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फोक्सवैगन का 3.23 लाख कारों को रिकॉल, एनजीटी को सौंपा रोडमैप
एनजीटी के सामने 3.23 लाख कारों को रिकाल करके फोक्सवैगन ने एक बेहतर रोडमैप प्रस्तुत किया है। आइए इस खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जर्मन ऑटो प्रमुख फोक्सवैगन ने राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल से पहले भारत में 3.23 लाख कारों की रिकाल करने लिए एक यादगार रोडमैप प्रस्तुत किया है। रिकाल किए गए वाहन अत्यधिक उत्सर्जन को छिपाने के लिए डिफीट उपकरण से फिट थे।
इन कारों में लगाया गया यह डीफिट डिवाइस उत्सर्जन परीक्षणों में हेरफेर करने के लिए डीजल इंजनों में सुसज्जित एक सॉफ्टवेयर है। इससे गाड़ी प्रदुषण को बताती ही नहीं थी। जिसे लेकर अब फोक्सवैगन पूरे विश्व में कई मिलियन कारों को वापस करने की प्रक्रिया में है।
दिसंबर 2015 में, फोक्सवैगन इंडिया ने उत्सर्जन सॉफ्टवेयर को ठीक करने के लिए 3.23 लाख वाहनों की रिकाल करने की घोषणा की थी। इस ऑटोमेकर ने अमेरिका, यूरोप और अन्य बाजारों में बेची 11 मिलियन डीजल इंजन कारों में डीफिट डिवाइस के उपयोग को स्वीकार किया।
जस्टिस जवाद रहीम की अगुआई वाली एनजीटी की बेंच ने बुधवार को कहा था कि ‘प्रतिवादी संख्या 4 से 7 (फोक्सवैगन) ने 17 फरवरी के आदेश के क्रम में अपना जवाब सौंपा है। उन्होंने एक रोडमैप तैयार करना है और इसे कल तक जमा कर दिया जाएगा।
उन्हें इसे कल तक हर हालत में जमा कर देना चाहिए, जिसकी प्रति मामले से जुड़े सभी वकीलों को सौंपनी होगी।
इससे पहले, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) द्वारा आयोजित परीक्षण के बाद, वोक्सवैगन इंडिया ने ईए 18 9 डीजल इंजन के साथ लगाए 3.23 लाख कारों को याद करके सॉफ्टवेयर को तय करने का फैसला किया।
लेकिन वोक्सवैगन ने कहा है कि यह एक स्वैच्छिक रिकाल है, और कंपनी देश में उत्सर्जन मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए किसी भी आरोप का सामना नहीं कर रही है। ऑटोमेकर के वकील ने एनजीटी से कहा था कि, एआरएआई ने केवल 70 फीसदी रिकाल किए गए वाहनों के लिए नए सॉफ्टवेयर को मंजूरी दी है।
जवाब में, एआरएआई ने यह भी कहा कि वोक्सवैगन ने केवल 70 प्रतिशत वाहनों के लिए डिज़ाइन किया गया सॉफ़्टवेयर प्रस्तुत किया है। और अब तक बाकी 30 प्रतिशत वाहनों में सॉफ़्टवेयर को ठीक करना बाकी है। कम्पनी ने इस डिवाइस के साथ पूरे विश्व में 1 करोड़ से भी ज्यादा कारें बेची हैं।
क्या है डीफिट डिवाइस
‘चीट' या ‘डिफीट डिवाइस' डीजल इंजनों में लगाया जाने वाला सॉफ्टवेयर है, जिसके माध्यम से इमिशन टेस्ट के दौरान कार की परफॉर्मैंस बदल जाती है।
ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) ने लगभग दो साल पहले इमिशन सॉफ्टवेयर की समस्या का पता लगाने के लिए फोक्सवैगन के कुछ मॉडलों पर टेस्ट कराए थे और पाया था कि बीएस-4 नॉर्म्स की तुलना में ऑन-रोड इमिशन 1.1 से 2.6 गुना तक ज्यादा था।
DriveSpark की राय
वोक्सवैगन ने यूएस में डीजल वाहनों में हार डिवाइस के उपयोग को स्वीकार किया। तब से, automaker दुनिया भर के विभिन्न बाजारों में कई आरोपों का सामना कर रहा है।
ऑडी और पोर्श जैसी वीडब्ल्यू ग्रुप जैसे अन्य ब्रांडों पर भी अब यह आरोप लग रहा है। भारत में एनजीटी इस मुद्दे की जांच कर रही है। इस मामले की अगली सुनवाई 5 सितम्बर को हो सकती है।