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दैटसन गो रिव्यू: क्या अल्टो को दे पाएगी मात?
अपनी कमर की पेटी बांध लीजिए और हो जाइए तैयार दैटसन गो के पहले आभासी सफर पर। अनोखे फाइव डोर, पांच सीटों वाली हैचबैक को खासतौर पर पहली बार कार खरीदने वालों को ध्यान में रखकर बनाया है।
इससे पहले कि 2014 दैटसन गो के बारे में जानें, हम सोचते हैं कि आपको दैटसन के जुड़ी कुछ पुरानी यादों से रूबरू करा लें। दैटसन जापानी कार निर्माता कंपनी निसान का ब्रांड है।
क्या आप जानते हैं कि दैटसन का पहला मॉडल 1931 पर सड़कों पर दौड़ा था। इसी बरस दिल्ली ने देश की राजधानी के रूप में काम करना शुरू किया था।
दअसल, 1958 से 1986 तक जापान से सभी वाहनों का निर्यात दैटसन ब्रांड के अंतर्गत ही किया जाता था। 1986 में निसान ने इस कार का निर्माण बंद कर दिया और फिर वर्ष 2013 में इसे दोबारा लॉन्च किया गया।
नये बैनर के साथ पहली कार जो सामने आयी, वह है दैटसन गो। इस कार ने ब्रांड को काफी शानदार तरीके से लॉन्च किया। ब्रांड की नजर भारत जैसे उभरते बाजारों पर हैं। इन देशों में कम लोग कम कीमत पर अधिक माइलेज देने वाली कारों को तवज्जो देते हैं।
भारत में, भारत के लिए बनायी गयी दैटसन 'गो' क्या वास्तव में उम्मीदों को पूरा कर पाएगी। दैटसन गो में जहां बेस्ट इन क्लास टॉर्क है, वहीं इसके उलट इसमें प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है। हमने दैटसन गो की खूबियां और खामियों को बारीक नजर से परखा है। तो, देर किस बात की चलिए शुरू करते हैं इस कार के रिव्यू का अपना सफर।
तस्वीरों में दैटसन गो रिव्यू देखने के लिए क्लिक करें:
भारत में दैटसन गो 19 मार्च 2014 को लॉन्च की गयी। दैटसन गो के रिव्यू को देखने के लिए क्लिक करें।
- मॉडल टेस्ट किया गया पेट्रोल, टॉप एंड वेरिएंट (टी)
- कार टेस्ट की:- जोबो कुरुविला (चीफ एडिटर)
- कितने किलोमीटर चलाई:- 150 किलोमीटर, हैदराबाद
- डी - रुपए 312,270
- ए - रुपए 346,482
- टी - रुपए 369,999
- दैटसन गो - 265
- मारुति अल्टो के10- 160
- ह्युंडई इऑन 215
- सफेद और नीला रंग
- डिजिटल टेकोमीटर
- एवरेज फ्यूल इकोनोमी मीटर
- तात्कालिक फ्यूल इकोनोमी
- लो फ्यूल चेतावनी
- ट्रिप मीटर
- इलेक्ट्रॉनिक फ्यूल गैज
- गियर शिफ्ट गाइड
- पावर स्टीयरिंग
- पावर विंडो
- जुड़ी हुई अगली सीटें
- मोबाइल डॉकिंग स्टेशन (MDS)
- सेंट्रल लॉकिंग (मेनुअल)
- एसोसेरी सॉकेट (12V)
- फ्रंट स्पीकर, दोनों ओर एक
- डोर पॉकेट जिसमें 1.5 लिटर की कैपेसिटी है
- इंटेलिजेंट वाइपिंग सिस्टम (आईडबल्यूयूएस) (इसमें गाड़ी की स्पीड के हिसाब से वाइपिंग की स्पीड तय होती है, ना कि अन्य कारों की तरह वाइपर का एक तय समय होता है)
- दैटसन गो (m) - 4.6
- मारुति अल्टो के10 (m) - 4.6
- ह्युंडई इऑन (m) - 5
- दैटसन गो 155/70R13
- मारुति अल्टो के10 - 155/65/R13
- ह्युंडई इऑन - 145/80/R12
- शानदार एक्सटीरियर
- मेरूदण्डीय अगली सीट
- आरामदेह सवारी
- हाई ग्राउंड क्लीयरंस
- मोबाइल डॉकिंग स्टेशन
- बेस्ट इन क्लास रूम
- बेस्ट इन क्लास बूट स्पेस
- बेस्ट इन क्लास पावर एंड टॉर्क
