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आतंकी हमलों से ज्यादा इस वजह से हुई देश में लोगों की मौत, दिल दहला देने वाला आंकड़ा
दुनिया भर में किसी भी मुल्क के लिए इस समय सबसे बड़ी समस्या अगर कुछ है तो वो है आतंकवाद। क्योंकि इन आतंकियों के चलते न जाने कितने बेकसूर लोग काल के गाल में समा जाते हैं।
दुनिया भर में किसी भी मुल्क के लिए इस समय सबसे बड़ी समस्या अगर कुछ है तो वो है आतंकवाद। क्योंकि इन आतंकियों के चलते न जाने कितने बेकसूर लोग काल के गाल में समा जाते हैं। इस समस्या से हमारा देश भर वर्षों से जूझ रहा है। लेकिन ताजा रिपोर्ट के सामने आने के बाद एक और समस्या ने जन्म ले लिया है। देश की सबसे बड़ी न्यायपीठ में जब ये मामला सामने आया कि देश में अब तक 14,926 लोगों की मौत गड्ढायुक्त सड़कों की वजह से हुई है तो सुप्रीम कोर्ट भी हैरान रह गया। वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने इसे अस्वीकार्य भी करार दिया है।
आपको बता दें कि, बीते 5 सालो में इतनी मौतें आतंकी हमलों में भी नहीं हुई हैं जितनी की अकेले गड्ढायुक्त सड़कों की वजह से हो गई हैं। देश के सड़कों की हालत किसी से भी छूपी नहीं है। सरकारी अमले और खुद सरकार न जाने कितने दावे कर चुकी है कि सड़कों की हालात में सुधार हो रहा है लेकिन यदि ये सही होता तो मौतों का ये आंकड़ा उनकी बद्जुबानी की गवाही न दे रहा होता।
सड़कों के गड्ढों की वज़ह से होने वाली दुर्घटनाओं और उनमें होने वाली मौतों से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने यह मामला सामने आया है। इस बात के सामने आने के बाद अदालत खुद हैरान रह गई कि भला इतनी ज्यादा मौतों की वजह गड्ढायुक्त सड़के हैं। गौरतलब हो कि ये सभी मौतें साल 2013 और 2017 बीच हुई हैं। इससे ये साफ जाहिर हो रहा है कि देश भर में सड़कों की दशा कितनी खराब है। नित नये सड़कों का निर्माण होना एक अलग बात है और बनी हुई सड़कों का उचित देखभाल करना एक अलग विषय है।
सरकारें नये सड़कों, एक्सप्रेस वे, हाइवे और न जाने किन बातों पर अपनी पीठ आप थपथपाती रहती है। लेकिन उनकी नजरें बनी हुई सड़कों के मेंटेनेंस पर बिलकुल नहीं जाता है। जिसका नतीजा होता है कि सड़कों पर गड्ढे बनते हैं जो कि किसी निदोर्ष की मौत का कारण बनते हैं। वहीं पीडब्ल्यूडी विभाग की लापरवाही भी खासी देखने को मिलती है। जो कि सड़कों के निर्माण के बाद उनका रख रखाव ठीक ढंग से नहीं कर पाती है। आपको ता दें कि, दुनिया की सबसे तेज रफ्तार कार बनाने वाली कंपनी बुगाटी ने अपनी वेरॉन को इंडिया में टेस्टिंग के लिए भेजा था लेकिन यहां की सड़कों की हालत को देखते हुए कंपनी ने अपना फैसला बदल दिया। टेस्टिंग के दौरान महज कुछ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद ही कार में 19 जगहों पर डेंट लगा और कंपनी को खासा नुकसान हुआ।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार को जवाब तलब किया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस मामले में केंद्र सरकार अपनी जवाबी रिपोर्ट पेश करे और फिलहाल मामले की सुनवाई को जनवरी माह तक टाल दिया गया है। इस बेंच में जस्टिस दीपक गुप्ता और हेमंत गुप्ता बतौर सदस्य शामिल हैं। बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधिश केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा के मामले को लेकर एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने बीते साल 2013 से लेकर 2017 तक देश भर में गड्ढायुक्त सड़कों की वजह से हुई मौतों के आंकडे को कोर्ट के सामने पेश किया है।
सरकार को लेनी चाहिए तिलक से सबक:
बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक 66 वर्षीय बुजुर्ग खासा चर्चा में रहा। गंगाधर तिलक कटनम नाम का ये सख्श हैदराबाद के साउर्दन रेलवे के वरिष्ठ इंजीनियर पद से रिटायर हो चुका है। रिटायरमेंट के बाद तिलक ने कुछ अलग तरीके से श्रमदान करने का सोचा। तो उन्होनें पूरे शहर के सड़कों को गड्ढामुक्त बनाने का बीड़ा उठा लिया। आलम ये है कि उन्हे राह चलते कहीं भी सड़क पर गड्ढा दिख जाये तो वो तत्काल उसे भर देते हैं। इसके लिए वो अपनी कार में अपने जरूरत का सारा सामान लेकर चलते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार तिलक ने अब तक 1300 से भी ज्यादा गड्ढों को भरा है।
तिलक का ये काम बेशक सराहनीय है। इसके पीछे उन्होनें कारण बताया कि एक बार जब वो अपनी कार से कहीं जा रहे थें उस वक्त सड़क कि किनारे कुछ स्कूली बच्चे भी जा रहे थें। सड़क पर गड्ढा था जिसमें बरसात का पानी जमा था जब उनकी कार उधर से गुजरी तो पानी उन बच्चों पर पड़ गया। जिससे वो काफी उदास हो गयें। ऐसी घटना उनके साथ आये दिन होती थी जिसके बाद उन्होनें सड़कों को गड्ढामुक्त बनाने का फैसला किया। देश की सरकार को तिलक से कुछ सबक लेना चाहिए कि वो अपने खर्च पर देश की सड़कों को सुधारने में लगे हुए हैं। तिलक इस कार्य के लिए किसी से भी कोई आर्थिक मदद नहीं लेते हैं। तिलक स्वयं अपनी कमाई से ये खर्च उठाते हैं।