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लेम्बोर्गिनी मॉडल्स का इतिहास
इटली के मशहूर उद्योगपति फेरुचियो लेम्बोर्गिनी (Ferrucio Lamborghini) का जन्म 28 अप्रैल को हुआ था। और आज अगर वो जिंदा होते तो उनकी उम्र 98 वर्ष होती। विश्व युद्ध द्वितीय के बाद, उन्होंने एक छोटी सी कंपनी बनायी, जो सेना के अतिरिक्त वाहनों को ढोने के लिए ट्रेक्टरों का निर्माण करती थी। इसके बाद वे एयरकंडीशन और हीटिंग सिस्टम बनाने में जुट गए। ये दोनों बिजनेस बहुत अधिक कामयाब हुए, और इन्होंने लेम्बोर्गिनी को एक बहुत ही अमीर व्यक्ति बना दिया।
अपनी कामयाबी के दम पर वे उस समय अपने लिए कई सुपरकार खरीद सके। इनमें फेरारी 250जीटी भी शामिल थी। लेम्बोर्गिनी को उस कार का क्लच जरा परेशानी देने वाला लगा। उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव तब आया, जब उन्होंने इस क्लच की शिकायत, फेरारी के मालिक एंजो फेरारी से की। फेरारी ने लेम्बोर्गिनी का उपहास उड़ाते हुए उन्हें 'ट्रेक्टर-बनाने वाला' कहा, और यह भी कहा कि दिक्कत कार में नहीं, ड्राइवर में है। इस बात ने लेम्बोर्गिनी को अपनी प्रतिस्पर्धी स्पोर्ट्स कार कंपनी बनाने के लिए प्रेरित किया। और फिर 1963 में संत अगाता बोलोनीज में ऑटोमोबिली लेम्बोर्गिनी की स्थापना हुयी। लेम्बोर्गिनी ने उसी साल अपनी पहली स्पोर्ट्स कार लेम्बोर्गिनी 350 जीटीवी लॉन्च की।
कंपनी का लोगो सांड रखा गया, और उनकी कई कारों के नाम भी लड़ते हुए सांडों के नाम पर ही रखे गए। यह चलन आज तक जारी है। लेम्बोर्गिनी ने 1970 में अपने ट्रेक्टर बिजनेस में सूखा आने से पहले कई प्रसिद्ध कारों का निर्माण किया। इनमें प्रतिष्ठित म्यिूरा (Miura) और पोस्टरों की शान रही कून्ताश (Countach) भी शामिल रहीं।
फेरुचियो लेम्बोर्गिनी ने आखिकार 1974 के तेल संकट के बाद कंपनी में अपनी सारी हिस्सेदारी बेच दी। इस तेल संकट के कारण लोग हाई परफॉरमेंस कारों को छोड़कर अधिक माइलेज देने वाले वाहनों का रुख कर रहे थे। ऑटोमोबिली लेम्बोर्गिनी के मालिक कई बार बदले। और आखिर 1990 के अंत में फौक्सवेगन ने इस कंपनी की बागडोर अपने हाथ में ले ली। 28 फरवरी 1993 को लेम्बोर्गिनी की मौत 76 वर्ष की आयु में हो गयी।
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महान कार निर्माता के सफर पर एक नजर -
लेम्बोर्गिनी म्यिूरा (Lamborghini Miura)
भव्य म्यिूरा का निर्माण वर्ष 1966 और 1973 के बीच किया गया। अपने लॉन्च के समय यह दुनिया की सबसे जल्दी निर्मित होने वाली कार थी। हाई परफॉरमेंस, मिड इंजन और टू-सीटर स्पोर्ट्स कार की शुरुआत करने का श्रेय म्यिूरा को जाना चाहिए।
1966 के जेनेवा मोटर शो में मर्चेलो-गंडिनी (Marcello Gandini) की डिजाइन की हुई इस कार को काफी लोगों ने सराहा। अपनी सात वर्ष के निर्माण काल में इस कार ने 740 यूनिट बेचीं।