- सिटी और हाईवे पर अच्छी माइलेज
- 2 बरस की गारंटी, चाहे कितने भी किलोमीटर चली हो
- बूट लॉक नहीं है
- नजदीकी ग्लव बॉक्स नहीं
- एयरबैग्स और एबीएस जैसे सेफ्टी फीचर्स नहीं
- कीमत कम करने के लिए दोयम प्लास्टिक का इस्तेमाल
- शोर, कंपन और कठोरता (एनवीएच)
- बाहरी रियर व्यू मिरर को एडजस्ट नहीं किया जा सकता
- ड्राइवर की ओर किसी प्रकार का मास्टर विंडो कंट्रोल का न होना
दैटसन गो कीमत
कंपनी ने दैटसन गो हैचबैक की कीमत काफी आकर्षक रखी है। नई दिल्ली में इसका शोरूम प्राइस - 3.12 लाख रूपये से लेकर 3.69 लाख रुपये तक है।
अलग-अलग वेरिएंट की कीमत इस प्रकार है-
*** एक्स-शोरूम, दिल्ली
बाहरी रंग रूप
बेशक, कार की कीमत की अपनी अहमियत होती है, लेकिन कार की लुक भी इसमें काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कई निर्माता कंपनियां दुनिया भर की आकर्षक, शानदार डिजाइन वाली कारों का निर्माण करती हैं। उनकी उम्मीद होती है कि वे अपने एक्सटीरियर के शानदार लुक से लोगों के दिलों पर छा जाएंगी। दैटसन का फ्रंट एक्सटीरियर डिजाइन उसे मारुति अल्टो और ह्युंडई इऑन से अलग खड़ा करता है।
इस हैचबैक के शानदार फ्रंट डिजाइन में 'डायमंड कट ग्रिल' के साथ बंपर लगा है, जिस पर दैटसन का लोगो उसकी खूबसूरती बढ़ाने का काम करता है। और साथ ही तीन एयर इंटेक के लिए भी काफी समझदारी से डिजाइन बनाया गया है।
तो, चलिए कंपनी के सबसे हटकर डिजाइन होने के दावे को जरा करीब से परखते हैं।
बीते कुछ समय से ज्यादातर डिजाइनर उभरी हुई हैडलाइट पसंद कर रहे हैं। लेकिन, दैटसन के डिजाइनरों से इस चलन से हटकर एक स्मूथ क्यू हैडलाइट डिजाइन करने का फैसला किया। गो की हैडलाइट को एंगल शेप में तैयार किया गया है।
यह स्लीक डिजाइन कार के अगले हिस्से की शोल्डर लाइन को मजबूती प्रदान करती है। यह लाइन पिछले दरवाजे तक जाती है और फिर उभरी हुई टेललाइट की ओर मुड़ जाती है।
हमारी नजर में यह डिजाइन काफी साफ और ट्रिम है। इसमें कोई भद्दापन नहीं है। क्या आप इस बात से सहमत हैं या नहीं।
मानें या ना मानें लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हर डिजाइन अपने निराले अंदाज में प्रभावी होता है। तो, गाड़ी की बाहरी डिजाइन के नजरिये से बात करें, तो 'गो' शानदार नजर आती है। और हमारी निजी राय है कि इस मामले में यह अपनी प्रतिद्वंद्वियों मारुति अल्टो और ह्युंडई इऑन से काफी आगे नजर आती है।
फैक्टशीट:
मिलीमीटर में कार का आयाम
दैटसन गो
ग्राउंड क्लीयरंस (mm) - 170
मारुति अल्टो के 10
ग्राउंड क्लीयरंस (mm) - 160
ह्युंडई इऑन
ग्राउंड क्लीयरंस (mm) - 170
रंग
दैटसन आसमानी, सिल्वर, रूबी (लाल) और सफेद रंगों में मौजूद होगी।
>>इंटीरियर और अन्य रूप देखने के लिए तस्वीरों पर गौर कीजिए
इंटीरियर
दैटसन गो का बाहृय रंग रूप देखने के बाद आपके दिल में इसका इंटीरियर देखने की ललक और गहरी हो गयी होगी। तो चलिए अब हम आपको कार के अंदर की खूबियों और खामियों से रूबरू कराते हैं।
दैटसन गो का इंटीरियर नये जमाने का है। सिम्पल है। अच्छी सुविधाओं से भरपूर है और साथ ही आपको अपने पैसे की पूरी कीमत मिलती है। तस्वीर में आप देख सकते हैं कि कार में तीनस्पॉक का स्टीयरिंग व्हील है। इसके साथ ही सॉफ्ट लेदर फील पैटर्न है और साथ ही विषम रंगों का मेल है।
