जाते जाते हिन्‍दुस्‍तान की अम्‍बेस्‍डर को सलाम

By Saroj Malhotra

आठ बज चुके थे और सुमित भद्रा का दिन भर का काम बस निपटने ही वाला था। कोलकाता की सड़कों पर बीते 23 बरसों से टैक्सी चलाते हुए सुमित का मार्क IV अम्‍बेस्‍डर कार से अद्वितीय विश्वास भरा रिश्ता बन गया था। कई अन्य टैक्सी चालकों ने नये जमाने की सेंट्रो और अल्टो जैसी कारों का दामन थाम लिया। लेकिन, सुमित की वफादारी अम्‍बेस्‍डर के साथ बनी रही। राइड क्वालिटी और यात्री के लिए आरामदेह सफर के मामले में कोई दूसरी कार अम्‍बेस्‍डर का मुकाबला नहीं कर सकती।

सुमित ने अभी उस दिन अखबार में पढ़ा कि हिन्दुस्तान मोटर्स ने अम्‍बेस्‍डर कार का निर्माण बंद कर दिया है। कंपनी अब इस कार का निर्माण नहीं करेगी। इस खबर ने सुमित को उदास कर दिया। उसकी उदासी की वजह यह नहीं है कि कार का निर्माण बंद होने के बाद उसे पुर्जे मिलने में परेशानी आएगी। वह जानता है कि स्पेयर पार्ट्स तो लंबे समय तक मौजूद रहेंगे। उसकी चिंता दूसरी है। उसे डर है कि अब वो दिन भी दूर नहीं जब अम्‍बेस्‍डर टैक्सी की दुनिया से भी बाहर हो जाएगी। अपने दिमाग में इसी वैचारिक कशमकश के बीच सुमित ने दिन की अपनी आख‍िरी सवारी से किराया लिया और अपने घर के 45 मिनट के सफर पर निकल पड़ा।

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अम्‍बेस्‍डर को सलाम...

कहानी अगले हिस्से में जारी रहेगी।

Picture credit: Flickr

Scalino

अम्‍बेस्‍डर को सलाम...

सुमित की पत्नी, मीना, शहर से बाहर अपनी मां से मिलने गयी थी। इसलिए आम दिनों की तरह रात का खाना तैयार नहीं था। सुमित ने बाहर से लाये चावल, दाल और पापड़ का पार्सल खोला और एक छोटे से टीवी के सामने भोजन करने बैठ गया। समाचार देखने के बाद सुमित यूं ही चैनल बदलने में लगा था कि अचानक एक तस्वीर देखकर वह ठिठक गया। यह अम्‍बेस्‍डर की तस्वीर थी, यह क्या हुआ।

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Henry

अम्‍बेस्‍डर को सलाम...

यह कार के लिए किसी श्रद्धांजलि शो की तरह था, सुमित इसे देखकर भीतर ही भीतर मुस्कुराने लगा। अम्‍बेस्‍डर के कुछ उससे भी बड़े दीवाने मौजूद थे। और कार से 23 साल पुराने उसके साथ ने उसे भी एक प्रकार का विशेषज्ञ बना दिया था। उसे याद था कि जब उसने अपना काम करने का फैसला किया, तो अपने मालिक से टैक्सी खरीदते समय उसे कितनी मशक्कत करनी पड़ी थी। कितना मुश्क‍िल वक्त था वो। सुमित ने जग से एक घूंठ पानी पिया और टीवी की आवाज बढ़ा दी।

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Greg O'Bierne

अम्‍बेस्‍डर को सलाम...

एक भारी आवाज कहानी बयां करना शुरू करती है, "अगर किसी कार को भारतीय कारों के पुरोधा की संज्ञा दी जा सकती है, तो बिना शक वह हिन्दुस्तान मोटर्स की अम्‍बेस्‍डर है। कुछ ही बरसों पहले की तो बात है, अम्‍बेस्‍डर भारत में कार का पर्याय हुआ करती थी। फिर चाहे वो मध्यमवर्गीय भारतीय परिवार हो या फिर उच्च सरकारी अध‍िकारी अम्‍बेस्‍डर सबकी पसंद होती। हालांकि इसका डिजाइन पुराने जमाने का हो चुका था और कार की अवधारणा भी 1950 के दशक की थी। नये जमाने की इस दौड़ में अम्‍बेस्‍डर पिछड़ती चली गई। और इसकी प्रतिद्वंदियों ने इसे बाजार से बाहर कर दिया। 56 साल बाद इस शानदार कार के निर्माण का सफर आख‍िर थम गया।"

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Poco a poco

अम्‍बेस्‍डर को सलाम...

सुमित ने सोचा, "इस कार्यक्रम को देखना वाकई अच्छा अनुभव रहा।"

"भले ही हिन्दुस्तान मोटर्स यह दावा करे कि अपने पूरे सफर में कार लगातार विकसित होती रही, लेकिन वास्तविकता यह है कि अम्‍बेस्‍डर 1950 के दशक से ही लगभग अपरिवर्तित ही रही। बदलाव के नाम पर इसमें इंजन में एक दो बार और बॉडी में थोड़ी बहुत तब्दीली की गई। लेकिन, इन बदलावों के बावजूद कार के मूल रूप-रंग में कोई बदलाव नहीं आया। एक समय पर यह भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार थी। इसका निर्माण पश्चिम बंगाल के उत्तरपुरा में अपनी पूरी क्षमता के साथ होता था। 1800 आईएसजेड इंजन के साथ एम्बी देश की सबसे तेज रफ्तार कार हुआ करती थी। सच में।"

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Tatiraju.rishabh

अम्‍बेस्‍डर को सलाम...

