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चलिये चलें हिमालय के रोमांचक सफर पर
महान हिमालय एक समय में एक बड़ा समुद्र था। आज यह दुनिया की सबसे बड़ी पर्वतमालाओं में शामिल है। दुनिया भर में मशहूर पर्वतमालायें रोमांच के दीवानों को दुनिया भर से आकर्षित करती हैं और यकीन जानिये जितनी उम्मीद करते हैं उससे ज्यादा ही यहां से लेकर जाते हैं।
अब, लोग कई सवाल पूछते हैं और यह जानना चाहते हैं कि आखिर वहां पहुंचा कैसे जाए। वहां जाने के लिए कौन सा रास्ता लेना चाहिये। वहां जाने के लिए साल का कौन सा समय सही रहता है और वहां कौन सा सामान साथ लेकर जाना चाहिये। इस लेख में हम आपको शानदार स्पीति घाटी से लेह की यात्रा पर जाने के लिए गाइड करेंगे।
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रोमांच से भरी इस पर्वतश्रृंखला पर जाने के लिए सबसे अच्छा समय जून से सितंबर के मध्य तक का रहेगा। लेह तक जाने के लिए कई रास्ते और मार्ग हैं। हम आपको स्पीति घाटी से लेकर जाएंगे।
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सबसे पहली बात, यात्रा शुरू कहां से की जाए। तो यात्रा शुरू करने के लिए सबसे अच्छी जगह हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला होगी। यह हिल स्टेशन समुद्र के तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थान वास्तव में केवल दस हजार लोगों के रहने के लिए बनाया गया था, अब यहां करीब दो लाख की आबादी रहती है। लेकिन, यहां के लोग बहुत जिंदादिल और दोस्ताना व्यवहार के हैं।
दूसरे दिन सांगला तक की अच्छी यात्रा करें। यह हिमाचल के किन्नूर जिले में स्थित है। यह यात्रा मुख्य भारत-तिब्बत हाइवे से होती है। और साइंज से रास्ता जलोरी पास की ओर कट जाता है। यह जगह समुद्र तल से 3120 मीटर स्थित है। सड़कें काफी संकरी और खड़ी चढ़ाई हैं। ऊंचाई पर पहुंचने के बाद कई दुकानों पर अच्छी चाय और भोजन मिल जाता है। आमतौर पर यहां तक खाने में मैगी नूडल्स और राजमा-चावल मिल जाते हैं।
Picture credit: Wiki Commons
Sankara Subramanian
ऊपर जाने वाली बहुत संकरी और फिसलन भरी सड़क पर कुछ स्थानों पर रिफ्रेशमेंट की चीजें मिल जाती हैं। ऊपर जाती सड़क काफी सुंदर है। ऊंचाई पर पहुंचने के बाद नीचे उतरना एक बार फिर संकरी और खड़ी ढलान वाली है। यह सड़क सतलुज नदी के साथ चलते-चलते एक बार फिर आपको मुख्य हाइवे पर ले आती है। आगे सांगला तक की सड़क एक बार फिर संकरी है। लेकिन नजारे ऐसे कि आप बस देखते ही रह जाएं।
सांगला पहुंचने के बाद लोग कैंप में रुक सकते हैं या फिर यहां होटल भी मौजूद हैं।
तीसरे दिन आप खड़ी सड़कों से होते हुए सांगला से एक रोमांचक कस्बे रेकोंग पियो और इंटो पियो तक ले जाएगी। यह छोटा सा कस्बा समुद्र तल से 3600 मीटर ऊंचाई पर है। यह अपनी झील के लिए प्रसिद्ध है। और यहां का असली आनंद लेने के लिए आपको कैंप में रुकने की ही सलाह दी जाती है।
नैको जाने के लिए आपको एक पुल से होकर गुजरना पड़ता है। यह पुल जिस जगह पर है उसका नाम खाब है। यह जगह सतलुज और स्पीति नदी का संगम स्थल है। यह जगह तिब्बत से काफी नजदीक है। यहां से सतलुज के किनारे-किनारे आप 18 किलोमीटर चलकर तिब्बत पहुंच सकते है। समुद्र तकल से 6800 मीटर ऊंची चोटी रियो पुरगिल यहां से साफ देखी जा सकती है।
चौथे दिन जल्दी नाश्ता करने के बाद एक बार फिर ढलान भरी सड़क है। आज का हमारा ठिकाना काजा, स्पीति घाटी के बीच में पड़ता है।