डेश बोर्ड के बीच में दो सिल्वर रिंग एयर वेंट्स हैं, जिन्हें जरूरत न हेने पर बंद किया जा सकता है। कुल मिलाकर चार एयर वेंट्स हैं। कुल मिलाकर ये फीचर्स खास अहसास कराते हैं।
कॉकपिट की खासियत गियर लीवर और पार्किंग ब्रेक हैंडल है। यदि आप तस्वीर को ध्यान से देखें तो आपको अहसास होगा कि इन दोनों को सेंट्रल कंसोल के ऊपर सेट किया गया है।
पहली नजर में मुझे यह पसंद नहीं आया, लेकिन कार में कुछ वक्त बिताने के बाद, असामान्य जगह पर लगे ये गियर और पार्किंग कंट्रोल मुझे भाने लगे।
दैटसन के इंजीनियरों का मानना है कि इन कंट्रोल्स को कार के फर्श से हटाने के बाद यात्रियों को अगली सीट से पिछली सीट या पिछली सीट से अगली सीट पर आने में काफी आसानी होगी, खासतौर पर तब जब कार तंग पार्किंग एरिया में खड़ी हो। और हम जानते हैं कि भारत जैसे देश में यह समस्या कितनी सामान्य है।
कार के केबिन में तंग जगह आपको जरा परेशान कर सकती है। जब आप क्लच इस्तेमाल न कर रहे हों, और अपने पैरों को आराम देना चाहते हों, उस समय पार्किंग ब्रेक हैंडल के चलते आपको मुश्किल आ सकती है। और आप सोच सकते हैं कि थोड़े लंबे ड्राइवर के लिए यह परिस्थिति काफी परेशान करने वाली हो सकती है।
*** इस तस्वीर में पार्किंग ब्रेक को देख सकते हैं।
कुछ लोग यह भी सोच सकते हैं कि गियर लीवर और पार्किंग ब्रेक की जगह में यह बदलाव कार की कीमत को कम करने के मकसद से किया गया है। दैटसन के इंजीनियरों की इस पर अलग राय है।
उनका कहना है कि इन कंट्रोल्स को जमीन से हटाने से आगे की दोनों सीटें आपस में जुड़ गयी हैं। विशुद्ध भारतीयों के लिए, जो अपनी कार को भरकर और कई बार जरूरत से ज्यादा भरकर चलने में विश्वास रखते हैं, यह फायदे का सौदा साबित हो सकता है।
हालांकि सुरक्षा के लिहाज से बात की जाए, तो इस एक्स्ट्रा जगह को अतिरिक्त सीट के तौर पर इस्तेमाल न ही किया जाए, तो बेहतर। बच्चों को खासतौर पर इस जगह पर नहीं बैठाना चाहिए।
*** अगली जुड़ी सीटों की बेहतर जानकारी के लिए तस्वीर 8 और 10 को देखिये
तो पिछली सीट पर बैठे यात्रियों और ड्राइवर सीट पर टांगों, घुटनों और कंधे के लिए काफी जगह है। आप इसे इस श्रेणी के अन्य कारों के मुकाबले बेहतर भी कह सकते हैं।
फैक्टशीट:
ऊंचाई, लंबाई और चौड़ाई मिमी में
दैटसन गो
लंबाई*चौड़ाई*ऊंचाई - 3785 * 1635 * 1485
मारुति अल्टो के10
लंबाई*चौड़ाई*ऊंचाई - (mm) - 3620 * 1475 * 1460
ह्युंडई इऑन
लंबाई*चौड़ाई*ऊंचाई - (mm) - 3495 * 1550 * 1500
इस कीमत पर नयी हैचबैक खरीदने वाले सामान रखने की पर्याप्त जगह की चाह भी जरूर रखते हैं। और यदि आप भी ऐसे लोगों में हैं तो आपको मिलेगी बेस्ट-इन-क्लास सामान रखने की जगह।
फैक्टशीट:
बूट स्पेस लीटर में
