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वोल्वो जैसी बसों में यात्रा के दौरान ध्यान रखें ये बातें
"मोबाइल फोन के अलार्म से मेरी आंख खुली, सुबह के 4 बजकर 45 मिनट हो रहे थें। हर रोज इसी समय मैं उठकर दिन की पहली नमाज पढ़ता था। उसी वक्त मुझे बस के पिछे से एक धमाके की आवाज सुनाई दी। इससे पहले मैं कुछ समझ पाता बस के पिछले हिस्से से आग की लपटे उठने लगीं। मैं बुरी तरह घबरा गया था, मैनें लोगों को उठाने की कोशिश की लेकिन सभी लोग सो रहें थें। मैने जल्दबाजी में बस में लगे हथौड़े से बस का कांच तोड़ा और बाहर कूद गया"
ये किसी फिल्म का क्लाइमेक्स नहीं, बल्कि बैंगलूरू के एक खुशकिस्मत इंसान सैयद की जबानी है। बीते दिनों हैदराबाद जा रही वोल्वो बस में जो हादसा हुआ वो बेहद ही दर्दनाक था। इस हादसे में लगभग 42 लोगों की मौत हो गई, वहीं 7 लोग अपनी जान बचाने में कामयाब हो पायें। बैंगलूरू के बनशंकरी निवासी सैयद हाफिज भी उन्हीं 7 लोगों में से एक थें।
वोल्वो
जैसी
लग्जरी
बसों
में
सफर
का
चलन
हमारे
यहां
तेजी
से
बढ़
रहा
है।
आज
के
समय
में
लोग
लंबी
दूरी
के
लिये
ऐसी
ही
बसों
को
चुनते
हैं,
क्योंकि
उन्हें
आसानी
से
सीट
भी
मिल
जाती
है
और
साथ
ही
आरामदेह
सफर
भी।
लेकिन
ऐसा
पहली
बार
हुआ
है
कि,
चलती
हुई
बस
आग
का
गोला
बन
गई
और
एक
साथ
42
लोग
काल
के
गाल
में
समा
गयें।
आज
हम
आपको
अपने
इस
लेख
में
ऐसे
बसों
में
सफर
करने
के
दौरान
किन
बातों
का
ख्याल
रखना
चाहिये
इसके
बारें
में
बतायेंगे→
आगे नेक्स्ट स्लाईड पर क्लिक करें और जानें, वोल्वो जैसी बसों में यात्रा करने के दौरान किन बातों पर ध्यान रखना चाहिये →
वोल्वो जैसी लग्जरी फिचर्स वाली बसों में सीट बेल्ट को शामिल किया जाता है। अमूमन लोग, यात्रा के दौरान सीट बेल्ट पहनने से कतराते हैं। लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं है, जी हां, हाईवे पर तेज रफ्तार के दौरान अचानक ब्रेक लगाने से यात्री अपनी जगह से आगे की तरफ झुक जाता है। ऐसी दशा में आपको चोट लग सकती है। तो सीट बेल्ट बांधना ना भूलें।
हालांकि, इस बारें में सरकार की तरफ से भी आये दिन प्रचार किया जाता है कि, यात्रा के दौरान विस्फोटक या फिर ज्वलनशील वस्तुयें ना ले जायें। याद रखें- मुल्यवान वस्तुओं को समेटें, ना कि मौत के सामान को। गैस सिलेंडर, पटाखे, स्टोव, एसिड इत्यादी जैसी वस्तुयें यात्रा के दौरान ना ले जायें।
यात्रा के दौरान कभी भी अपने सामान बस में, सीट के नीचे या फिर अन्य जगहों पर ना रखें। ध्यान रखें कि, बस के अंदर ऐसे बैग आदि हों जिसे आप आसानी से कैरी कर सकें, जैसे हैंड बैग आदि।
यात्रा के दौरान बच्चों पर विशेष ध्यान दें, उन्हें ऐसी जगह पर बैठायें जहां उन पर आपकी पूरी नजर बनी रहे। उन्हें कत्तई अकेला ना छोड़ें। किसी भी आपात स्थिती में बच्चों को सबसे पहले बस से बाहर निकालें।
ये शायद थोड़ा मुश्किल है, लेकिन कोशिश करें कि यात्रा के दौरान बस में खड़ा ना होना पड़े। खैर ऐसा कोई नहीं चाहता है कि उसे खड़े होकर यात्रा करनी पड़े लेकिन मजबूरी में लोग ऐसा करते हैं। लेकिन इस दौरान सजग रहें, और अचानक ब्रेक लगने पर खुद को संभाल कर रखें।
आपको बता दें कि, ऐसी बसों में कुल तीन आपात द्वार (इमरजेंशी गेट) होते हैं। पहला द्वार बस के मध्म में होता है, दूसरा बस के पिछे की तरफ और तीसरा बस की छत पर होता है। तो हमेशा अपने दिमाग में इस बात को रखें और आपात स्थिती में तत्काल इमरजेंसी गेट को खोले और साथी यात्रियों को भी इससे अवगत करायें।
ये बस की छत पर लगा हुआ इमरजेंसी एक्जिट प्वाइंट होता है। जब भी आप कभी बस में सफर करें तो बस के सहचालक से इस दरवाजे को खोलने के बारें में जानकारी जरूर हासिल कर लें। यात्रा के दौरान कम से कम एक यात्री को इसके बारें में जानकारी जरूर होनी चाहिये।
ऐसा देखा जाता है कि, बसों में अग्निशमन यंत्र लगे होते हैं, लेकिन वक्त पड़ने पर वो काम नहीं करते। ऐसी दशा में सरकार और जनता दोनों को सजग रहना चाहिये। आप एक यात्री के साथ ही जिम्मेदार नागरिक भी हैं, यदि आपको लगता है कि ये यंत्र सही नहीं है तो इसके बारें में सहचालक से शिकायत करें। इसके अलावा बस में किसी भी प्रकार की आग आदि लगने की स्थिती में घबराये नहीं, पहले अग्निशमन यंत्र का प्रयोग करें। यदि स्थिती नियंत्रित न हो तो अगला कदम उठायें।
बस में इमरजेंसी खिड़की के पास एक हथौड़ा लगा हुआ होता है, किसी भी आपात स्थिती में तत्काल हथौड़े का प्रयोग करते हुये खिड़की को तोड़ें और बाहर निकलें।
यात्रा के दौरान अपने परिजनों सगे संबधियों को यात्रा के बारें में अवगत जरूर करायें। इतना ही नहीं, उन्हें थोड़े समय के अंतराल पर वास्तविक जगह के बारें में भी जरूर बतायें।
यदि बस का चालक, तेज गति से बस चला रहा है तो उसे रोके और धीमें चलाने को कहें। यदि वो ऐसा नहीं करता है तो इस में डिपो से सम्पर्क करने के लिये एक नंबर होता है उस पे फोन करें और शिकायत दर्ज करायें।
यदि बस चालक ठीक प्रकार से ड्राइविंग कर रहा है तो, उसे बेवजह बातें ना करें उसे डिस्ट्रैक्ट ना करें।
अभी हमने इस लेख में आपको क्या करना चाहिये, ये बताया है। अगले लेख में हम सरकार और बस कंपनियों को क्या सावधानी बरतनी चाहियें ये बतायेंगे। यदि आपको हमारा ये लेख पसंद आया हो तो इसे फेसबुक, ट्वीटर या फिर गूगल प्लस पे साझा करना ना भूलें। हमें आपके सहयोग की अपेक्षा है।