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मर्सिडीज की नई तकनीकी, अब ड्राइवर से बात करेगी कार
जर्मनी की प्रमुख कार निर्माता कंपनी मर्सिडीज-बेंज ने आॅटोमोबाइल जगत में एक क्रांतिकारी तकनीकी को पेश किया है। अब तक आपने ड्राइवरों को आपस में बात करते देखा और सुना होगा।
आज का युग तकनीकी का युग है और नित नये प्रयोग से इंसानी जिंदगी आसान भी हो रही है। आॅटोमोबाइल जगत में भी आये दिन नये प्रयोग होते रहते हैं ताकि इस तकनीकियों के बदौलत आम लोगों के सफर को आसान और आरामदेह बनाया जा सके। ऐसी ही एक नई तकनीकी मर्सिडीज-बेंज लेकर आई है। जर्मनी की प्रमुख कार निर्माता कंपनी मर्सिडीज-बेंज ने आॅटोमोबाइल जगत में एक क्रांतिकारी तकनीकी को पेश किया है। अब तक आपने ड्राइवरों को आपस में बात करते देखा और सुना होगा लेकिन अब ऐसा होगा कि कार खुद ड्राइवर से बात करेगी। ये पढ़कर आपको थोड़ी हैरानी जरुर हो रही होगी लेकिन ये बात बिलकुल सही है।
मर्सिडीज-बेंज एक ऐसी तकनीकी पर काम कर रही है जिसमें कार के हेडलाईट के माध्यम से कार के चालक और कार के बीच बात चीत होगी। इस नई तकनीकी को डिजिटल लाईट प्रोजेक्ट वर्ड्स का नाम दिया गया है। आपको बता दें कि, इस तकनीकी को सबसे पहली बार जेनेवा मोटर शो में मर्सिडीज मेबैक एस-क्लॉस में दिखाया गया था। कंपनी ने इस कार को प्रदर्शित किये जाने के दौरान मर्सिडीज-बेंज ने कहा था कि, निकट भविष्य में इस तकनीकी का प्रयोग कंपनी और भी कारों में करेगी
मर्सिडीज-बेंज डिजिटल लाईट टेक्नोलॉजी कैसे करती है काम:
मर्सिडीज-बेंज ने इस तकनीकी के लिए हाई क्वॉलिटी प्रोजेक्टिंग एलईडी लाइट्स का प्रयोग किया है। इन लाईटों में चिप के साथ ही लाखों माइक्रो रिफलेक्टर लगे हुए है। जो कि लाइट के माध्यम से पैटर्न ड्रॉ करता है। ये तकनीकी न केवल शब्दों को बना सकती है बल्कि इससे इलस्ट्रेशन भी बनाया जा सकता है। इस डिजिटल लाईट टेक्नोलॉजी का प्रयोग नेविगेशन और सेफ्टी गाईड्स के लिए भी किया जायेगा।
ये टेक्नोलॉजी को कार के कैमरों और सेंसर को एक आुधनिक तकनीकी वाले कंप्यूटर के माध्यम से लिंक किया गया है। जो कि ड्राइवर को समय समय पर किसी भी तरह के आकस्मिक निर्देश देता रहेगा। जैसे कि लेन परिवर्तन, ट्रैफिग सिग्नल आदि के बारे में एक डिस्प्ले के जरिए ड्राइवर को पूरी जानकारी मिलती रहेगी।
इतना ही नहीं इस तकनीकी की मदद से सड़क के आस पास की सभी स्थिती के बारे में ड्राइवर को जानकारी मिलती रहेगी। जैसे कि, कम ग्रीप वाली सड़क के बारे में, कंस्ट्रक्शन साइट के बारे में, कार के पिछे किसी भी तरह के होने वाले टकराव के बारे में, ब्लाइंड स्पॉट एलर्ट, स्पीड रिमाइंडर, लेन अलर्ट इत्यादी। इसके अलावा ये टेक्नोलॉजी सड़क पर पैदल चलने वाले लोगों पर भी बखूबी नजर रखेगी और ड्राइवर को इसके बारे में सजग करती रहेगी।
डैमलर एजी के बोर्ड आॅफ मैनेजमेंट के सदस्य ओला कौलेनियस ने बताया कि, "हमने एक हेडलैम्प में लाखों पिक्सल का प्रयोग किया है, ये न केवल ड्राइवर को हर एक तरह की स्थिती में बेहतर प्रकाश मुहैया कराता है बल्कि किसी भी तरह के आपात स्थिती में डिजिटल तकनीकी की मदद से इलस्ट्रेशन और शब्दों के माध्यम से ड्राइवर को सजग भी करता है।" उन्होनें बताया कि, ये एक क्रांतिकारी प्रयोग है और निकट भविष्य में कंपनी इस तकनीकी का प्रयोग अन्य कारों में भी करेगी। हालांकि अभी इस बारे में कोई भी जानकारी साझा नहीं की गई है कि, कंपनी इस तकनीकी का प्रयोग अन्य किन कारों में करेगी। लेकिन जानकारों का मानना है कि, चूकिं इसे पहली बार मेबैक एस क्लॉस में प्रयोग किया गया है तो हो सकता है कि, कंपनी इसका प्रयोग अपनी एंट्री लेवल कारों में न करे।
इसके लिए मर्सिडीज-बेंज ने हाल ही में एक वीडियो भी जारी किया है जिसमें दिखाया गया है कि किस प्रकार से ये डिजिटल लाइटिंग तकनीकी कार में प्रयोग की जा रही है और इससे किस तरह के लाभ एक कार चालक को मिल सकते हैं। इस वीडियो में मर्सिडीज-बेंज मेबैक एस क्लॉस लगजरी सिडान कार का प्रयोग किया गया है जो कि इस आधुनिक तकनीकी से लैस है। इसके अलावा वीडियो में ये भी दिखाया जा रहा है कि, किस प्रकार से ये तकनीकी एक पैदल यात्री को डाइग्नोस करती है और ड्राइवर को हेडलैम्प के माध्यम से संदेश देती है।
मर्सिडीज-बेंज डिजिटल लाईट टेक्नोलॉजी पर ड्राइवस्पार्क के विचार:
निसंदेह ये मर्सिडीज-बेंज डिजिटल लाईट टेक्नोलॉजी एक क्रांतिकारी परिवर्तन है। जिस प्रकार आज के समय में आये दिन सड़कों पर हादसे होते हैं ऐसी दशा में कारों में प्रयोग किये जाने वाले इस तकनीकी से काफी सुधार आयेगा। इसके अलावा ड्राइवर भी समयानुसार अलर्ट मैसेज प्राप्त करेगा तो वो वाहन की गति, दिशा और स्थिती पर तत्काल प्रभाव से नियंत्रण रख सकेगा जिससे किसी भी प्रकार की दुर्घटना वाले स्थिती से बचा जा सकता है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से ये एक शानदार पहल है और भारत जैसे देशों में ऐसी तकनीकी की खास जरूरत है।
भारत में सड़कों के निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। जिस तरह से सड़कों का निर्माण हो रहा है उसी प्रकार से वाहनों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिल रहा है। साथ ही सड़कों पर आये दिन होने वाले हादसों की संख्या भी बढ़ रही है। इसलिए यदि कंपनी इस तकनीकी का प्रयोग अन्य कारों में भी करती है तो किसी भी तरह के एक्सीडेंट आदि से बचने की संभावनाएं और भी बढ़ जायेंगी।