सड़कें धूल भरी हैं और इनका डामर टूटा पड़ा है। इस मार्ग पर मशहूर टैबो मोनेस्ट्री अैर धनकर मोनेस्ट्री पड़ती है। दोपहर के खाने के लिए टैबो अच्छी जगह है। मोनेस्ट्री के दरवाजे पर ही कुछ दुकानों से रिफ्रेशमेंट्स ली जा सकती हैं। इस स्थान पर जर्मन बेकरी भी है।
इसी सड़क पर नीचे जाते समय जरा सा दायें मुड़ते ही बहुत मशहूर धनकर मोनेस्ट्री है। यह समुद्र तल से 3894 मीटर ऊंचा स्थान है। वास्तव में यह स्थान 17वीं सदी के स्पीति वैली साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था।
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स्पीति घाटी में प्रवेश करते समय आप बौद्ध धर्म का प्रभाव महसूस कर सकते हैं। बेहद शांत बौद्ध भिक्षु अपने विनम्र स्वभाव और जिंदादिली से आपका स्वागत करते हैं। कुछ ही समय बाद आप अपने को उनमें से एक महसूस करने लगते हैं। धनकर बौद्ध विहार संभवत: वह स्थान है जहां दलाई लामा आने वाले वर्षों में रिटायर होने के बाद आ सकते हैं।
उस रात आप काजा पहुंचते हैं। यहां रात को रुकने के लिए ढेरों होटल हैं। काजा इस समय स्पीति का हैडक्वार्टर है। और यहां दुनिया का सबसे ऊंचा पेट्रोल स्टेशन है जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 3650 मीटर है।
पांचवें दिन आपको जल्दी निकलना पड़ेगा। यह काफी थकाने वाला और लंबा दिन हो सकता है। आज हमारी मंजिल है केलांग। दिन की शुरुआत कठिन इलाके से होती है, जो आगे चलकर और मुश्किल ही होने वाला है। इस रास्ते में हमें कई नदियों को पार करना होगा। जो मुख्यत: चोटियों से पिघलकर आने वाली बर्फ से तैयार हुई हैं।
सबसे पहले हमें शानदार कुंजुम ला को पार करना होगा। यह जगह समुद्र तल से 4551 मीटर ऊंची है। यह मुख्य हाईवे है और बहुत धार्मिक पास है। ऊपर चोटी पर एक छोटा सा बौद्ध भिक्षु विहार है, जिसे बहुत पवित्र माना जाता है। वापस जाने से पहले लोगों को उस पवित्र स्थान पर जाने की सलाह दी जाती है।
इस मंदिर की खास बात है इसमें रखा चुंबकीय पत्थर, जिसकी लोग पूजा करते हैं। लोगों का मानना है कि पूजा समाप्त होने के बाद इस पत्थर पर एक सिक्का चिपकाने का प्रयास करना चाहिये। ऐसा माना जाता है कि पाक दिल इनसान का पत्थर इस चुंबक पर चिपक जाता है।
पूजा समाप्त होने के बाद केलांग तक की यात्रा एक बार फिर शुरू होती है। इस सफर के दौरान आपको खाने-पीने के सामान का खास खयाल रखना होता है क्योंकि यहां रास्ते में रुकने की कोई ज्यादा जगह नहीं हैं। यह रास्ता ऊंचे रेगिस्तान जैसा है। हालांकि, केलांग तक का आखिरी 150 किलोमीटर की सड़क पक्के डामर से बनी हुई है।
केलांग में प्रवेश से पहले, टांडि में अपनी गाड़ी का फ्यूल टैंक फुल करवा लें। लेह से पहले यह आखिरी पेट्रोल पम्प है। केलांग एक छोटा सा खूबसूरत कस्बा है। यहां पर विदेशी पर्यटक और दोस्ताना व्यवहार वाले स्थानीय लोग मौजूद हैं।
छठे दिन आप सफर आराम से शुरू कर सकते हैं। आज हमारा गंतव्य है सारचू। आज हम हिमाचल प्रदेश के सबसे ऊंचे माउंटेन पास से गुजरेंगे। समुद्र तल से 4950 मीटर ऊंची यह सड़क पक्की और शानदार है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय सेना नियमित रूप से इस सड़क का इस्तेमाल करती है।
इस पास को पार करने से पहले जिंगजिंगबार रिफ्रेशमेंट के लिए अच्छी जगह है। यहां आपको ताजा चाय और मैगी भी मिल जाती है।
पास की दूसरी ओर जहां सड़क उतरती है, वह सीधी सारचू जाती है। यह स्थान समुद्र तल से 4300 मीटर ऊपर है। इस यात्रा सफर में यह रात गुजारने के लिए सबसे ऊंची जगह है। यहां कोई होटल नहीं है, तो टैंट ही एक मात्र विकल्प है।
