2014 फिएट पूंटो इवो 90 एचपी रिव्‍यू

By Saroj Malhotra

यह परखने का वक्त था। यह एक सुंदर और चटकदार सुबह थी। और फिएट इंडिया ने अपनी नयी मैगनेसियो ग्रे पूंटो इवो 90 एचपी का टैंक हमारे लिए फुल करवा लिया था। वह वक्त आ गया था जब हम इस खूबसूरत इटालियन मशीन को लेकर कोडईकनाल की खूबसूरत वादियों की ओर निकलने वाले थे। यह खूबसूरत दक्षिण भारतीय शहर पर्यटकों के लिए शानदार जगह है।

कोडई अब पहले जैसा नहीं रहा। यहां अब डोमिनोज और डॉल्फ‍िन नोज नजर आती है। हालांकि, यह अब भी एक शानदार स्थान है, जहां पर अच्छा वक्त बिताया जा सकता है। और अगर आपको पहाड़ और उनकी ऊर्जा पसंद है, तो आपको यह जगह बहुत पसंद आयेगी।

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कोरमंगला, बैंगलोर में वापस आने के बाद। हमनें चार में से तीसरा ब्लॉक चुना और एनएच 7 पर निकल पड़े। हमें इस बात का बिलकुल अहसास नहीं था कि 90 हॉर्सपावर की यह पूंटो अगले 400 किलोमीटर तक हमारे लिए क्या संजोये बैठी है। ड्राइविंग पोजीशन तलाश करने में हमें थोड़ा वक्त लगा। लेकिन आखिर में हमें अहसास हो गया कि इवो छह फुट लंबे इनसान के लिए भी काफी आरामदेह है। कम से कम अगली सीट के बारे में यह कहा ही जा सकता है। कार में बैठकर कैफीन की कुछ चुस्कियां लेते हुए हम कृष्णागिरी के पास पहुंच गए। अब वक्त था कुछ खाने का।

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किसी भी कार को सड़क पर सही तरह से चलाने के लिए क्लच, ब्रेक और एक्सीलेटर की सुविधा अच्छी होनी चाहिये। और इस मामले में यह इटालियन कार जरा कमजोर नजर आती है। जब आप डेड पैडल पर अपने पैर को आराम करने के लिए रखते हैं, तो क्लच पैडल बीच में आ जाता है। ऐसा क्लच पैडल के लंबे होने की वजह से होता है। यह उस कार के लिए और भी परेशान करने वाली बात है, जो खुद को जोशीलों की कार के तौर पर पेश करती है। लेकिन अगर आप इस कमी को नजरअंदाज कर दें, तो चीजें बेहतर होने लगती हैं।

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कार की कामयाबी के लिए यह जरूरी नहीं कि उसमें कितनी पावर है, बात यह है कि आप कितनी पावर यूज कर पाते हैं। जेम्स-ए-मे ने यह बिलकुल सही बात कही थी। किसी भी गाड़ी को ओवरटेक करना इस कार के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण नहीं रहा। आख‍िर 209 एनएम के टॉर्क वाली यह कार खुली सड़क पर अपनी पूरी क्षमता दिखाती है। स्पीडोमीटर पर नजर डालने पर पता चला कि कार पांचवें गियर में 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही है। और वह भी इंजन की 3000 आरपीएम की क्षमता पर। यह वाकई शक्तिशाली प्रदर्शन है।

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लेकिन, सड़क पर धीरे-धीरे भीड़ बढ़ रही थी। बिना नंबर की एक दैटसन ने बिना किसी वजह से रेस लगानी शुरू कर दी, लेकिन हमने इसमें न ही पड़ने का सही फैसला किया। हाईवे के झटकों को एक ओर कर दें, तो कार पैडल को दबाते ही तेज रफ्तार पकड़ लेती है। और हवा की तरह बहने लगती है। इससे भी ज्यादा जरूरी यह है कि रफ्तार के दौरान भी तेज के साथ-साथ सुरक्षित भी बनी रहती है। टॉप यानी पांचवें गियर से चौथे गियर में आने पर इसकी रफ्तार 80-90 किलोमीटर प्रति घंटे तक आ जाती है। और अगर आप कार के शानदार टॉर्क का मजा लेना चाहते हैं, तो यह रफ्तार सही जान पड़ती है। हालांकि, इस बात का खयाल रखें कि यह मल्टीजेट मिल बहुत तेजी से नहीं घूमती है और हैरानी की बात यह है कि टैक्नोमीटर की लाल लाइन डायल पर नहीं हैं। तो, किसी भी कीमत पर चार हजार आरपीएम से ज्यादा न जाएं, अन्यथा इंजन को नुकसान पहुंच सकता है।