पहियों का सफर: लेनली, वेल्स के रहने वाले, वॉल्टर और टॉम डेविस ने 1904 में 'स्पेयर कार' का आविष्कार किया। यह वह समय था जब कारें बिना स्पेयर टायर के बनायी जाती थीं। स्टपेनी आयरन मोंगर्स, नाम की अपनी कंपनी के लिए टायर बनाने लगे। जल्द ही यह बाजार में सबसे अग्रणी बन गयी। एक समय ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आने वाले भारत और बांग्लादेश में 'स्पेयर टायर' की जगह 'स्पेटनी' शब्द अधिक इस्तेमाल किया जाता है। यह अंग्रेजी भाषा में उन दुर्लभ सामान्य पदों में से एक बन गया।
भारत में स्पेयर टायर एक जरूरत बन गया है। भारतीय सड़कों की अनिश्चितता तो हम जानते ही हैं और ऐसे में कार के टायरों पर इसका काफी विपरीत असर पड़ता है। दैटसन गो में स्पेयर टायर आसानी से तलाशा जा सकता है। लेकिन, इस पूरी प्रकिया में कार जैक नजर नहीं आता। आपको जैक अगली सीट के निचे मिलेगा, है ना हैरान करने वाली बात।
फीचर्स (अगली चार स्लाइड्स)
जैसाकि आप तस्वीरों में देख सकते हैं कार का इन्स्ट्रूमेंट पैनल साधारण, लेकिन कारगर है। इस इन्स्ट्रूमेंट पैनल ने सहज ही मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा। ऐसा लगता है कि कंपनी ने अपने इन्स्ट्रूमेंट पैनल को सिंपल और इफेक्टिव बनाने पर पूरा ध्यान दिया है।
इन्स्ट्रूमेंट पैनल फीचर्स
*** गियर शिफ्ट गाइड में 2,3,4 और 5 लिखा है। जो वाहन की गति के हिसाब से गियर बदलने का संकेत देती है। हमारी सलाह तो यही है कि आप अपनी नजर सड़क पर रखिये, वरना आपका सफर जरा मुश्किल हो जाएगा।
सड़कों पर भीड़ लगातार बढ़ रही है। रोज आने-जाने वालों की परेशानी भी पहले के मुकाबले काफी ज्यादा हो गयी है। ऐसे में सड़क के जाम के तनाव को कम करने के लिए लोग अपनी कार के म्यूजिक का सहारा लेते है।
लेकिन, दुर्भाग्य की बात यह है कि ज्यादातर एंट्री लेवल कारें कीमत कम रखने के मकसद से ऑडियो सिस्टम फिट करके नहीं देती। लेकिन, दैटसन ने इससे उलट राह चुनी है। दैटसन ने तकनीकी सहारा लिया है और गो में मोबाइल डॉकिंग स्टेशन लगाया है। जिससे आप अपने स्मार्ट फोन को सीधे अपनी कार से जोड़ सकते हैं।
मोबाइल डॉकिंग स्टेशन आपको अपने फोन को एक केबल के जरिये कार में संगीत सुनने का आनंद देता है। और आप कार के दरवाजों पर लगे स्पीकर से संगीत सुनकर उसका आनंद उठा सकते हैं। और यदि आपके फोन की बैटरी खत्म हो जाए, जो ज्यादातर स्मार्टफोन के साथ होता है, तो घबराने की बात नहीं। एक यूएसबी केबल निकालिये और अपना फोन चार्ज करिये।
सोचिये, इस सेटअप के जरिये आप सिर्फ क्षेत्रीय रेडियो स्टेशन सुनने के लिए ही बाध्य नहीं है। बल्कि आप इंटरनेट की मदद से ट्यूनइन, पंडोरा, आईहार्ट और डिजिटली इंपोर्टेड रेडियो एप्स की मदद से संगीत का असली आनंद ले सकते हैं।
भारत में स्मार्टफोन की बड़ी तादाद देखते हुए दैटसन ने यह एक समझदारी भरा कदम उठाया है।
फैक्ट:
भारत में बिकने वाले नये फोनों में से 79 फीसदी स्मार्टफोन होते हैं।
कुल मिलाकर दैटसन के टॉप-एंड वेरिएंट में ये फीचर्स मौजूद हैं:
खामियां- एयर बैग्स और एबीएस नहीं है। इस कार में सुरक्षा एक चिंता का विषय है। कम से कम दैटसन को ड्राइवर साइड पर तो एयरबैग्स देने चाहिए।
इंजन
दैटसन गो में लगा है 1.2 लिटर (1198 सीसी) का तीन सिलेंडर इंजन। वहीं एक ओर जहां इंजीनियरों का मानना है कि तीन सिलेंडर होने से वजन, फ्यूल एफीशियंसी और कीमत पर नियंत्रण रखा जा सकता है, वहीं हमारा मानना है कि इससे कम स्पीड पर गाड़ी में कंपन की समस्या हो सकती है।