एक ठण्डी रात गुजारने के बाद, कुछ किलोमीटर चलने के बाद आप जम्मू में प्रवेश करते हैं। सफर उसी सड़क पर जारी रहता है। इस दौरान आप कुछ और वाटर क्रॉसिंग और पहाड़ियों को पार करते हैं। इसके बाद आप लाचुंग ला और नकीला पहुंच जाते हैं। इसके बाद आप मैदानी इलाके में प्रवेश कर जाते हैं। समु्द्र तल से 4000 मीटर ऊंची है यह जगह। यह सफर 40 किलोमीटर तक चलता है।
मैदानी इलाका पार होने के बाद आप तंगलंग ला की चढ़ाई करते हैं। यह दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा पास है। इस पास का सबसे ऊंचा प्वाइंट समुद्र तल से 5328 मीटर ऊंचा है। ऊंची-नीची यह सड़क बुरी हालत में है। इसे पार करने के बाद लेह तक की सड़क शानदार है।
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Wolfgang Maehr
इतनी मुश्किल सड़क यात्रा के बाद लेह अपने आप में किसी मृगतृष्णा सा नजर आता है। यह एक छोटी और ऊर्जावान जगह है। और यहां पर सेना की मौजूदगी संशय पैदा करती है। यह मुख्य रूप से सेना का शहर है। इस शहर की आमदनी का अस्सी फीसदी हिस्सा सेना के कारण आता है।
यहां कई होटल हैं, जिनमें सामान्य कमरों से लेकर उच्च स्तरीय कमरे मौजूद हैं। यहां के स्थानीय लोग गर्मजोशी से आपका स्वागत करते हैं। लंबे सफर के बाद आराम करना तो बनता है। हेमीज गोम्फा और लेह महल जाकर आप इस स्थान के इतिहास और धर्म के बारे में अच्छी तरह जान पायेंगे। वैसे यह स्थान समुद्र के तल से 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
अगले दिन दुनिया के सबसे ऊंचे मोटर पास की यात्रा पर निकला जाए। खरडुंग ला। यह जगह समुद्र तल से 5602 मीटर ऊपर है। सेना के ऊपर नीचे आने जाने के लिए यह सामान्य रास्ता है। ऊपर जाते समय सड़क वाली संकरी और टूटी हुई है। यहां वाहन चलाते समय काफी सावधानी बरतनी होती है। खासतौर पर अगर आप इस तरह की सड़कों पर वाहन चलाने के आदी नहीं हैं, तो आपको ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है।
सबसे जरूरी बात है कि आपको एएमएस (एक्यूट माउंटेन सिकनेस) से सावधान रहना चाहिये। सिरदर्द, चक्कर आना और उल्टी आना या अहसास होना एएमएस के लक्षण हैं। इससे बचने का अच्छा तरीका यह है कि ऊपर खरडुंग ला पर जाने से पहले एक दो दिन लेह में रुककर स्वयं को इस माहौल के अनुसार ढाल लें। इसका एक ही इलाज है कि आप ऊंचे स्थान से नीचे आ जाएं। अगर इससे भी काम न बने तो रोजाना एक गोली डायमोक्स की खायें। इससे आपको जलवायु के अभ्यस्त बनने में मदद मिलेगी, लेकिन इससे आपको सुई या पिन चुभने का अहसास भी हो सकता है। तो अच्छा यही है कि आप कुदरती तौर पर इस जलवायु के अभ्यस्त बनें।
इनमें से अधिकतर सड़कों पर सफर करने के लिए आपको जीप या एक एसयूवी की जरूरत होगी। जरूरी नहीं कि वे 4X4 हों। नदी पार करते समय छोटी कारें परेशानी में फंस सकती हैं। और शायद इस दौरान वे बुरी तरह क्षतिग्रस्त भी हो जाएं। दोपहिया वाहन अच्छे रहेंगे क्योंकि वे छोटे होते हैं और किसी भी रास्ते से आसानी से निकल जाते हैं।
इस सफर में कई स्थान बिलकुल निर्जन हैं, इसलिए आपको ऑटोमोबाइल की छोटी-मोटी जानकारी होनी चाहिये। टायर ट्यूब, अतिरिक्त स्पार्क प्लग और हैडलाइट बल्ब साथ लेकर चलना अच्छा रहेगा। इसके साथ ही एक अतिरिक्त व्हील और व्हील खोलने का औजार भी जरूर साथ लेकर चलें। और जब भी आप हिमायलन ट्रिप पर निकलें इस बात को याद रखें कि प्रकृति सर्वशक्तिशाली है और आपको इसका सम्मान करना चाहिये।