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रोचक खबर: पहले से अब तक कितनी बदल गई है आपकी कार?
आज हम आपको अपने इस लेख में इसी बारे में बतायेंगे कि, आखिर आपकी कार पहले से कितना ज्यादा बदल गई है और वो कौन से फीचर्स हैं जो आपकी कार से नदारद हो चुके हैं।
परिवर्तन संसार का नियम है और ये कहावत हर जगह बिलकुल सटीक बैठती है। समय के साथ हर क्षेत्र में बदलाव देखने को मिलता है विशेषकर तकनीक और मशीनरी के क्षेत्र में इसका असर कुछ ज्यादा ही दिखता है। आॅटोमोबाइल इंडस्ट्री भी कुछ इसी तरह के बदलाव से होकर गुजरी है। एक वो दौर था जब कार के भीतर रील वाले आॅडियो कैसेट का प्रयोग होता था और समय के साथ सी.डी. डिस्क और आज यूएसबी, ब्लुटूथ का प्रयोग हो रहा है।
ऐसे ही बहुत से फीचर्स हैं जिन्होनें आपकी कार का दामन छोड़ दिया जिनकी जगह नये और अत्याधुनिक फीचर्स ने ले ली। इसके अलावा ऐसे भी कई फीचर्स हैं जिनका प्रयोग पहले नहीं होता था और उनकी सख्त जरूरत थी। समय के साथ तकनीकी का विस्तार हुआ और दुनिया के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने उन्हें खोज निकाला और आज उनका प्रयोग हमारी कारों में बखूबी किया जा रहा है। आज हम आपको अपने इस लेख में इसी बारे में बतायेंगे कि, आखिर आपकी कार पहले से कितना ज्यादा बदल गई है और वो कौन से फीचर्स हैं जो आपकी कार से नदारद हो चुके हैं और उनकी जगह नए डिवाइसेज और फीचर्स ने ले ली है। इसे हम आपको इन और आॅउट की भाषा में बतायेंगे इन यानि कि नई तकनीकी आ आना और आॅउट यानि कि पुरानी तकनीकी का जाना, तो आइये जानते हैं -
इन: कीलेस स्टॉर्ट
आज के समय में तकरीबन हर वाहन निर्माता कंपनी अपने वाहनों में इस बेहतरीन फीचर को शामिल कर रही है। इस फीचर की मदद से चालक को कार स्टॉर्ट करने के लिए चाभी घुमाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि वो चाभी को अपनी जेब में रखे हुए ही स्टॉर्ट कर सकता है। इसके अलावा इस फीचर की मदद से आपको कार का दरवाजा खोलने के लिए आपको कार तक आने की भी जरुरत नहीं है बल्कि आप थोड़ी दूरी से भी अपनी कार का दरवाजा खोल सकते हैं।
आॅउट: चाभी वाला इग्नीशन
सन 2008 तक तकरीबन 89 प्रतिशत कारों को स्टॉर्ट करने के लिए चाभी का प्रयोग होता था। लेकिन समय के साथ वाहन निर्माताओं ने अपने वाहनों में कीलेस एंट्री और कीलेस स्टॉर्ट जैसे फीचर्स को शामिल कर दिया और अब महज 38 प्रतिशत ऐसी कारें हैं जिनके दरवाजे को खोलने के लिए या फिर स्टॉर्ट करने के लिए चाभी का प्रयोग किया जाता है। ज्यादातर कारें कीलेस हो चुकी है।
इन: स्टॉर्ट स्टॉप टेक्नोलॉजी
स्टॉर्ट स्टॉप टेक्नोलॉजी को सबसे पहले हाइब्रिड कारों में इस्तेमाल किया गया था। एक बेहतर माइलेज के लिए ये एक बेहद ही शानदार तकनीकी है और इसे खास तौर पर इसी बात को ध्यान में रखकर तैयार भी किया गया था। लेकिन अब ये ज्यादातर कारों में इस्तेमाल की जा रही है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि जब आप एक स्टॉप पर आते हैं और रूकते हैं तो ये तकनीकी इंजन को बंद कर देती है जिससे इंधन की खपत नहीं होती है। इसके अलावा आप जैसे ही ब्रेक के पैडल से अपने पैर को हटाते हैं वैसे ही आपकी कार तत्काल स्टॉर्ट हो जाती है। शहरों के भारी जाम में ये तकनीकी काफी कारगर साबित हो रही है। भारी ट्रैफिक जाम में कई बार लोगों को सिग्नल आदि पर रुकना पड़ता है। ऐसे में ये टेक्नोलॉजी आपको बेहतर माइलेज प्रदान करते में मदद करती है।
आॅउट: आदर्श इंजन