इस कार के प्रोटोटाइप इंजन को जेनेवा मोटर शो में नहीं दिखाया गया। हालांकि यह काफी अजीब था, लेकिन इसके पीछे एक बड़ी वजह थी। कार के इंजीनियर इसे बनाने को लेकर इतनी जल्दी में थे, कि उन्होंने इस बात की जांच ही नहीं की आखिर इंजन कार में फिट होगा भी या नहीं। नतीजा यह हुआ कि इंजन कंपार्टमेंट में रोड़ी भरकर ही इसे मोटरशो में लाया गया। लेकिन इसके बावजूद इस कार को मशहूर होने से नहीं रोका जा सका। इस डिजाइन ने मर्चेलो को दुनिया भर में मशहूर कर दिया।
लेम्बोर्गिनी एसपाडा (Lamborghini Espada)
यह कार सबसे पहले 1967 के जेनेवा मोटर शो में दिखायी गयी। अपने निर्माण काल में इस कार की 1217 यूनिट बिकीं। इसने इसे उस जमाने की सबसे कामयाब मॉडल बना दिया। एसपाडा का मतलब पुर्तगाली भाषा में तलवार होता है। इसका संबंध बुलफाइटर्स की उस तलवार से था, जो वे बुल्स को मारने के लिए करते थे।
इस कार को एक बार फिर बर्टोनी के मर्चेलो ने ही डिजाइन किया। इस फोर सीटर कार में जगुआर ई-टाइप की तरह बड़े पैमाने पर बॉडी वर्क किया गया था। एसपाडा में 4.0 लीटर का 325 बीएचपी की शक्ति वाला वी12 इंजन लगा था। जिसे मेनुअल अथवा ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन पर चलाया जा सकता था। यह अपनी तरह की पहली कार थी जो एसपाडा के बड़े टार्क को सड़क पर कार के प्रदर्शन में उतार सकती थी।
लेम्बोर्गिनी उराको (Lamborghini Urraco)
उराको फेरुचियो लेम्बोर्गिनी की महत्वाकांक्षों की कार थी। लेम्बोर्गिनी 1960 के दशक में एक कांपेक्ट सुपरकार बनाना चाहते थे। संत अगास्ता से निकली उनकी यह कार फेरारी 246 जीटी और पोर्श 911 से सीधा मुकाबला करने वाली थी। और ऐसी उम्मीद थी कि यह उनके मुकाबले अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी। इस कार में वी8 इंजन और आगे-पीछे 2-2 लोगों के बैठने की सुविधा थी। जो डीनो वी6 के 2 सीटर फॉरमेट से ही निकली लगती थी। हालांकि 911 अपनी अधिक निर्माण क्षमता के साथ हमेशा से ही एक कड़ी प्रतिद्वंद्वि रही।
उराको आखिरकार उतनी कामयाब नहीं हुयी, जितनी कि कंपनी और उसके मालिक को उम्मीद थी। दो वर्ष का डिलिवरी पीरियड ग्राहकों के लिए परेशान करने वाला था। और साथ ही इसका इंटीरियर एर्गोनॉमिक्स भी बहुत बुरा था। आखिरकार 780 से कुछ कम यूनिट ही बिक पायी।
लेम्बोर्गिनी कून्ताश (Lamborghini Countach)
इस कार को एक नजर देखने के बाद ही आप समझ जाएंगे कि आखिर क्यों यह 1980 के दशक में पोस्टर कार बनी रही। इस तरह की कार पहले किसी ने नहीं देखी थी। 40 इंच से जरा सी ऊंची, कैंची के आकार में खुलने वाले दरवाजे और कोणीय स्टाइल, अपने समय से काफी आगे की बात करता था। और जल्द ही दुनिया भर के अमीर और मशहूर लोग इस कार के दीवाने हो गए।