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ट्रैक्टर लदे करीब से गुजरते ट्रक भी कार के संतुलन को डिगा नहीं पाते। नयी पूंटो सड़क पर बेहद स्थ‍िर नजर आती है। और 16 इंच के अपोलो रबर ग्रिप टायर सड़क पर मजबूती से अपनी पकड़ बनाये रखते हैं। इससे कार को किसी तरह की भी परेशानी नही होती। यहां तक कि बीच सड़क में अचानक आने वाले स्पीडब्रेकर भी ज्यादा परेशानी खड़ी नहीं करते। शायद 1.2 टन भारी किसी भी काम के लिए यह खूबी होना अच्छी बात है।

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हम पहाड़ी की तलहटी में पहुंच गये थे और ऐसे में सड़क का नजारा बदलना शुरू हो गया था। दूर से नजर आने वाली पलानी हिल्स की चोटियां अब साफ-साफ नजर आने लगी थीं। 100 किलोमीटर के इस रास्ते में आधे से ज्यादा सफर टेढ़ी-मेढ़ी सड़कों से भरा था। जहां तक मशीनरी की बात है तो इवो ने हाईवे पर हमें प्रभावित किया था। इसकी वजह शायद यह भी थी कि हमने पहले ही इस बात को भांप लिया था कि इस कार का ऑडियो सिस्टम काम नहीं कर रहा है। इौर इस बात का पता भी हमें मुश्क‍िल हालात शुरू होने से पहले ही पता चल गया। जैसे ही हम हॉर्न बजाते वह अपने आप ही चलना बंद हो जाता। और साथ ही जब हम एमपी थ्री बजाते तो यह फोल्डर को पढ़ पाने में भी नाकाम रहा। और हर बार इतने गीगाबाइट्स डाटा रीड करना वाकई परेशान करने वाला था।

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दोपहर करीब तीन बजे हम राष्ट्रीय राजमार्ग छोड़ चुके थे। और इससे पहले हमें पता चलता 1.3 लीटर डीजल इंजन की आवाज ने हमें अहसास करा दिया कि हम पहाड़ी इलाके में पहुंच चुके हैं। कार ने कोडईकनाल की सात हजार फीट चढ़ाई पर चढ़ने में कम से कम शुरुआत में बेहद ताकत दिखायी। जब आप दूसरे और तीसरे गियर में गाड़ी चढ़ाते हैं, तो गति आपके नियंत्रण में रहती है। लेकिन, जैसे ही आप किसी ट्रक या बस के पीछे धीमी रफ्तार में चलने लगते हैं, तो आपको इंजन को पर्याप्त क्षमता देने के लिए पहली ही गियर में डालना ही पड़ता है।

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अगर आप इस परिस्थ‍िति में दूसरे गियर में चलाते रहते हैं, तो जाहिर तौर पर आपको अहसास होता है कि शायद आप इस कार के लिए पैसा नहीं खर्च करना चाहेंगे। को‍डाई घाट पर अच्छी खासी खड़ी चढ़ाई है। और साथ ही तेज मोड़ भी हैं। तो अगर आप गियर कम नहीं करते हैं, तो आपको 2000 आरपीएम पर चढ़ाई पार करने के लिए किसी भी प्रकार की इंजन क्षमता नहीं मिलती है। तो, ऐसे मौके पर आपके लिए कोडाईकनाल पास करना जरा मुश्कलि हो जाता है। यहीं हमें गियर बदलने में परेशानी का भी अहसास हुआ। लैदर से लिपटे होने के बावजूद यह दो उंगलियों को काटने लगता है, क्योंकि इसका स्वरूप सही नहीं है। हालांकि, पूंटो इन सब छोटी मोटी कमियों की पूर्ति कर देती है। कार के पहिये अच्छी कंट्रोल पोजीशन में थे और स्टीयरिंग व्हील का वजन भी सही था।