आपको बता दें कि, जब स्टॉर्ट स्टॉप टेक्नोलॉजी का प्रयोग कारों में नहीं किया जा रहा था उस वक्त सामान्य तरह से ही इंजन को स्टॉर्ट और स्टॉप किया जाता था। सन 2008 में जब इस तकनीकी की शुरूआत हुई उस वक्त महज 3 प्रतिशत कारों में ही इस तकनीकी का प्रयोग होता था लेकिन अब 2018 में तकरीबन 40 प्रतिशत कारों में स्टॉर्ट स्टॉप तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है।
इन: टर्बोचार्ज इंजन
टर्बोचार्ज इंजन ने आॅटोमोबाइल जगत में एक जबरजस्त क्रांति ला दिया है। एक सामान्य इंजन के मुकाबले टर्बोचार्ज इंजन ज्यादा बेहतर परफार्मेंश और माइलेज प्रदान करता है। टर्बो चार्ज्ड एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से इंजन के भीतर हवा के दबाव को और भी बढ़ाता है। इंजन के चेंबर में हवा को और भी ज्यादा दबाने का मतलब ये होता है कि चेंबर में फ्यूल के लिए और भी ज्यादा जगह मिलती है और ज्यादा फ्यूल का सीधा मतलब होता है कि और भी ज्यादा उर्जा का उत्पन्न होना। जिससे इंजन का परफार्मेंश सीधे तौर पर बढ़ जाता है। एक सामान्य इंजन की तुलना में ये कहीं ज्यादा आउटपुट प्रदान करता है। शुरूआती दिनों में टर्बोचार्ज इंजन केवल स्पोर्ट कारों में पाया जाता था लेकिन सन 2008 में इसका प्रयोग सामान्य कारों में भी किया जाने लगा उस वक्त तकरीबन 10 प्रतिशत कारों में इस इंजन का प्रयोग किया जाता था लेकिन आज 2018 में ये आंकड़ा बढ़कर 45 प्रतिशत तक पहुंच चुका है।
आॅउट: सामान्य इंजन
अब सामान्य इंजन का समय लगभग जा चुका है। यहां तक कि एक समय था कि ट्रकों में भी सामान्य वी6 और वी8 इंजन का प्रयोग किया जाता था। लेकिन अब उनमें भी वी6 4 सिलेंडर टर्बोचार्ज इंजन प्रयोग किया जा रहा है। हालांकि सामान्य इंजन एक टर्बो चार्ज्ड इंजन वजन के अनुपात के अनुसार अधिक शक्ति प्रदान करने में सक्षम है, फिर भी यह कुछ टर्बो अंतराल के साथ उत्पन्न होता है। जिसका अर्थ यह है कि इसे पहियों तक पहुंचने में थोड़ी देरी होती है। वहीं सामान्य इंजन में ऐसी समस्या नहीं आती है लेकिन एक सामान्य इंजन टर्बो चार्ज्ड इंजन की तुलना में ज्यादा पॉवर जेनरेट करने में सक्षम नहीं होता है।
जेनॉन और एलईडी हेडलाईट
इस समय वाहन निर्माताओं के बीच अपनी कारों को सजाने का गजब का शगल देखने को मिल रहा है। सजावट की इस प्रतियोगिता में कारों की लाइटिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जिसके चलते जेनॉन लाइट्स का चलन आज के कारों में तेजी से बढ़ रहा है। जेनॉन लाइटें एक सामान्य हेडलाइट्स के मुकाबले ज्यादा प्रकाश देती है और इनकी लाइफ भी ज्यादा होती है। इसके अलावा कारों में एलईडी लाइटों का भी प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। ये लाइटें कार के लुक को भी काफी आकर्षक बनाती है। इसके अलावा एलईडी लाइटें कम पॉवर की खपत करता है। यदि आंकडों पर गौर करें तो सन 2008 तक तकरीबन 24 प्रतिशत कारों में जेनॉन और एलईडी लाइटों का प्रयोग किया जाता था लेकिन अब सन 2018 तक ये आंकड़ा बढ़कर 51 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
आॅउट: हाइलोजन बल्ब
अब आज के समय में हाइलोजन बल्बों का दौर लगभग जा चुका है ज्यादातर वाहन निर्माताओं ने अपने वाहनों से हाइलोजन बल्ब को हटा दिया है और उनकी जगह जेनॉन और एलईडी लाइटों ने ले लिया है। आज के समय में डे टाइम रनिंग लाइट का भी खासा चलन है जो कि दिन की रौशनी में भी चमकदार तरीके से आसानी से देखी जा सकती है। पिछले 10 सालों में हाइलोजन बल्बों के प्रयोग में तकरीबन 27 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
