Just In
- 8 hrs ago 3 करोड़ की कार में वोट डालने पहुंचे साउथ सिनेमा के दिग्गज स्टार Dhanush, फैंस ने किया स्वागत
- 9 hrs ago हो जाइए तैयार! भारत में नई कार लेकर आ रही है Ford, Mahindra XUV700 को देगी टक्कर, जानें डिटेल्स
- 11 hrs ago खुशखबरी! 32 शहरों में मेगा सर्विस कैंप लगाने जा रही है Jawa Yezdi, मिलेंगे ये फायदे, जानें डिटेल्स
- 12 hrs ago अब Royal Enfield की बाइक से करें वर्ल्ड टूर, नई बाइक खरीदने की भी नहीं होगी जरुरत, जानें प्लान
Don't Miss!
- News मध्य प्रदेश के ग्वालियर में लगी भीषण आग, मौके पर दमकल की 17 गाड़ियां
- Education UP Board 12th Result 2024: यूपी बोर्ड 12वीं रिजल्ट 2024 कल 2 बजे आयेगा, यहां देखें UPMSP Result डाउनलोड लिंक
- Movies OOPS: बेटे अरहान से गंदी बातें करने के बाद अब इस हाल में दिखी मलाइका, बार-बार ठीक करती रही लटकती फिसलती ड्रेस
- Lifestyle Blackheads Removal Tips: नहीं निकल रहे हैं ठुड्डी पर धंसे हुए ब्लैकहेड्स? 5 मिनट में ये नुस्खें करेंगे काम
- Technology Vivo के इस 5G फोन की कल होने जा रही एंट्री, लॉन्च से पहले कीमत से लेकर फीचर्स तक की डिटेल लीक
- Travel हनुमान जयंती : वो जगहें जहां मिलते हैं हनुमान जी के पैरों के निशान
- Finance Employee Count: देश की टॉप IT कंपनियों में कम हो गए 63,759 कर्मचारी, जानें किस कंपनी में कितने लोग हुए कम
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
हिन्दुस्तानी कारों की दस खूबियां
भारत में हमारी सोच जरा अलग है। हम लोगों को सड़क पर रास्ता बताते रहते हैं। लेकिन, हम लोग अकसर बिलकुल बायीं लेन से दायीं ओर यू-टर्न ले लेते हैं। सड़क पर हम लड़ते रहते हैं। बदजुबानी करते हैं। गुस्से में लगातार हॉर्न बजाते हैं। और इसके बाद बाकी पूरे रास्ते गुस्से में गाड़ी चलाते रहते हैं। यातायात की चुनौतियों से निपटते हुए हम अकसर बुरी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। और हम इसी तरह की ड्राइविंग करते हैं।
यह भी पढ़े: कम जगह में कार पार्क करने का हुनर है जरूरी
हमारी कारों की भी अपनी कहानी होती है। भारत में पर्सनल ट्रांसपोर्ट को लेकर कार कंपनियां बेहद गंभीर हैं। आजकल कारें खासतौर पर भारत के लिए डिजाइन की जाती हैं। या आप इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि कारों को अपने यूरोपीय अवतारों से काफी अलग रूप में उतारा जाता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि भारत में ऑटोमोबाइल कंपनियों ने यहां की कारों में कुछ खास लक्षण और खूबियां डाली हैं। हमने ऐसी ही दस खूबियों को चुना है, जो हमारी कारों को दुनिया की अन्य कारों से अलग करती हैं। पढि़ये और हमें बताइये कि क्या आप हमारी इस लिस्ट से सहमत हैं या नहीं।
कहानी अगले हिस्से में जारी है। अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें।
कहानी अगले स्लाइड में जारी रहेगी।
1. हमारी कारें कॉम्पेक्ट हैं
हमारी कारें ज्यादातर इस प्रकार डिजाइन की जाती हैं कि वे भारी ट्रैफिक और पार्किंग की परेशानियों से बच सकें। हमारी कारों के आकार को लेकर कानून भी मौजूद हैं। जैसे चार मीटर से कम बड़ी कार को एक्साइज ड्यूटी में छूट मिलती है। इसलिए हमारे यहां कॉम्पेक्ट कारें ज्यादा बिकती हैं। अब इस परिस्थिति की तुलना अमेरिका से कीजिये। वहां शेवरले क्रूज को कॉम्पेक्ट सेडान कहा जाता है। ह्युंडई एक्सेंट को शायद रोलर स्केट कहा जाए तो...