इस कार में 455 बीएचपी की शक्ति वाला 5.2 लीटर का वी12 इंजन लगा था। इसे 1971 में जेनेवा मोटर शो में दिखाया गया। और 1966 में म्यिूरा के विपरीत इसने दुनिया को आवाक नहीं किया। कून्ताश की बिक्री प्रभावी रही। 1974 से 1990 तक के अपने निर्माण काल में इस कार की 1840 यूनिट बिकीं।
लेम्बोर्गिनी हँल्पो (Lamborghini Jalpa)
लेम्बोर्गिनी हँल्पो जिसका उच्चारण ("Hall-Puh") किया जाता था का लंबा पुश्तैनी इतिहास रहा। यह लेम्बोर्गिनी के सिल्ह्युएट (Lamborghini Silhouette) के आधार पर बनायी गयी। जो वास्तव में लेम्बोर्गिनी उराको सिल्ह्युएट की तर्ज पर बनी थी, और जो कार 1973 की लेम्बोर्गिनी उराको पर आधारित थी।
अपने आप में यह कार काफी मशहूर हुई। हँल्पो 7.3 सेकेंड में ही 60 मील प्रति घंटे की रफ्तार हासिल कर सकती थी। इसकी टॉप स्पीड 161 मील प्रतिघंटा थी। यह लेम्बोर्गिनी की सबसे कामयाब वी8 मॉडल साबित हुई। निर्माण बंद होने तक इस कार की 420 यूनिट बिकीं।
लेम्बोर्गिनी एलएम002 (Lamborghini LM002)
क्या कार थी। जी, लेम्बोर्गिनी ने यूरस कांसेप्ट से पहले एक एसयूवी भी बनायी थी। उस वक्त के लिए इस कार को काफी उग्र माना गया। रेंबों लैंबो लेम्बोर्गिनी की बनायी पहली फोर-व्हील ड्राइव कार थी।
एलएम002 चीता प्रोटोटाइप पर आधारित थी। लेम्बोर्गिनी ने इस कार का निर्माण 1977 में किया। कंपनी को उम्मीद थी कि अमेरिकी सेना इस कार को काफी पसंद करेगी। जहां वास्तविक कार में इंजन पीछे की ओर दिया गया था, वहीं काफी जांच के बाद इसे बदलकर आगे की ओर कर दिया गया।
यह विशाल एसयूवी में रन-फ्लैट पेरेली स्कॉरपियन टायर थे। इसका कोणीय स्टाइल और ट्यूबर बंपर भी इसे अलग अंदाज देता था। लेकिन शायद इस कार की सबसे बड़ी खूबी लेम्बोर्गिनी कून्ताश वी12 का शक्तिशाली इंजन होता है।
Picture credit: Wiki Commons -
लेम्बोर्गिनी डीआब्लो (Lamborghini Diablo)
इस कार का निर्माण 1990 से 2001 के बीच किया गया। यह लेम्बोर्गिनी की पहली कार थी जो 200 मील प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार हासिल कर सकी थी। डीआब्लो का अर्थ स्पैनिश में 'शैतान' होता है।
इस कार का नाम डीआब्लो क्यों पड़ा इसके पीछे रोचक इतिहास है। मर्चेलो गंडिनी, जिन्होंने कंपनी की कई कारें डिजाइन की थीं, को डीआब्लो डिजाइन करने के लिए अनुबंधित किया गया था। हालांकि, जब 1987 में क्रास्लर ने कंपनी की बागडोर अपने हाथों में ली, तो प्रबंधन उस समय अपनाये जा रहे डिजाइनों के स्टाइल से खुश नहीं था। इस बात को लेकर गंडिनी भी काफी नाराज थे। कार के डिजाइन को आखिरकार काफी हल्का किया गया। हालांकि उनका असली डिजाइन बागी वी16 इंजन से लैस सीज़ीटा मोरोडर (Cizeta Moroder) में नजर आया। खैर, डीआब्लो को दुनिया भर में काफी अजीब रिव्यू मिले। इस मशहूर कार की 2989 यूनिट बिकीं।