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कोडाईकनाल में सड़कें हमेशा सपाट नहीं रहतीं। मौसम के मिजाज के अनुसार यह बदलती रहती हैं। हमारी किस्‍मत अच्‍छी थी कि हमें हाल ही बनी कुछ सड़कों पर कार चलाने का मौका मिला। सड़कें रात की काली थी। इससे पता चलता था कि वे नयी बनी हैं। हालांकि, जब सड़कें थोड़ी खराब आईं, तो सस्‍पेंशन ने अच्‍छा काम किया। लेकिन इस खूबी को केबिन से आती आवाज ने कम कर दिया। यह आवाज कम से कम उस कार से नहीं आनी चाहिये जो महज 5 हजार किलोमीटर ही चली हो।

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और बाहरी महत्‍वपूर्ण डिजाइन के बारे में क्‍या कहा जाए। क्‍या यह जमा या नहीं। हमें लगता है कि नया डिजाइन काम कर गया। आगे का तीन चौथाई हिस्‍सा कार का बेस्‍ट एंगल है। यहां कार की नोज काफी अच्‍छी है। और इसे देखकर अहसास होता है कि कंपनी की ओर से इसे रिडिजाइन किया गया है। और यह पुरानी पूंटो से काफी अलग है। पुरानी पूंटो में नजर आने वाला कमतर स्‍पोर्टीनेस अब पुरानी बात लगती है। नयी कार ज्‍यादा बोल्‍ड नजर आती है और अपर और लोअर ग्रिल्‍स के बीच की गैपिंग को क्रोम से भरा गया है। फॉग लैंप क्रोम से घिरे हैं और यह काफी ओरिजनल जान पड़ते हैं। लेकिन, हमें लगता है कि फिएट को इसमें पियानो ब्‍लैक ऑप्‍शन भी देना चाहिये था। यह इंटीरियर के साथ भी मेल खाता और बाहर से देखने में भी अच्‍छा लगता। हालांकि, वक्‍त बदल चुका है और लेकिन कार ने अपनी पहचान कायम रखी है। और यह जरूरी बात है।

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साइड से देखने पर कार पहले जैसे ही नजर आती है। लेकिन कार की नोज को थोड़ा ऊपर उठाया गया है। और कार की बेस्‍ट इन क्‍लास 195 एमएम ग्राउंड क्‍लीयरेंस और बड़े पहियों का अर्थ है कि नयी पूंटो लो प्रोफाइल नहीं बनाये रखेगी। और ऐसा हो भी क्‍यों ना। यह कार भारत के लिए बनायी गयी है और यहां इसे अनमार्क्‍ड स्‍पीडब्रेकरों के अचानक आये झटके झेलने पड़ सकते हैं। हालांकि, इस कार का शेप फिर भी रोमांचक है।

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पीछे से देखने पर नये एलईडी लैंप शानदार नजर आते हैं। और खासतौर पर अगर आप इसे थोड़ी दूरी से देखें तो यह और भी बढ़िया नजर आते हैं। इसके अलावा कार में एक और अच्‍छी चीज जोड़ी गयी है और वह है पिछले बंपर के नीचे लगायी गयी क्रोम बार। यह क्रोम बार नये डग और लैंप के कोने तक जाती है। एक बार फिर हम कहना चाहेंगे कि ये डोर हैंडल क्रोम के विकल्‍प के साथ पियानो ब्‍लैक या ग्‍लॉसी ब्‍लैक में दिये जा सकते थे।

