Just In
- 6 hrs ago Tesla को टक्कर देने के लिए Xiaomi ने लॉन्च की पहली इलेक्ट्रिक कार, सिंगल चार्ज में मिलेगी 810KM की रेंज
- 21 hrs ago अब Toll प्लाजा और Fastag से नहीं, इस खास सिस्टम से होगा Toll Collection! नितिन गडकरी ने दिया बड़ा अपडेट
- 24 hrs ago हो जाइए तैयार: 15 अगस्त को आ रही है Mahindra Thar 5-door SUV, पावरफुल इंजन के साथ मिलेंगी जबरदस्त फीचर्स
- 1 day ago Jackie Shroff : बॉलीवुड के जग्गू दादा का कार कलेक्शन देख हैरान हो जाएंगे आप, गैराज में खड़ी है BMW और Jaguar
Don't Miss!
- News 'DHONI ने साक्षी भाभी के अलावा सिर्फ मुझे ही...', रविंद्र जडेजा ने किया बड़ा खुलासा
- Movies फराह खान ने दीपिका-शोएब के घर में की इफ्तारी, बेटे रुहान को दिया इतना कीमती तोहफा
- Technology Amazon से Samsung, Oneplus समेत इन फोल्डेबल फोन्स को सस्ते में खरीदें, जल्दी करें, यहां देखें लिस्ट
- Lifestyle Curd Benefits For Skin: रोजाना चेहरे पर दही मलने से पिग्मेंटेशन और मुंहासे की हो जाएगी छुट्टी, खिल उठेगा चेहरा
- Travel खुल गया है लद्दाख पहुंचने का नया रास्ता, मनाली से लेह को जोड़ने वाला यह है सबसे छोटा रूट
- Finance 4 ETF Mutual Fund ने 3 साल में इन्वेस्टरों को दिया जबरदस्त रिटर्न
- Education एनआईओएस कक्षा 10वीं, 12वीं हॉल टिकट 2024 हुए जारी, जानें कैसे करें डाउनलोड
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
प्रीमियर पद्मिनी को सलाम...
अगर आप बीती सदी के मध्य में पैदा हुए हैं, तो इस बात की संभावना है कि आपके पास प्रीमियर पद्मिनी होगी या आपने चलायी होगी या फिर कम से कम आपने इसकी सवारी तो जरूर की होगी। यह इटालियन डिजाइन कार फिएट 1100 डी पर आधारित थी। और भारतीय कार बाजार में इसे प्रीमियर ऑटोमोबाइल (पीएएल) 'पाल' ने 1964 में उतारा।
यह भी पढ़े: जाते जाते हिन्दुस्तान की अम्बेस्डर को सलाम
फिएट के नाम से मशहूर इस कार का मुख्य मुकाबला हिन्दुस्तान मोटर्स की अम्बेस्डर से था। अपने काम्पेक्ट डिजाइन, नये स्टाइल और बेहतर ईंधन खपत जैसी खूबियों के कारण ग्राहक इस कार को अधिक तवज्जो देते। आजकल यह कार बहुत कम नजर आती है। हां, अगर आप मुंबई में हैं, तो आप टैक्सी के रूप में इस कार को देख सकते हैं।
कहानी अगले हिस्से में जारी है। आगे की कहानी के लिए स्लाइड्स पर क्लिक करें।
अगली स्लाइड्स में कहानी जारी है।
Picture credit: Wiki Commons
Sreewave
अम्बेस्डर का स्पोर्टी विकल्प, 1100 डी (या डिलाइट) साठ के दशक के मध्य में भारतीय कार बाजार में आया। इस कार में कार्बोरेटर, चार सिलेण्डर पेट्रोल इंजन था। यह इंजन 40 बीएचपी की शक्ति और 71 एनएम का टॉर्क देता था। हालांकि, रफ्तार पकड़ने के मामले में कार जरा अधूरी मालूम पड़ती थी। इस कार की टॉप स्पीड 125 किलोमीटर/घंटा थी। भले ही आप इसे इस टॉप रफ्तार तक दौड़ा पायें या नहीं यह पूरी तरह से एक अलग सवाल है।
Picture credit: Flickr
ninadsp
कुछ लोगों ने ऐसा किया भी। कार कुख्यात शोलावरम और सीएमएससी रेस ट्रैक पर दौड़ायी गयी। ये ट्रैक क्रमश: चेन्नई और कोलकाता में थे। यहां इस कार का मुकाबला सिपानी डॉल्फिन, हिन्दुस्तान मोटर्स की अम्बेस्डर और स्टैंडर्ड हेराल्ड से हुआ। फिएट ने रैलियों में भी भाग लिया। आप उम्मीद कर सकते हैं कि उस दौर में रेसिंग कितनी मुश्किल और चुनौतीपूर्ण रहती होगी। खासतौर पर कॉलम-शिफ्टर चार स्पीड मैनुअल गियर बॉक्स के साथ। लेकिन, यह पुराना चावल वहां भी अपनी महक छोड़ने में कामयाब रहा।
