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इलेक्ट्रिक कार खरीदने पर सरकार दे सकती है 2.5 लाख का इंसेंटिव
अर्थात 5,800 करोड़ रुपए उसमें पूरे देश भर के लिए लगभग 50 लाख बसें खरीदी जा सकती हैं।
भारत सरकार जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर 2.5 लाख रुपए तक का इंसेंटिव देने का एलान कर सकती है। खबर के अनुसार सरकार इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देना चाहती है औरइसके लिए विशेष पैकेज का भी इंतजाम किया है।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास के लिए सरकार ने 9,400 रुपए पैकेज की व्यवस्था की है। योजना के मुताबिक 2.5 लाख रुपए तक का इंसेंटिव उनको दिया जाएगा, जो अपनी डीजल या पेट्रोल वाहनों को नष्ट कर नई इलेक्ट्रिक कार, टू-व्हीलर या थ्री-व्हीलर जैसे इलेक्ट्रिक वाहन खरीदेंगे।
सरकार जो की जो ड्राफ्ट पॉलिसी है, उसके मुताबिक 1.5 लाक तक की इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर खरीदने पर 30 हजार रुपए दिए जाएंगे। इससे निश्चित ही इलेक्ट्रिक स्टार्टप कंपनियों और ग्राहकों को फायदा होने वाला है।
साथ ही कैब एग्रीगेटर और बस के मालिकों के लिए भी इंसेंटिव का इंतजाम किया गया है। इन्हें 15 लाख तक के कीमत वाले वाहन के लिए 1.5 से 2.5 लाख तक का इंसेंटिव दिया जाएगा।
इसके अलावा निजी कार मालिकों के लिए भी इंसेंटिव की व्यवस्था की गई है। अपना BS-III आधारित इंजन वाले वाहन स्क्रैप करवाने पर उन्हें भी 1.5 से 2.5 लाख रुपए तक दिए जाएंगे। इसके लिए आपको स्क्रैपिंग सेंटर से सर्टिफिकेट दिखाना होगा।
सरकार की योजना है कि आनेवाले अगले पांच सालों में सरकार यात्री वाहन और टू-व्हलर्स पर लगभग 1,500 करोड़ रुपए खर्च करने वाली है।
साथ ही वो पूरे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाने की बात भी कर रहे हैं। इसके लिए लगभग एक हजार करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है।
योजना के मुताबिक इसकी शुरुआत मेट्रो शहरों से की जाएगी, जहां हर 9 स्क्वायर किलोमीटर में एक पावर चार्जिंग स्टेशन बनेगा। इसके अलावा हाइवे के किनारे 25 किलोमीटर के अंतराल पर भी चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे।
इसके साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे टैक्सी, बस और ई-रिक्शा जैसे वाहनों पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाएगा। इसके विकास के लिए 5,800 करोड़ रुपए की व्यवस्था की जाएगी। इसमें से 80 फिसदी राशी टू और थ्री व्हीलर्स पर खर्च की जाएगी।
हालांकि लोगों का कहना है कि टू या थ्री व्हलर्स से अधिक सरकार को बड़े पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे बस ईत्यादि पर अधिक खर्च करना चाहिए। क्योंकि इसमें सफर करने वालों कि संख्या अधिक है और इनकी पहूंच भी ज्यादा है।
लोगों का तर्क है कि यदि सरकार यदि ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को ही कम करना चाहती है तो उसे बस ईत्यादि पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर अधिक खर्च करना चाहिए। क्योंकि अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़ियां होगा तो लोग निजी वाहनों का उपयोग कम करेंगें।
कुछ विशेषज्ञों ने बताया कि जितनी राशी सरकार टू और थ्री व्हीलर्स पर खर्च करने की योजना बना रही है अर्थात 5,800 करोड़ रुपए, उसमें पूरे देश भर के लिए लगभग 50 लाख बसें खरीदी जा सकती हैं।
वैसे सरकार की योजना अगर जमीन पर उतर जाती है तो इलेक्ट्रिक मोबिलीटी को कुछ न कुछ तो बढ़ावा मिलेगा ही। अभी हाल ही हमने आपको खबर दी थी कि सरकार बैटरियों पर जीएसटी 28 से 12 प्रतिशत करने की फिराक में है, इससे भी इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माताओं को काफी लाभ होगा।
Source: TOI