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बीएस-6 ईंधन का बीएस-4 इंजन पर क्या पड़ेगा प्रभाव? बता रहे हैं एक्सपर्ट
बीएस-4 इंजन पर बीएस-6 ईंधन का उपयोग करने से पेट्रोल वाहनों के उत्सर्जन में कमी आ जाएगी, लेकिन डीजल वाहनों पर इसका असर बहुत ज्यादा नहीं पड़ेगा।
राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के खतरनाक स्तरों को दूर करने के लिए बीएस-6 ईंधन की शुरूआत करने के केंद्र सरकार के फैसले से प्रदुषण के कणों के कम उत्सर्जन करने होने में मदद मिलेगी। इस बात को ऑटो विशेषज्ञों नें बताया है कि बीएस-6 ईंधन में मौजूद कम सल्फर सामग्री वाहनों से कण उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगी।
लेकिन ऑटो उद्योग के विशेषज्ञों ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं को पूरी तरह से दूर करने के लिए केवल बीएस-6 फ्यूल ही नहीं बल्कि उसके इंजन का भी होना जरूरी बताया है। कॉन्टिनेंटल ऑटोमोटिव कॉन्टोनेंट्स में पॉवरट्रेन के प्रमुख सूरजीत राधाकृष्णन ने इस बाबत अपनी बात इकोनामिक्स टाइम्स ऑटो के हवाले से कही है।
उन्होंने कहा कि बीएस-4 इंजन पर बीएस-6 ईंधन के इस्तेमाल करने से पेट्रोल वाहनों के उत्सर्जन में मामूली कमी आ जाएगी, लेकिन डीजल वाहनों पर इसका असर बहुत ज्यादा नहीं पड़ने वाला है लेकिन बीएस-6 ईंधन पर चलने वाले बीएस4 डीजल वाहन के उत्सर्जन में 3-5% की कमी आ सकती है।
राधाकृष्णन ने विशेष रूप से राजधानी दिल्ली में बीएस-6 वाहनों को तैयार करने पर जोर देते हुए कहा कि मौजूदा फैसला अव्यवहारिक है। उन्होंने कहा कि अगर बीएस-6 फ्यूल के साथ बीएस-6 इंजन हो तो ज्यादा बेहतर है। इसका निर्यात करने पर भी बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला है।
इस संदर्भ में दिल्ली स्थित कार निर्माता के आर एंड डी डिवीजन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बीएस-6 ईंधन में सल्फर की मात्रा कम है। इसलिए, अगर बीएस-6 ईंधन का इस्तेमाल बीएस-4 में होता है तो इससे उत्सर्जन के कणों में आएगी लेकिन इस बात को परखने के लिए अभी तक कोई रिसर्च नहीं किया गया है।
Drivespark
की
राय
कुल
मिलाकर
रिजल्ट
यह
निकलता
है
कि
अगर
बीएस-6
फ्यूल
के
साथ
बीएस-6
इंजन
हो
तो
प्रदुषण
को
कम
करने
में
ज्यादा
मदद
मिलेगी
लेकिन
बीएस-6फ्यूल
के
साथ
बीएस-4
इंजन
को
चलाया
जाएगा
तो
इससे
प्रदुषण
की
मात्रा
में
थोड़ी
सी
कमी
आएगी
लेकिन
यह
कोई
प्रमाणिक
बात
नहीं
है।