Just In
- 3 hrs ago Bajaj Chetak इलेक्ट्रिक स्कूटर का किफायती वेरिएंट जल्द होगा लॉन्च, जानिए कितनी होगी कीमत?
- 7 hrs ago इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों को Google की सौगात, अब EV चार्ज करना होगा और आसान, जानें क्या है नया फीचर?
- 21 hrs ago 3 करोड़ की कार में वोट डालने पहुंचे साउथ सिनेमा के दिग्गज स्टार Dhanush, फैंस ने किया स्वागत
- 23 hrs ago हो जाइए तैयार! भारत में नई कार लेकर आ रही है Ford, Mahindra XUV700 को देगी टक्कर, जानें डिटेल्स
Don't Miss!
- Lifestyle इंटरव्यू के लिए बेस्ट हैं IAS रिया डाबी के ये 5 फॉर्मल ब्लाउज पैटर्न, देंगे प्रोफेशनल लुक
- News DC vs SRH: क्या डेविड वॉर्नर आज का मैच खेलेंगे? जानिए दिल्ली कैपिटल्स में उनको लेकर बड़ा अपडेट
- Movies सीमा हैदर की बहन रीमा के साथ गुलाम हैदर ने बनाया ऐसा वीडियो, जीजा के सामने गिड़गिड़ाई- हमारा जीना मुश्किल हो..
- Technology itel S24 की भारत में जल्द होने जा रही धमाकेदार एंट्री, पहले ही जान लें सभी डिटेल्स
- Education UP Board 12th Toppers List 2024:इंटर में सीतापुर के शुभम ने किया टॉप, 453 छात्र टॉप 10 में, देखें टॉपर्स लिस्ट
- Finance Antyodaya Scheme से क्या लाभार्थियों को मिल रहा है फायदा, क्या बन रहा है उनका जीवन बेहतर
- Travel 5 शहर जो जुझ रहे हैं अत्यधिक भीड़ की समस्या से, अभी ड्रॉप कर दें यहां घूमने जाने का प्लान
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
इलेक्ट्रिक वेहिकल के मसले पर इस वजह से भारत को मिला टेस्ला से झटका
भारत में इस वक्त हाईब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की चर्चा खूब हो रही है और सरकार इसके लिए कार्य करने का ढ़िढ़ोरा भी पीट रही है। लेकिन इसकी सच्चाई क्या है आप इस बारे में यह विचार पढ़ सकते हैं।
देश में पेट्रोलियम प्रदुषण को कम करने की दिशा में हाईब्रिड या इलेक्ट्रिक वेहिकल को प्रमोट करना एक बेहतरीन कदम हो सकता है, लेकिन इलेक्ट्रिक वेहिकल के लिए हमारे देश में अभी बुनियादी ढ़ाचा तैयार नहीं हो पाया है और हाईब्रिड वाहनों पर जीएसटी की हाई दरें लगाकर निर्माताओं का मनोबल तोड़ने का इंतजाम कर दिया गया है।
हालांकि इसका अर्थ यह नहीं है कि कम्पनियों का इससे कोई नुकसान हो रहा है लेकिन पर्यावरण के अनुकूल तैयार किए जानें वाले वाहनों पर निर्माता रियायतें चाहते हैं और वाहन उद्योग से जीएसटी को लेकर अब तक जो भी विरोध की आवाजें उठी हैं वह केवल हाईब्रिड वाहनों पर लगाए गए जीएसटी व सेस पर ही उठी हैं।
बताते चलें कि पर्यावरण के अनुकूल कारों और हाइब्रिड वाहनों पर 28 प्रतिशत कर और 15 प्रतिशत सेस लगाया गया है। इस तरह से देखा जाए यह पूरी दर 43 प्रतिशत तक बढ़ गई और इसी बढ़ी हुई कीमत को निर्माता अपने लिए झटके की तरह देख रहे हैं।
कम्पनियों के संगठन सियाम ने इस बाबत कई बार सरकार से आग्रह भी किया कि वह कम से कम हाईब्रिड वाहनो पर जीएसटी की दरें कम करें लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। हालांकि दूसरी ओर सरकार ने हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवीएस) को फेम की योजना के तहत कम्पनियों को मार्च 31, 2018 तक प्रोत्साहन राशि देते रहने का फैसला किया है।
इसके तहत हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों में बाइक के लिए 29,000 रुपये और कारों के लिए 1.38 लाख रुपये तक की छूट मिलती है लेकिन यह योजना केवल ग्राहकों को खरीद पर है और बढ़ाई गई डेट केवल छ महीनों के लिए है।
ऐसे में अभी तो यह प्रोत्साहन राशि अनिश्चित है ही और दूसरी सच्चाई यह भी है कि पिछले दिनों टेस्ला प्रमुख एलन मस्क ने भारत के 2030 तक सभी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक करने के मिशन की तारीफ करने के बाद भी यह प्रोजेक्ट चीन को सौंप दिया।
इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण इलेक्ट्रिक या हाईब्रिड वाहनों को लेकर भारत के पास किसी ठोस रणनीति का ना होना ही है जबकि चीन पूरी रणनीति के साथ और कानून बनाकर इस दिशा में आगे बढ़ रहा है लेकिन भारत में अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।
अगर भारत इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण के लिए कड़े कानून और नीति बनाता तो हो सकता था कि आज टेस्ला चीन की बजाय भारत में अपना विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने पर विचार जरूर करता, लेकिन अभी तक सरकार ने इस ओर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया है।
हालांकि टेस्ला से झटका लगने के बाद उर्जा मंत्री उर्जा मंत्री आरके सिंह ने इलेक्ट्रिक वाहन और स्टोरेज सिस्टम निर्माताओं की बैठक बुलाई और उनसे उन क्षेत्रों में निवेश शुरू करने के लिए कहा। पर वास्तविकता यही है कि अभी भारत को इस दिशा में बहुत सफर तय करना है।
कुछ कम्पनियां जैसे महिन्द्रा और टाटा आदि हैं जो इलेक्ट्रिक वेहिकल तैयार करती हैं पर भारतीय सड़कों पर केवल महिन्द्रा की दो कारें और टाटा की एक कार विदेश की सड़कों पर चल रही हैं। आने वाले दिनों में टाटा की नैनो और महिन्द्रा की केयूवी 100 का इलेक्ट्रिक वर्जन भारतीय सड़कों पर आ सकता है।
पर ओवरआल प्रगति देखी जाए तो यह नाकाफी है। दरअसल सरकार की इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण की योजना फिलहाल अभी शैशव अवस्था में ही है और लक्ष्य साल 2030 तक भारत से डीजल और पेट्रोल वाहनों को खत्म कर देना है। ऐसे में सरकार अगर निर्माताओं की भी समस्याओं को समझते हुए कोई बीच का रास्ता निकालें तो बात बन सकती है।
फिलहाल टेस्ला द्वारा भी इलेक्ट्रिक वेहिकल के मामले में भारत को झटका देना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है क्योंकि टेस्ला ने भारत के लिए रास्ते बंद नहीं किए हैं और भारत वाहनों का इतना बड़ा बाजार है कि टेस्ला का भारत की अनदेखी करना आसान नहीं होगा।
..ये लेखक के अपने निजी विचार हैं।