ड्राइव के दौरान हमारी चिंता सही साबित हुई। कम स्पीड पर कंपन एक बड़ी और अहम समस्या है। दैटसन के इंजीनियरों ने कंपन को कम रखने में खासी मेहनत की है, जो नजर आती है। उन्होंने इस कंपन को कम करने के लिए काउंटरबैलेंस सिस्टम तैयार किया है।
और तो और, जैसे ही कार को रफ्तार देते हैं, तो किसी प्रकार का कंपन महसूस नहीं होता, लेकिन इसकी जगह एक आवाज करता इंजन आ जाता है, जो हैरानी की बात है।
परफॉरमेंस
चार सिलेंडर इंजन की तुलना में कार का इंजन काफी आवाज करता है। इसके पीछे बड़ी वजह कार में कम सिलेंडर का होना है। तो चार सिलेंडर इंजन के मुकाबले तीन सिलेंडर का इंजन उतनी ही क्रेंक स्पीड पर अधिक आवाज करेगा।
हमारा मानना है कि जब तक कार किसी व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुविधाजनक तरीके से पहुंचा देती है, इंजन की आवाज को जल्द ही भुला दिया जाता है।
गो की पावर (67 बीएचपी) काफी प्रभावित करती है और साथ ही इसका टॉर्क भी अपनी श्रेणी की सभी गाड़ियों में सबसे अधिक है। गो का टॉर्क 104 एनएम है। अपने टेस्ट ड्राइव के दौरान हम 165 किलोमीटर की टॉप स्पीड तक पहुंच पाए। और जीरो से 100 किलोमीटर तक की रफ्तार तक पहुंचने में हमें 13.5 सेकेण्ड का वक्त लगा।
फैक्टशीट: बीएचपी और टॉर्क
दैटसन गो (1,200cc)
बीएचपी - 67 bhp
टॉर्क - 104 Nm
मारुति अल्टो के10 (1,000cc)
बीएचपी - 67 bhp
टॉर्क - 90 Nm
माइलेज
इस कीमत पर, लोग परफॉरमेंस पर कम माइलेज पर अधिक ध्यान देते हैं। कंपनी का दावा है कि दैटसन 20.6 किमी/लिटर की माइलेज देती है (एआरएआई के मुताबिक)। हमारे टेस्ट रन पर कार एक लीटर में 17 किलोमीटर ही चल पाई। हमनें कार को शहर और हाईवे दोनों जगह चलाया।
फैक्टशीट: एआरएआई के मुताबिक अन्य प्रतिद्वन्द्वीयों की माइलेज
दैटसन गो (1,200cc) - 20.6 किलोमीटर पर लीटर
मारुति अल्टो के10 (1,000cc) - 20.2 किलोमीटर पर लीटर
ह्युंडई इऑन (800cc) - 21.1 किलोमीटर पर लीटर
ड्राइव, ट्रांसमिशन और पैडल
दैटसन गो फ्रंट व्हील ड्राइव है, जिसमें पांच स्पीड मैनुअल गियर बॉक्स लगा है, जो थोड़ा दानेदार लगता है।
104 एनम का टॉर्क कम स्पीड पर अधिक क्षमता नहीं देता, जो शहर के भीड़-भाड़ वाले ट्रैफिक के लिए तो ठीक है, लेकिन हाईवे पर यह एक कमी के रूप में सामने आती है। यहां आपको थोड़ी अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
वहीं दूसरी ओर हैंडलिंग पैडल (क्लच/ब्रेक/एक्सीलेटर) हाईवे और शहर दोनों जगह अच्छा काम करते हैं।
रोड पर
बात अगर कार की हैंडलिंग की जाए, तो वह भी काफी अच्छी है। यह बात भी ध्यान देने वाली है कि 1198 सीसी की दैटसन गो का वजन 769 किलो है, जो इस क्षमता की सभी कारों में सबसे कम है।
अधिक स्पीड पर स्टीयरिंग पर थोड़ा ध्यान दें, तो आप अपनी ड्राइविंग का हुनर दिखा सकते हैं। रोड पर गाड़ी की पकड़ अच्छी रहती है और यह संभव हो पाता है लंबे ट्रेवल सस्पेंशन की वजह से। जिससे सुरक्षा और गाड़ी की हैंडलिंग बेहतर रहती है।
