के बाद सड़क पर होने वाली ये झड़प पूरी तरह से खत्म हो जायेगी।
क्योंकि सभी कारें ड्राइवरलेस होंगी और सभी एक फिक्स प्रोग्राम के आधार पर चलेंगी। ऐसी दशा में न तो आपको कोई दोषी कहेगा और न ही आपके पास कोई ऐसा मौका होगा कि आप सड़क पर किसी दूसरे वाहन चालक को दोषी कहें। ये एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा। कई पुराने मामलों में देखने को मिला है कि रोड रेज के चलते कुछ लोगों ने अक्रामक ड्राइविंग की है जिससे सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं जिनमें कई मौतों को दर्ज किया गया है। लेकिन ड्राइवरलेस कारें इस खतरे को पूरी तरह से खत्म कर देंगी।
शुरू हो जायेगी अंडरएज ड्राइविंग:
जैसा कि इस समय बिना किसी के बालिग हुए उसे ड्राइविंग लाइसेंस मुहैया नहीं कराया जाता है वैसे ड्राइवरलेस कारों के आने बाद स्थिति बदल जायेगी। आपको उस वक्त कत्तई हैरानी नहीं होगी जब ड्राइविंग सीट पर 5 साल का बच्चा बैठा होगा और कार किसी मजे हुए रफ्तारी खिलाड़ी की तरह फर्राटा भरेगी। आपको बता दें कि, इसकी शुरूआत हो चुकी है।
हाल ही में युनाइटेड किंगडम की सरकार ने बच्चों को बिना व्यस्कों के साथ ड्राइवरलेस कारों में सफर करने के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया है। इतना ही नहीं, यहां पर स्कूलों में ड्राइवरलेस कारों को चलाने के कवायद हो रही है जहां पर बिना अभिभावक और किसी चालक के बच्चे ड्राइवरलेस कारों में सफर करते हुए अपने स्कूल जायेंगे और वापस नियत समय पर घर भी आयेंगे। इसे देखते हुए ये माना जा रहा है कि अंडरएज ड्राइविंग को सरकार पूरी तरह अपनी अनुमति प्रदान कर देगी।
रेडियो हो जायेगा रिटायर:
आज के समय में ड्राइविंग के समय सबसे रेडियो का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। ज्यादातर लोग सुबह आॅफिस निकलते समय बिना समय गवायें देश दुनिया का हाल जानने के लिए कार में रेडियो सुनते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक रेडियो सुनने वालों में से तकरीबन 22 प्रतिशत लोग ड्राइविंग के दौरान ही रेडियो सुनते हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि रेडियो सुनने के लिए कार चालकों को अपना ध्यान ड्राइविंग से हटाना नहीं होता है क्योंकि उनका पूरा फोकस सड़क पर होता है।
लेंकिन ड्राइवरलेस कारों के आने के बाद लोग बेफिक्र हो जायेंगे और वो रेडियो सुनने के बजाय मोबाइल, टैब या फिर लैपटॉप का प्रयोग करेंगे। इसके लिए उन्हें अपना ध्यान भंग होने का खतरा भी नहीं होगा। लेकिन इससे रेडियो के श्रोताओं की संख्या में भारी गिरावट आयेगी। कुछ जानकार ये भी मान रहे हैं कि ऐसे में रेडियो का चलन लगभग खत्म सा हो जायेगा और वो कार में किसी बेवजह की वस्तु बन कर रह जायेगा।
मानव अंगों की बढ़ेगी किल्लत:
आप ये सोच रहे होंगे कि भला ड्राइवरलेस कारों से मानव अंगों का क्या संबंध है। हालांकि भारत में ऐसी स्थिति नहीं है लेकिन विदेशों में विशेषकर अमेरिका में मानव अंगों को सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं से ही एकत्र किया जाता है। दरअसल वहां पर ज्यादातर लोग जीवित रहते हुए अपने बॉडी ऑर्गन को डोनेट कर देते हैं। ऐसे में यदि वो किसी सड़क दुर्घटना के शिकार होते हैं और उनकी मौत हो जाती है तो उनके द्वारा किये गये डोनेशन के आधार पर उनके शरीर से बॉडी पार्ट्स को निकाल कर संरक्षित कर लिया जाता है।