2. हैचबैक पीछे से बड़ी होती हैं
भारत में होंडा ब्रियो कभी कामयाब नहीं हो पाई, हालांकि यह एक अच्छी कार थी। शायद इस कार का लुक ज्यादातर लोगों को पसंद नहीं आया। हालांकि यह एक अलग कहानी है। लेकिन, इसके बाद होंडा ने कार में बूट लगाने का फैसला किया और इसके बाद यह देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों में शुमार हो गई। दरअसल, इस समय देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार सुजुकी स्विफ्ट और स्विफ्ट डिजायर है, इन दोनों में बूट स्पेस मौजूद है। हालांकि स्टाइल डिपार्टमेंट में आप इन कारों में काफी कुछ छूटा हुआ महसूस कर सकते हैं, लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि यह चार मीटर से छोटी ये कारें पारंपरिक हैचबैक के क्षेत्र में काफी व्यवाहारिक दृष्टिकोण लेकर आयीं। हमें बड़ा बूट स्पेस पसंद है और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।
3. क्रोम काफी पसंद किया जाता है
हमें चमक पसंद है। और हमारी नजर में ज्यादा क्रोम का अर्थ है ज्यादा प्रीमियम लुक और यह कार को खास बनाता है। दुर्भाग्य कार निर्माता इस धारणा का पालन करते हैं। और अपने उत्पादों में अकसर क्रोम का इस्तेमाल करते हैं। इससे उनकी कार अधिक सुहावनी और क्लासी नजर आती है। हालांकि होंडा जैसी कंपनी जो दुनिया भर में अपने स्पोर्टी अंदाज के लिए जानी जाती है, भी अपनी कारों में काफी चमकीला क्रोम इस्तेमाल करती है। होंडा की नयी सिटी इसका उदाहरण है। इसके साथ ही एक परंपरागत सजी संवरी लाइसेंस प्लेट भी होती है। सिंह इज ब्लिंग।
4. 'स्पोर्ट' अवतार और लिमिटेड एडिशन गाडि़यां बहुत अजीब सी दिखती हैं
जब हमारे देश में कोई 'स्पोर्ट' वेरिएंट उतारा जाता है, तो बाजार में इसे लेकर बहुत बातें होती हैं। ज्यादातर मामलों में कार के इंजन में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाता। इसके स्थान पर बहुत अजीब से ग्राफिक्स इस्तेमाल किये जाते हैं। इसमें लकड़ी की तरह दिखने वाले उत्पादों का प्रयोग, और पहले से ज्यादा क्रोम का इस्तेमाल किया जाता है। कार निर्माता बस इतना ही बदलाव करते हैं। अब आप कह सकते हैं कि वे स्पोर्टस अवतार को केवल प्रैक्टिस के लिए ही बनाते हैं। ह्युंडई ग्रांड आई10 स्पोटर्स एडिशन इसका ताजा उदाहरण है। और हमने मारुति 800 यूनिक में रचनात्मक डेकल्स देखे हैं।
5. सुरक्षा एक प्रीमियम के तौर पर आती है
सुरक्षा बाद में, पहले ग्राहकों को ब्लूटूथ दें। भारत में वाहन निर्माताओं की यही सोच नजर आती है। एयरबैग्स, एबीएस और ईएसपी अब भी कई कारों की लिस्ट में शामिल नहीं है। खतरनाक बात यह है कि भारत में हाईवे पर कारों की सामान्य औसत रफ्तार में इजाफा हुआ है। लेकिन, आज भी हमारी कारों में सुरक्षा के मूलभूत फीचर्स मौजूद नहीं हैं। तो, हमारा देश दुनिया में गाड़ी चलाने के लिए सबसे असुरक्षित स्थान बना हुआ है।
6. एक्सेसीरीज तौबा-तौबा