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यह समझने के लिए आखिर हम क्‍या कह रहे हैं, हमने क्रोम फिनिश ग्रिल और फॉग लैंप को साथ लगी तस्‍वीर में एडिट किया है। हमें लगा कि डल ब्‍लैक यहां काम नहीं करेगा क्‍योंकि तब शायद ये नये फीचर्स अधिक उभरकर सामने नहीं आएंगे। और हमें लगता है कि फिएट और उसके ग्राहक जरूर चाहेंग कि ये नये स्‍टाइल उभरकर सामने आएं। लेकिन हां, भारतीय ग्राहक इन कारों के साथ बदलाव के ज्‍यादा विकल्‍प आजमा सकते हैं।

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पूरी तरह ब्‍लैक स्‍पोर्टी करेक्‍टर को सूट करता है। इस सेगमेंट की कार में सॉफ्ट-फील कवर को देखकर अच्‍छा लगा। ब्‍लैक सीट पर ग्रे रंग से की गयी सिलाई अच्‍छी लगती है और ऐसे लंबे सफर पर भी यह आरामदेह रहती है। इस पूंटो की सबसे अच्‍छी चीजों में इसका स्‍टीयरिंग व्‍हील आता है। इसकी ग्रिप शानदार है और इसका उभार भी सही स्‍थान पर है। इसके साथ ही स्‍टीयरिंग व्‍हील पर लगे कंट्रोल ऑडियो सिस्‍टम और फोन कनेक्‍ट करने में आसानी से मदद करते हैं। ये सही स्‍थान पर लगे हैं और इनके अचानक दबने की आशंका भी कम है।

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ये पियानो ब्‍लैक में सेंटर कंसोल पर दी गयी डिटेलिंग अच्‍छी नजर आती है। इसकी वजह से इस सेगमेंट की कई कारो के मुकाबले पियानो का केबिन बेहतर नजर आता है। पिछली सीट पर लेगरूम भी अच्‍छा है। लेकिन, अगर अगली सीट पर लंबे ड्राइवर के लिए अगर फ्रंट सीट पीछे की जाती है, तो फिर पिछली सीट के या‍त्री को परेशानी हो सकती है। लेकिन, आखिर में यह एक छोटी कार ही तो है, और आप इसमें ज्‍यादा जगह की उम्‍मीद नहीं कर सकते। और इसके लिए पूंटो को मारुति वैगनआर की तरह नजर आना होगा, और यह हम बिलकुल नहीं चाहते।

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रात हो चुकी थी, और इसने हमारा ध्‍यान कार के दो मुख्‍य सुरक्षा चिंताओं की ओर आर्कष्‍ट किया। पहली समस्‍या दूसरी के मुकाबले ज्‍यादा परेशान करने वाली थी। छोटी समस्‍या यह थी कि इंस्‍ट्रूमेंट कंसोल में लगा मेन बीम इंडिकेटर कुछ ज्‍यादा ही ब्राइट था, तो इससे बार-बार आपका ध्‍यान भटकता था। इन आइकॉन पर जरा हल्‍का नीला रंग होना चाहिये। लेकिन, दूसरी समस्‍या ज्‍यादा गंभीर थी। इसमें अगर हेडलाइट को ऑन किये हुए हाई बीम पर फ्लैश लाइट चलाते हैं तो ऐसा हो सकता है कि आप अचानक हेडलाइट को ही बंद कर दें। क्‍योंकि लाइट का घूमने वाला स्विच सेटिंग के जरिये आसानी से क्लिक हो जाता है। यह बात परेशान जरूर करती है क्‍योंकि पूंटो सबसे सुरक्षित छोटी कारों में शामिल है। इसमें ड्युअल फ्रंट ए‍यरबैग्‍स और एबीएस/ईबीडी जैसी सुविधायें हैं।

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इस मौके पर रात को को‍डाईकनाल में एक गर्म ब्‍लैंकेट में सोने का मजा ही कुछ और है। और इससे पहले गर्मागर्म चपाती खाने का अपना अलग ही आनंद है। हम शानदार सूर्योदय देखने की उम्‍मीद में जल्‍दी उठे। यहां के लोग कितने खुशकिस्‍मत हैं कि उन्‍हें सूर्योदय का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। लेकिन, हमारी किस्‍मत शायद हमारे साथ नहीं थी और सूर्य को धुंध के बादलों ने ढंक रखा था। और हां स्‍थानीय लोगों को मौसम के इस मिजाज से कोई परेशान नहीं थी। कुछ तस्‍वीरों के बाद नाश्‍ता करते ही आगे के सफर पर निकलने का वक्‍त हो गया था। हमारा सफर लंबा था और हमने तय किया कि इस बार हम कम स्‍थानों पर रुकेंगे।