लेम्बोर्गिनी मुचीलागो (Lamborghini Murcielago)
लेम्बोर्गिनी इतालवी ऑटोनिर्माता का 11 बरस में पहला नया डिजाइन था। अपनी नयी मूल कंपनी ऑडी, जो फौक्सवेगन की कंपनी है, के अंडर भी यह पहली कार थी। इस लेम्बोर्गिनी का नाम बहादुर लड़ाकू सांडों के नाम पर रखा गया, जिनका जीवन वास्तव में मैटडॉर द्वारा बख्शी गयी थी।
मुचीलागो एक टू-सीटर कार थी, यह ऑल व्हील ड्राइव, सुपर-कूप आकार की इस कार की ऊंचाई बामुश्किल चार फुट थी। इसमें वी12 इंजन लगा था, जो 572 बीएचपी की दमदार शक्ति देता था। यह कार तकनीकी रूप से भी काफी उन्नत थी। इसमें एक्टिव रियर इंटेक व स्पाइलर और हाई एरोडायनेमिक कूलिंग और रियर डिफरेंशियल को इंजन यूनिट के साथ जोड़ा गया था।
लेम्बोर्गिनी गैलार्डो (Lamborghini Gallardo)
गैलार्डो कंपनी का सबसे कामयाब मॉडल है। इस मॉडल के 14022 यूनिट का निर्माण हुआ है। पहली जनेरेशन गैलार्डो में 5.0 लीटर का वी10 इंजन लगा था। जिसमें ट्रांसमिशन के दो विकल्प मौजूद थे। एक छह स्पीड का मेनुअल ट्रांसमिशन और दूसरा छह स्पीड का इलेक्ट्रो-हायड्रालिकली नियंत्रित पैडल शिफ्ट अथवा 'ई-गियर' ट्रांसमिशन।
इस कार का निर्माण 2003 से 2014 के बीच किया गया। 2006 में इसके स्पाइडर मॉडल को लॉन्च किया गया, जिसमें पूरी तरह से हटायी जा सकने वाली छत का विकल्प था। गैलार्डो कांपेक्ट और अपने मकसद को सिद्ध करती कार लगती थी। इसमें बड़े एयर डैम्स, साफ और स्वच्छ डिजाइन, और कम ऊंचाई को देखकर आप इसकी रफ्तार का अंदाजा लगा सकते हो। इस कार के 2013 एलपी550-2 मॉडल्स की इंजन क्षमता 550 बीएचपी है।
लेम्बोर्गिनी अवेंटाडोर (Lamborghini Aventador)
2011 के जेनेवा मोटर शो में दुनिया ने पहली बार अवेंटाडोर को देखा। इस कार को दस वर्ष पुरानी मुचीलागो (Murcielago) की रिप्लेसमेंट के तौर पर आयी थी। यह कार लिमिटेड-एडिशन रेवेंटन और एस्टोर्क कॉन्सेप्ट से काफी प्रभावित थी।
इस कार में 6.5 लीटर का शक्तिशाली वी12 इंजन लगा था, जो 690 बीएचपी की शक्ति देता है। 0 से 100 तक की रफ्तार यह कार महज 2.9 सेकेंड में हासिल कर लेती थी। इस कार की आधिकारिक टॉप स्पीड 350 किलोमीटर प्रति घंटा थी।
और अंत में
इस आर्टिकल में वर्णित अधिकतर लेम्बोर्गिनी कमजोर दिल वालों के लिए नहीं थी। इनमें आज की ड्राइविंग के लिए जरूरी माने जाने वाले ईएसपी, एबीएस और यहां तक कि ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन भी नहीं थे। और इन शानदार मशीनों को संभालने के लिए आपको एक हुनरमंद ड्राइवर होना पड़ेगा।
मौजूदा मॉडल्स में सब नयी तकनीक व खूबियां मौजूद हैं, लेकिन इसके बावजूद आज भी लोग कून्ताश का सपना देखते हैं। दुख की बात है कि स्पोर्ट्स कार में मेनुअल ट्रांसमिशन जल्द ही इतिहास बन जाएगा।