यह वह कार नहीं जिसे आप रविवार को निकालकर रेस लगाने निकल जाएं। यह कार बनायी गयी है आपकी रोजमर्रा की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए। इसमें आप एक प्वाइंट से दूसरे प्वाइंट तक जा सकते हैं और वो भी बहुत आसानी से और आराम के साथ।
स्टीयरिंग
तेज रफ्तार पर गाड़ी काटना हो या फिर धीमी रफ्तार पर, इलेक्ट्रिक पावर स्टेयरिंग इस काम को काफी आसान बना देता है। धीमी रफ्तार पर स्टीयरिंग हल्का लगता है और जैसे-जैसे गाड़ी की रफ्तार बढ़ती है, स्टीयरिंग आपको अधिक शक्ति देता है, ताकि कार को कंट्रोल करना आसान हो।
फैक्टशीट:
टर्निंग रेडियस (मीटर)
सस्पेंशन, ब्रेक और टायर
भारत के बड़े और संयुक्त परिवारों को देखते हुए ग्राउंड क्लीयरंस और राइड कंफर्ट काफी मायने रखता है।
गो में लंबा ट्रेवल सस्पेंशन है, जो औसत से अधिक ग्राउंड क्लीयरंस देता है, जिससे आपका सफर अधिक आरामदेह बनता है। अगर बात ब्रेक की जाए तो अगले पहियों में डिस्क ब्रेक हैं और पिछले पहियों में ड्रम ब्रेक का इस्तेमाल किया गया है। इससे गाड़ी ब्रेक लगाने के बाद कम समय में ही रुक जाती है।
ड्राइव के दौरान ब्रेक और टायर ने अच्छा काम किया। हालांकि, मुश्किल हालात में ब्रेक लगाने पर आवाज आती है और गाड़ी की गति 120 किमी प्रति घंटा से अधिक गति पर गाड़ी चलाने पर टायर भी काफी आवाज करते हैं।
फैक्टशीट:
टायर साइज
ऑफ द मार्क
हमें इस बात का अहसास है कि हर चीज को कीमत के नजरिये से नहीं देखना चाहिए। कार का रिव्यू करते समय हमें दरवाजों के पैनल पर सस्ते प्लास्टिक का इस्तेमाल दिखायी दिया, जो वाकई परेशान करने वाला था। जैसाकि तस्वीर में दिखायी दे रहा है, जब हमने इसे झटककर ढीला किया, तो डोर पैनल फिसल गया। और इसके बाद वह दोबारा अपनी जगह पर आ गया। शायद, मजबूत प्लास्टिक हो?
बात सिर्फ प्लास्टिक की नहीं है। टॉप एंड वेरिएंट जिसे हम चला रहे थे, में दिन/रात डिमिंग रियर व्यू मिरर नहीं है। यह एक बड़ी समस्या है। खासतौर पर रात को गाड़ी चलाते समय आपको काफी परेशानी हो सकती है क्योंकि पीछे आ रही गाड़ी की लाइट का प्रतिबिंब ड्राइविंग को चुनौतीपूर्ण बना सकता है।
एक्सटीरियर की बात की जाए, तो हमने वाइपर ब्लैड के नीचे विंडशील्ड पर लगे प्लास्टिक को थोड़ा ढीला पाया। थोड़े से और पेंच इस समस्या को खत्म कर सकते थे।
इससे पहले भी हमने कम स्पीड पर गाड़ी मे होने वाले कंपन का जिक्र किया था। यदि आप दैटसन गो के बिलकुल पीछे खड़े हों, तो आपको कंपित एग्जॉस्ट सिस्टम का अहसास होगा। कार का बारीकी से अध्ययन करने के बाद यह बात सामने आती है कि इसका क्लैंप काफी कमजोर है। इस क्लैंप का काम एग्जॉस्ट को अपनी जगह पर टिकाये रखना होता है। इस बारे में कंपनी थोड़ा और ध्यान दे सकती थी।
बूट में लॉक न होना, एक बड़ी चूक है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। आप कार की डिग्गी को बाहर से नहीं खोल सकते। आपको इसे हर बार ड्राइवर साइड पर मौजूद लिवर से ही खोलना होगा।
फैसला
खूबियां:
खामियां:
एक्स-फैक्टर:
पहली बार कार खरीदने वालों के लिए पूरी पैसा वसूल
वैल्यू फॉर मनी:
3.5/ 5
इसके साथ ही हम दैटसन गो के रिव्यू को खत्म करते हैं। किसी भी प्रकार के फीडबैक और सवालों के लिए हमें जरूर लिखें।