जिसका प्रयोग दूसरे कि ऐसे बीमार व्यक्ति के इलाज में किया जाता है जिसे इनकी जरुरत होती है। एक शोध के अनुसार ये तय किया गया है कि ड्राइवरलेस कारों के आने के बाद सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा गिरावट होगी। इस दशा में मानव अंगों के संरक्षण में भी कमी आयेगी। हालांकि हम दुर्घटनाओं के पक्ष में नहीं हैं लेकिन ये एक लाइफ साइकिल है जो कि चलती रहती है। जब किसी की मृत्यु होती है तो उसका शरीर नश्वर हो जाता है ऐसी दशा में यदि उसके शरीर के अंग किसी और को जिंदगी दे सकते हैं तो इसे सकारात्म ही माना जायेगा। हालांकि भारत में ये चलन बहुत कम है। यहां पर आज भी लोग अंगों के दान में विश्वास कम ही करते हैं लेकिन ड्राइवरलेस कारों के आने के बाद इसका बड़ा प्रभाव यूरोपिय देशों में देखने को मिलेगा।
कार पार्किंग से मिलेगा छुटकारा:
आज के समय में जब आप अपनी कार से कहीं जाते हैं तो सबसे बड़ा सवाल आपके दिमाग में यही रहता है कि भला आप अपनी कीमती कार को कहां पार्क करें। ऐसा इसलिये भी है क्योंकि जब आप अपने गंतव्य तक पहुंच जाते हैं तो आपको अपनी कार छोड़नी होती है। लेकिन ड्राइवरलेस कारों के आने के बाद आपकी इस समस्या का भी समाधान हो जायेगा। क्योंकि ये कारें आपको गंतव्य तक पहुंचाने के बाद वापस अपने नियत जगह पर आ सकती हैं।
इस स्थिति में आपको पार्किंग की चिंता करने की भी कोई जरूरत नहीं होगी। मसलन, यदि आप अपनी कार से किसी तंग मार्केट में जाते हैं तो आप अपनी नियत जगह पर पहुंच कार अपनी कार को वापस अपने घर के लिए रवाना कर सकते हैं। इन कारों को इस तरह से प्रोग्राम किया गया है कि ये स्वयं की सुरक्षित और तय जगह पर स्वयं को पार्क कर सकती है। लेकिन इसका एक व्यवसायिक नुकसान भी देखने को मिलेगा। ज्यादातर शहरों में भीड़ भाड़ वाले इलाकों में पार्किंग एक तेजी से उभरने वाला व्यवसाय बन चुका है। लेकिन ड्राइवरलेस कारों के आने के बाद इस व्यवसाय का कोई मुल्य नहीं रह जायेगा। ज्यादातर लोग पार्किंग के लिए बेवजह पैसे खर्च करने से बचेंगे।
हेल्थ बजट के खर्चे पर आयेगी कमी:
इस समय सड़क दुर्घटनाओं या फिर किसी भी तरह के आपात स्थिति में आर्थिक मदद के लिए ज्यादातर लोग इंश्योरेंस कराते हैं। इसके अलावा कुछ लोग ऐसे भी हैं जो शायद एक्सीडेंटल बीमा नहीं कराते हैं। लेकिन इससे दुर्घटनाओं की संख्या पर कोई असर नहीं पड़ता है। क्योंकि आये दिन लोग रोड एक्सीडेंट का शिकार होते हैं जिससे उन्हें इलाज के लिए भारी रकम खर्च करनी होती है।
इसके अलावा यदि दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति ने बीमा करवाया है तो इंश्योरेंस कंपनियों को ये रकम भरनी होती है। लेकिन ड्राइवरलेस कारों के आने के बाद सड़क दुर्घटनायें 90 प्रतिशत तक कम हो जायेंगी। ऐसी दशा में कम से कम लोग एक्सीडेंटल बीमा करवायेंगे या फिर लोगों के हेल्थ पर खर्च होने वाले रकम में भारी कमी आयेगी। इसका एक सकारात्मक असर लोगों के बजट पर पड़ेगा लेकिन इसका बुरा असर इंश्योरेंस सेक्टर पर जरूर देखने को मिलेगा।
तो ये वो साधारण सी लेकिन बेहद ही जरूरी बदलाव होंगे जो कि ड्राइवरलेस कारें अपने साथ लेकर आयेंगी। हालांकि भारत में अभी ड्राइवरलेस कारों के आने के बारे में कोई समय नियत नहीं किया जा सकता है। लेकिन यूरोपिय देशों में 2021 से इसकी शुरूआत हो जायेगी और 2030 तक यूरोपिय सड़कों पर भारी मात्रा में ड्राइवरलेस कारें देखने को मिलेंगी। इसी के साथ वहां के लोगों की जिंदगी में भी भारी बदलाव देखने को मिलेगा। यदि आप भी हमारी इन बातों से सरोकार रखते हैं तो इस लेख को साझा करना न भूलें। ड्राइवस्पार्क आपके सुरक्षित ड्राइविंग और बेहतर जीवन की कामना करता है।