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व्यवसायीक वाहनों में एबीएस होगा जरूरी
सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने सभी व्यवसायीक वाहनों में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (एबीएस) लगाना अनिवार्य कर दिया है।
एबीएस सबसे पहले 1929 में हवाई जहाजों में इस्तेमाल किया गया था। फ्रांसीसी एयरक्रॉफ्ट गेबरिल वोइसिन ने पहले पहल इसका इस्तेमाल किया था। एबीएस कड़े ब्रेक लगाने की स्थिति में टायरों को सड़क पर कर्षण देता है, जिससे पहिये लॉक नहीं होते। जब पहिये लॉक नहीं होते, तो उनमें बेहतर कर्षण होता है। एबीएस टायरों में विद्युतीय दबाव प्रदान कराता है। इससे ड्राइवर को बेहतर कंट्रोल मिलता है और वह रास्ते में आए वाहन, व्यक्ति, वस्तु अथवा पशु से गाड़ी को सुरक्षापूर्वक बचा सकता है।
दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं के मामले में भारत पहले पायदान पर है। 2012 के एक सर्वे के मुताबिक देश भर में पांच लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.42 लाख लोगों ने जान गंवायी। इनमें 30 फीसदी मामलों में बस और ट्रक जैसे व्यवसायीक वाहन जिम्मेदार थे।
एक अन्य सर्वे के मुताबिक 77 फीसदी सड़क दुर्घटनायें अधिक गति वाहन के नियंत्रण खोने या फिसलने के कारण हुईं।
सरकार आगामी वित्त वर्ष से सभी नये व्यवसायीक वाहनों में एबीएस फिट चाहती है।
एबीएस यात्री वाहनों में सीट बेल्ट के बाद दूसरा सबसे जरूरी सुरक्षा उपकरण है। हालांकि वाहन निर्माताओं का कहना है कि एबीएस लगाने से वाहनों की कीमत एक लाख रुपये अधिक हो जाएगी।
भारत सरकार इसके साथ ही एयरबैग्स और हेडअप डिस्प्ले जैसे सुरक्षा उपकरण लगाने की योजना पर विचार कर रही है। इससे ड्राइवर सड़क पर अधिक सचेत होकर वाहन चला पाएंगे। इससे सड़क दुर्घटनाओं में और कमी आएगी।