सुमित इस सच्चाई को जानता था। उसे याद था कि कैसे अम्‍बेस्‍डर चलाने के बाद उस 1800 आईएसजेड इंजन का दीवाना हो गया था। कितनी फिट थी वह अम्‍बेस्‍डर। सुमित उस कार की शानदार परफॉरमेंस को याद कर रहा था। हालांकि, वह उस समय आर्थिक रूप से इतना सक्षम नहीं था कि उस कार को खरीद सके। आख‍िर वह पेट्रोल इंजन कार थी। वह ईंधन की खपत बहुत ज्यादा करती थी, जिसका खर्च उठाना हर किसी के बस में नहीं था। इस समय उसके पास 1 लाख 80 हजार किलोमीटर चल चुकी कार है, जो एक लीटर में करीब दस किलोमीटर दौड़ लेती है।

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अम्‍बेस्‍डर को सलाम...

कहानीकार ने बात आगे बढ़ाई, "पहली अम्‍बेस्‍डर में साइड-वॉल्व इंजन था जो 35 बीएचपी से कुछ अध‍िक की शक्ति देता था। वहीं अंतिम कारों में 2000 सीसी का डीजल और 1800 सीसी का पेट्रोल इंजन लगा हुआ था, जो क्रमश: 56 और 75 हॉर्स पॉवर की ताकत देते थे। ये दोनों इंजन सीएनजी के विकल्प के साथ भी आते थे। अम्‍बेस्‍डर की आधुनिक कार एविगोस काफी लक्जरी भी थी। जिसमें बकेट सीट, पावर स्टीयरिंग और एयर कंडीशनर जैसी खूबियां थीं।"

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अम्‍बेस्‍डर को सलाम...

सुमित सोच रहा था कि अम्‍बेस्‍डर के मूल स्थान के बारे में कोई चर्चा नहीं। वह जानता था कि अम्‍बेस्‍डर ब्रिटेन की मॉरिस ऑक्सफोर्ड III पर आधारित थी। वहीं पुरानी पीढ़ी की वह मील का पत्थर गाड़ी मॉरिस ऑक्सफोर्ड II से प्रभावित थी। सुमित को याद था कि कैसे उसे लैंडमास्टर में नीचे आते कर्व पिछले बूट यानी डिक्की की लाइन पसंद थी। नये जमाने की मार्क I अम्‍बेस्‍डर में डिक्की से यह लाइन गायब थी। पुरानी लैंडमास्टर के लिए उसके प्यार पर नयी एविगो के लिए उसकी नफरत भारी पड़ गयी। उसे लगता था कि नये स्टाइल ने अम्‍बेस्‍डर को उसकी रेट्रो आत्मा से दूर कर दिया है।

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अम्‍बेस्‍डर को सलाम...

टीवी पर डिटर्जेंट का एक विज्ञापन आ गया। सुमित उठा और बीड़ी पीने लगा। उसने एक बीड़ी जलायी और गहरा कश भरा। और उसके बाद वह छोटे सोफे पर बेफिक्री से बैठ गया।

वह खास कार्यक्रम दोबारा शुरू हो गया। "अम्‍बेस्‍डर की सबसे बड़ी खूबी इसका बड़ा आकार, पिछली सीट पर आरामदेह सफर और शानदार राइड क्वालिटी है। यहां तक कि भारत में मौजूद लक्जरी ऑटोमोबाइल कंपनियों ने अम्‍बेस्‍डर जैसे आरामदेह सफर की टक्कर लेने के लिए कड़ी मेहनत की है। अम्‍बेस्‍डर की इन्हीं खूबियों ने इसे नियमित सफर करने वालों की पसंदीदा कार बना दिया। सच्चाई तो यह है कि कोलकाता में ज्यादातर टैक्सियां अब भी अम्‍बेस्‍डर हैं। और ऐसा लगता है कि कुछ समय तक यह तस्वीर बदलने वाली नहीं है।" सुमित मुस्कुरा उठा, लेकिन उसके माथे पर श‍िकन की लकीरें भी साफ देखीं जा सकती थीं।

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अम्‍बेस्‍डर को सलाम...

कार्यक्रम अपनी समाप्ति की ओर बढ़ रहा था और बड़े विश्वास के साथ सार पेश किया, "आज की पीढ़ी के लोगों में से ज्यादातर ने कम से कम एक बार या तो अम्‍बेस्‍डर चलायी होगी या उसकी सवारी तो जरूर की होगी। इसलिए अम्‍बेस्‍डर की कम होती संख्या को देखकर दुख होना लाजमी है। बेशक, अम्‍बेस्‍डर पुरानी पड़ चुकी थी और उससे कहीं बेहतर आधुनिक कारें, बाजार में कम कीमत पर मौजूद हैं। हम सब जानते थे कि अंत नजदीक आ रहा है, लेकिन हम यह भी जानते हैं कि शानदार अम्‍बेस्‍डर लंबे समय तक हमारी यादों में बनी रहेगी।"

सुमित ने टीवी बंद किया और दिन की अपनी आख‍िरी बीड़ी सुलगाई। वह सोच रहा था कि उसके जैसे टैक्सी ड्राइवरों पर अम्‍बेस्‍डर के भविष्य का क्या असर होगा। "हमें इसकी आदत हो जाएगी, हमें हमेशा से हो जाती है", सुमित ने खुद को सांत्वना देते हुए कहा।

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Lavannya

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English summary
Read our unique tribute to the Hindustan Ambassador. Browse the history of the Hindustan Ambassador, a popular car in India that is now out of production.
 
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