Picture credit: Subhodeep Ghosh
अंदर से देखने पर पद्मिनी में काफी ठहराव नजर आता था। इस कार के अंदर बस मूलभूत स्विच और बटन होते थे। डैशबोर्ड के अधिकतर हिस्से पर धातु की शीट हुआ करती है। आजकल आप कारों में ऐसा नहीं देखते हैं। कार को ड्राइव करने के लिए आपको बिलकुल सीधा बैठना पड़ता था। लंबे ड्राइवरों को अकसर अपनी एक बाजु खिड़की से बाहर निकालनी पड़ती थी। और आज भी मुंबई के कई टैक्सी चालक ड्राइविंग का यह स्टाइल आजमाते हैं।
Picture credit: Wiki Commons
Aniyer
1970 और 1980 के दशक में कार ने अपना चरम देखा। लेकिन, चलाने में आसान मारुति 800 और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वियों के आने का अर्थ यह था कि पद्मिनी के डिजाइन और ड्राइविंग अंदाज के लिए कड़ी चुनौती पेश होने वाली थी। चुनौती जिसमें पद्मिनी को हार मिलना तय नजर आ रहा था।
Picture credit: Wiki Commons
luc106
1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद विदेशी कार निर्माताओं को देश में ही अपनी कारें निर्माण करने की छूट मिल गयी। उनके अधिक आधुनिक और बेहतर माइलेज देने वाले उत्पादों का तीस साल पुरानी पद्मिनी के पास कोई जवाब नहीं था।
मुकाबले में बने रहने के लिए पीएएल ने बकेट सीट, जमीन से उठकर आने वाले गियर बॉक्स और निसान के दो इंजन, एक पेट्रोल और एक डीजल जैसी खूबियां जोड़ीं। लेकिन, यह आखिरी कोशिश भी नाकाम साबित हुयी। फिएट का शांत मौत मरना तय था। कार का निर्माण 1997 में बंद कर दिया गया। तब प्रीमियर ने शेयरों का अधिकांश हिस्सा फिएट को वापस बेच दिया।
Picture credit: Flickr
photobeppus
आज सबसे ज्यादा प्रीमियर पद्मिनी आर्थिक राजधानी मुंबई में नजर आती हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि इतने साल तक इस कार का निर्माण कुर्ला में होता रहा। काली-पीली टैक्सी के रूप में पद्मिनी आज भी मुंबई के ट्रैफिक में दौड़ती नजर आ जाएगी। हालांकि कई यान्री अधिक रफ्तार वाली और आरामदेहर ह्युंडई सैंट्रो और मारुति वैगन-आर जैसी कारों को तरजीह दे रहे हैं।
निजी कार के रूप में पद्मिनी का इस्तेमाल लगातार कम होता जा रहा है। अगर आपके करीब से कोई अच्छी तरह मैंटेन की गयी पद्मिनी निकले तो बेशक सबकी नजरें उठकर उसकी ओर जाएंगी। लेकिन, बहुत जल्द आपको इस कार के वर्तमान की कड़वी हकीकत का अंदाजा हो जाएगा।
Picture credit: Wiki Commons
Greg O'Beirne
पद्मिनी से पहले पीएएल ने अधिक काम्पेक्ट फिएट 1100-103 भारतीय कार बाजार में उतारी थी। इस कार को पीएएल ने आयात किया था। अपनी लाइफ साइकिल में इसे तीन मॉडल्स के रूप में बेचा गया। पहली मिलेसेंटो, सलेक्ट और सुपर सलेक्ट। पद्मिनी में जो फिनटेल्स आप देखते थे वह पहले पहल सुपर सलेक्ट में 1958 ही लगायी गयी थी। इस कार में लगे दरवाजे भी 'उल्टी ओर' खुलते थे, यह खूबी आजकल के लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करती है। हालांकि संग्रहकर्ताओं की नजर में इस कार को 'क्लासिक कार' के रूप में सराहा गया, लेकिन इसके कलपुर्जे जुटाना बहुत ही मुश्किल हो रहा है।
Picture credit: Wiki Commons
Ekki01