शेल इको मैराथन पहली बार आ रहा है भारत, इंजीनियरिंग छात्रों के लिए सुनहरा मौका

इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए ये एक सुनहरा अवसर है। यदि आप भी इंजीनियरिंग के छात्र हैं और आप अपना हुनर दुनिया के सामने दिखाना चाहते हैं तो आज ही कमर कस तैयारी करना शुरू कर दिजीए।

इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए ये एक सुनहरा अवसर है। यदि आप भी इंजीनियरिंग के छात्र हैं और आप अपना हुनर दुनिया के सामने दिखाना चाहते हैं तो आज ही कमर कस तैयारी करना शुरू कर दिजीए क्योंकि देश में पहली बार शेल इको मैराथन का आयोजन होने जा रहा है। इस बार शेल इको मैराथन का आयोजन चेन्नई में आगामी 6 से 9 दिसंबर तक किया जायेगा।

शेल इको मैराथन पहली बार आ रहा है भारत, इंजीनियरिंग छात्रों के लिए सुनहरा मौका

आपको बता दें कि, ये मुख्य रूप से इंजीनियरिंग छात्रों के बीच एक प्रतियोगिता होती है। जिसका उद्देश्य होता है कि, इंजीनियरिंग छात्रों को नये नये अविष्कार करने और आइडिया को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जा सके। इस शेल इको मैराथन प्रतियोगिता में छात्रों को ऐसे वाहनों को डिजाइन करना होता है जो कि, सीमित संसाधनों में बने हों साथ वो इको फ्रैंडली होने के साथ ही कम र्इंधन का खपत करते हों।

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इस प्रतियोगिता को दो भागों में बांटा जाता है। पहला हिस्सा होता है प्रोटोटाइप और दूसरा होता है अरबन कॉन्सेप्ट। प्रोटोटाइप वर्ग में कम ईंधन की खपत को खासी वरियता दी जाती है। यानी कि, इस क्लॉस में जो छात्र हिस्सा लेते हैं उन्हें ऐसे वाहनों का निर्माण करना होता है जो कम से कम ईंधन का खपत करें, भले ही वाहनों के डिजाइन या फिर उसमें उतनी आरामदायक सुविधायें मुहैया न करायी जायें।

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वहीं अरबन कॉन्सेप्ट क्लॉस में छात्रों को ऐसे वाहनों का निर्माण करना होता है जिसमें वाहन में सुख सुविधा, आधुनिक तकनीकी और फीचर्स के साथ कम्फर्ट लेवल को वरियता दी जाती है। इसके अलावा वाहनों को एनर्जी टाइप के आधार पर भी बांटा जाता है। जिसमें आईसीई वाहनों को किसी भी तरह के प्राकृतिक गैस या इथेनॉल से बने पेट्रोल, डीजल या किसी तरल ईंधन पर चलाया जा सकता है। जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों में हाइड्रोजन फ्यूल शेल या लिथियम ईआॅन बैट्री दोनों में से किसी एक का ही इस्तेमाल किया जा सकता है।

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आपको बता दें कि, इसके पूर्व के शेल मैराथन प्रतियोगिता में भारत की कई ​टीमों ने हिस्सा लिया था। सन 2017 में सिंगापुर में आयोजित प्रतियोगिता में आईआईटी भुवनेश्वर के छात्रों के एक दल एक ऐसे तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहन का निर्माण किया था जो 131.8 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलने में सक्षम थीं। इसके अलावा सर एम. विश्वसरैय्या इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी, बैंगलुरू के छात्रों ने सन 2016 में 100 सीसी की क्षमता के एक मोटरसाइकिल के इंजन का प्रयोग कर एक ऐसे वाहन का निर्माण किया था जो कि, 100 किलोमीटर प्रतिलीटर का माइलेज देने में सक्षम थी।

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इतना ही नहीं, बीआईटीएस पिलानी के छात्रों ने एक ऐसी कार का निर्माण किया था जो कि, कचड़े से बनने वाले एथेनॉल से चलती थी। तो यदि आपके पास भी ऐसा हुनर है और आप भी कुछ ऐसा निर्माण कर सकते हैं तो ये आपके लिए सुनहरा मौका है। आज ही शेल मैराथन में अपना रजिस्ट्रेशन करायें।

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Hindi
English summary
The Shell Eco-Marathon will be part of the company’s ‘Make the Future India’ event this year. The event will be held in Chennai from the 6th to the 9th of December.
 
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