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मुझे लगा कि गियर बदलते समय होने वाली परेशानी महज मेरा भ्रम है। लेकिन पहाड़ी से नीचे उतरते हुए मेरा यह भ्रम यकीन में बदल गया। गियर कई बार फंस जाते हैं, यह बात वाकई परेशान करने वाली है क्‍योंकि आखिर यह कार ड्राइविंग के दीवानों के लिए बनायी गयी है। और अच्‍छी ड्राइविंग के लिए अच्‍छी तरह गियर लगने जरूरी हैं। लेकिन, साथ ही घाट से नीचे उतरते समय ब्रेक्‍स ने अच्‍छा काम किया, जो देखना सुकून भरा था। और इसके साथ ही कार की गति बनाये रखने के लिए शक्ति भी पर्याप्‍त थी।

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जैसे-जैसे घाट खत्‍म हो रहे थे, हमें खुशी थी कि कार के साथ हमारा आखिरी सफर उन इलाकों में होगा जहां इसकी परफॉरमेंस सबसे आरामदेह रहती है, खुली सड़क पर। और ऐसा ही हुआ। 470 किलोमीटर के इस सफर में साढ़े छह घंटे से कुछ ज्‍यादा समय लगा। कम भीड़भाड़ वाली सोमवार की सड़क और अच्‍छे रास्‍ते की वजह से हम ऐसा कर पाये। इन सुविधाजनक ड्राइविंग कंडीशन ने हमें को‍डाईकनाल में टैंक भरवाने के बाद फिएट इंडिया को एक तिहाई टैंक के साथ कार लौटाने का मौका दिया। इस हिसाब से देखें तो कार में एक लिटर में करीब 16 किलोमीटर की औसत दी। यह आपको थोड़ी कम लग सकती है, लेकिन इस बात का भी खयाल रखें कि कार की औसत स्‍पीड करीब 70 किलोमीटर प्रति लीटर थी।

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तो आखिर फिएट पूंटो इवो 90 एचपी पर हमारी आखिरी राय क्‍या है। नयी ह्युंडई आई20 के आने के बाद, यह मुकाबला थोड़ा कड़ा हो गया है। इवो का स्‍टाइलिंग नया लगता है जो आपको अपनी ओर आकर्षित करेगा। लेकिन, आई20 भी पूरी तरह से नये रूप में और देखने में भी बेहतर है। इवो का टॉर्क प्रभावशाली है, लेकिन आई20 का टॉर्क अधिक है। हालांकि इंटीरियर में अधिक उपकरण हैं और वे सही स्‍थान पर भी लगे हैं, लेकिन कोरियाई कार कंपनी भी इस मामले में कहीं से पीछे नजर नहीं आती। लेकिन, यह सब प्राथमिकता नहीं है। नयी पूंटो में सुरुचि है, जो किसी भी इटालियन कार की खूबी हो सकती है। कार के इंटीरियर में बोतल रखने की जगह नहीं है और यह बात अखरती भी है। लेकिन आप इसे भूल जाते हैं, क्‍योंकि इसका एक्‍सटीरियर लाजवाब है ओर इंटीरियर पर काले रंग का नशा है। घाटों पर इंजन का जोर लगाना आपको अखरता नहीं है क्‍योंकि चढ़ाई पर यह अच्‍छा काम करता है। हालांकि कुछ चीजों को दुरुस्‍त किया जाना जरूरी है, लेकिन फिर भी नयी इवो अपने प्रशंसकों के लिए स्‍टाइल स्‍टेटमेंट रहेगी। और यह शानदार खबर है।

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English summary
Expert Fiat Punto Evo 90 HP review: highlights Fiat Punto Evo 90 HP specifications, features, mileage, power, performance & more.
 
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