इन: टायर इन्फ्लेटर किट
आज के समय में हर कोई यही चाहता है कि उसकी कार में कम से कम सामान और ज्यादा से ज्यादा स्पेश हो। कोई भी बिना वजह की वस्तु अपनी कार में रखने से बचता है। ग्राहकों की इन्हीं मानसिकता को ध्यान में रखते हुए वाहन निर्माताओं ने कारों में एक्सट्रा स्पेयर टायर की जगह टायर इन्फ्लेटर किट देना शुरू कर दिया। ये एक ऐसा किट होता है जिसकी मदद से आप अपने कार के पहियों में हवा भर सकते हैं। अब जबकि ज्यादातर वाहनों में ट्यूबलेस टायर का प्रयोग किया जा रहा है तो ऐसे में ये किट खासी मददगार भी साबित हो रही है। इसके अलावा ये आकार में भी काफी छोटा है और इसे आसानी से कार के बूट में रखा जा सकता है। बजाय ये कि आप अपनी कार में एक एक्सट्रा स्पेयर टॉयर रखें। शुरूआती दौर में सन 2009 में तकरीबन 5 प्रतिशत कारों में टायर इन्फ्लेटर किट दिया जाता था लेकिन अब सन 2018 में लगभग 23 प्रतिशत कारों में टायर इन्फ्लेटर किट प्रदान की जा रही है।
आॅउट: स्पेयर टायर, स्टेपनी
आप सभी ने स्टेपनी का नाम बेशक सुना होगा। दरअसल पुराने वाहनों में विशेषकर एसयूवी वाहनों में पीछे की तरफ एक एक्सट्रा पहिया दिया जाता था। इसके अलावा कुछ वाहनों में ये कार के बूट में रखा जाता था। लेकिन अब ज्यादातर वाहन निर्माता अपने वाहनों में टायर इन्फ्लेटर किट दे रहे है। जिससे कार के भीतर स्पेश की खपत कम हो गई है। हालांकि अभी भी तकरीबन 45 प्रतिशत वाहनों में फ्लैट टायर का प्रयोग किया जा रहा है।
इन: डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर
आज का युग डिजिटल का है, हर कोई डिजिटलाइजेशन पर ज्यादा ध्यान दे रहा है। ठीक वैसे ही ट्चस्क्रीन और डिजिटलीकरण के इस दौर में वाहन निर्माताओं ने भी अपने वाहनों का डिजिटलाइजेशन कर दिया है। अब सामान्य सी सुईयों वाली यानि एनालॉग मीटर वाले इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर की जगह डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर ने ले ली है। जिसमें ज्यादा से ज्यादा जानकारी डिस्प्ले के माध्यम से दिखाई जाती है। अब ज्यादातर कारों में इस डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर का प्रयोग किया जा रहा है।
आॅउट: एनालॉग गेजेज
एनालॉग इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर जिसमें सुईयों के माध्यम से महज कुछ निर्देश और जानकारियां ही प्राप्त होती थीं अब उनका प्रयोग तकरीबन खत्म सा होता जा रहा है। आधुनिक युग के इस दौर में अब ज्यादातर लोगों का ध्यान डिजिटलडिस्प्ले पर हो गया है।
इलेक्ट्रिॉनिक पार्किंग ब्रेक
कुछ लग्जरी वाहन निर्माताओं ने एक नई तकनीकी का इजाद किया है जिसे इलेक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक के नाम से जाना जाता है। ये एक बेहद ही अत्याधुनिक तकनीक है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से आपको कार के पार्किंग ब्रेक के लिए लीवर या फिर हैंड का उपयोग नहीं करना होता है। इसके लिए बस आपको एक पार्किंग बटन दबाना होता है और ब्रेक अप्लाई हो जाता है। इस तकनीकी का प्रयोग मजदा सीएक्स-5 और बीएमडब्लू 5 सीरीज जैसी कारों में किया जा रहा है।
आॅउट: मैनुअल पार्किंग
मैनुअल पार्किंग अब धीमें धीमें कारों से दूर होती जा रही है। अब हैंड लीवर और फुट पैडल को गुड बाय कहने का वक्त आ गया है। हालांकि अभी इलेक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक का चलन जोर पकड़ रहा है लेकिन अभी भी ये कई वाहनों से दूर है। लेकिन ऐसी उम्मीद है कि जल्द ही इसका प्रयोग बढ़ेगा।