चाहे यह स्पायलर हों, बोल्ट-ऑन गॉर्ड और बम्बर, एक्सट्रा लाइट्स हों या फिर रूफ रैक, इन सबमें क्लास और फिनिश की खामी साफ देखी जा सकती है। हमने देखा कि टोयोटा इनोवा में साइड स्टेप कार की साइड बॉडी पैनल से काफी बाहर था। जरा सोचिये कि ऐसी कार एक भीड़ भरी सड़क पर चल रही है और ऐसे में पैदल चलते किसी यात्री को कितनी आसानी से चोटिल कर सकती है। हालांकि, भले ही इनसे जान को कोई खतरा न हो, लेकिन बाजार में मौजूद ज्यादातर एक्सट्रा फिटिंग यानी एक्सेसीरीज पर काफी खास ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
7. बेज़ आवश्यक
केबिन में हल्के रंग की जरूरतें किसी किसी को सजीला और अपमार्केट लग सकती हैं, लेकिन क्या हम सब इस बात को तो नहीं भूल जाते हैं कि हल्के रंग के इंटीरियर पर कुछ ही समय बाद धूल मिट्टी जमने लगती है। और इस हिस्से को पूरी तरह साफ रख पाना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। लेकिन, हमें आखिर में यही पसंद आता है। भारत में डैशबोर्ड पर कॉफी गिरना कोई बड़ी बात नहीं।
8. बहुत कम हैं स्पोर्टी कार
इसकी बड़ी वजह हमारी बदनाम सड़के हो सकती हैं। लेकिन, हम उस इलाके के लोग हैं जो कार में पनपती है और टेढ़े-मेढे रास्तों पर कारों की रेस लगाते हुए भी हमारे दिलों की धड़कन काबू में रहती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारी कार में बीवी, दोस्त, ससुराल वाले सब सफर करते हैं और कई बार तो एक साथ सफर करते हैं। और तो और, सड़क पर हमारी कारों की हैंडलिंग भी अच्छी नहीं होती। लेकिन, आमतौर पर हमारी कारें आरामदेह सफर के लिए तैयार की जाती हैं। नतीजा यह होता है कि उत्साही ड्राइवर पर भी आराम से और शांति से गाड़ी चलाने का दबाव बनाया जाता है।
9. पहिये छोटे होते हैं
हमारे यहां बामुश्किल ऐसे टायर होते हैं जो व्हीप पर पूरी तरह फिट आएं। ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि बड़े टायर या लो प्रोफाइल टायर डामर भरी सड़कों के लिए माकिफ नहीं होते। बड़े रिम्स के टूटने का खतरा अधिक होता है। क्योंकि हमारे देश की सड़कों पर बड़े-बड़े स्पीड ब्रेकर होते हैं। इसके साथ ही भारत में हम काफी सफर करते हैं, इसलिए सड़क के घर्षण का बेहतर सामना करने के लिए आपको छोटे टायरों की जरूरत पड़ती है। हालांकि, हमारे देश में सड़क सुविधाओं में धीरे-धीरे ही सही इजाफा हो रहा है। हाल ही में लॉन्च टाटा जेस्ट में 15 इंच के एलॉय व्हील हैं।
10. कारों का वजन
भारतीय कार खरीदते समय इंटीरियर में जगह को काफी महत्ता देते हैं। और हर कार निर्माता केबिन में अधिक से अधिक स्थान मुहैया करवाने की कोशिश करता है। अव्यवस्थात्मक यातायात के कारण हमारी कारें अधिकतर तो ड्राइवर ही चलाते हैं, इससे इंटीरियर की पैकेजिंग में काफी इंजीनियरिंग को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही कई बार हम देखते हैं कि कई बार बड़े परिवार भी वैगन आर जैसी छोटी कारों में फिट आ जाते हैं। हम देखते हैं कि वैगन आर में छह सात लोग बैठ जाते हैं। और इसे पूरी तरह सामान्य माना जाता है। और कार में स्पेस की दौड़ अभी जारी है।
और आखिर में
तो, हमनें आपको बतायी भारत में वाहनों में क्या खास बातें होती हैं। क्या आप इसमें कुछ जोड़ सकते हैं। अगर आप एक अंतरराष्ट्रीय पाठक हैं, तो हमें बताइये कि आपके देश में कारें हमारें यहां से कैसे अलग होती हैं। अपने विचार हमारे साथ साझा कीजिये। आपके विचार हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।