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बंद हुआ अम्बेस्डर का निर्माण, ख़त्म हुआ इतिहास का एक अध्याय
अम्बेस्डर भारतीय पहचान का एक हिस्सा है। आप किसी नेता के बारे में सोचते हैं, तो आप उसकी कल्पना एक सफेद अम्बेस्डर के साथ जोड़कर कर सकते हैं। जब आप आरामदेह टैक्सी के बारे में सोचते हैं, तो आप किसी और कार की अपेक्षा अम्बेस्डर को तरजीह देते आए हैं। लेकिन, अब इस कार की निर्माता कंपनी ने इसका निर्माण बंद करने का फैसला किया है।
आइकॉनिक अम्बेस्डर बनाने वाली कंपनी हिन्दुस्तान मोटर्स, ने अपने कर्मचारियों को कुछ दिन पहले यह खबर दी। एचएम सीके बिड़ला ग्रुप की कंपनी है, और उन्होंने अब अम्बेस्डर का निर्माण अनिश्चित काल के लिए बंद करने का फैसला किया है।
खबर है कि भारतीय आइकॉन कंपनी की भविष्य में भी इस कार के निर्माण की कोई योजना नहीं है और ऐसे में पश्चिम बंगाल के उत्तरपारा में प्लांट के 2500 कर्मचारियों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इस खबर ने हमें और एचएम के कर्मचारियों को करारा झटका दिया है, हालांकि एक न एक दिन ऐसा होना तय माना जा रहा था।
हिन्दुस्तान मोटर्स ने अम्बेस्डर को मॉरिस ऑक्सफोर्ड प्लेटफॉर्म पर बनाया। और 1957 में अपने लॉन्च के बाद से इसमें आधुनिकता की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया। कंपनी ने वाहन के ओल्ड स्कूल और रेट्रो चॉर्म को बेचने की कोशिश की, जो ज्यादा कामयाब नहीं हुआ। और मारुति 800 जैसी कारों ने बढ़ते हुए बाजार में अपनी पैठ मजबूत कर ली और ग्राहकों की चहेती बन गयी।
हालांकि कंपनी ने अम्बेस्डर को सब-फोर मीटर अवतार में भी उतारने की योजना बनायी। हालांकि, यह कार कभी देखने को नहीं मिली और इसके बारे में केवल और केवल बातें होती रहीं। अम्बेस्डर कंपनी की ओर से बनाया जाने वाला इकलौता वाहन था और ऐसे में हैरानी होना लाजमी है कि कंपनी इसी वाहन में बाजार और ग्राहकों की मांग के अनुरूप सुधार नहीं कर सकी।
भारत में आज तमाम आधुनिक और लक्जरी कारें मौजूद हैं। और ऐसे में इस आधुनिकता की चकाचौंध में अम्बेस्डर कहीं खो गयी। कई अन्य वाहन निर्माओं ने कम कीमत पर बेहतर उत्पाद बाजार में उतारे। कारों की बिक्री लगातार नीचे आ रही थी, लेकिन बीते महीने की रिपोर्ट कंपनी के लिए डराने वाली थी। हिन्दुस्तान मोटर्स अप्रैल 2014 में केवल पांच अम्बेस्डर कारें बेच पायी।
हिन्दुस्तान मोटर्स को कई अन्य वाहन निर्माताओं से सीखना चाहिए था, जिन्होंने अपनी क्लासिक गाडि़यों को यूं ही जाया नहीं होने दिया। वे अपने वाहनों की मौलिकता को कायम रखते हुए उन्हें आधुनिक रूप देती रहीं। सबसे अच्छा उदाहारण फौक्सवेगन की बीटल, फिएट 500 और मिनी कूपर हैं। ये सब रेट्रो गाडि़यां हैं और इनमें आधुनिकता व रोचकता का तड़का लगाया गया है।