मारूति: मनेसर संयंत्र विवाद ने लिया खूनी रुप, एक अधिकारी जिंदा जला

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारूति सुजुकी के मनेसर संयंत्र में कंपनी प्रबंधन और श्रमिको के बीच विवाद एक बार फिर से शुरू हो गया है। इस बार इस विवाद ने खूनी रुप ले लिया है। प्लांट में बुधवार शाम श्रमिक और कंपनी प्रबंधन के बीच हिंसक टकराव हो गया इस दौरान विवाद इस कदर बढ़ गया कि कुछ भड़के हुए कर्मचारियों ने संयंत्र के एक सेक्‍सन को आग के हवाले कर दिया जिसमें एक अधिकारी जिंदा जल गया जिसकी मौके पर ही मौत हो गई।

संयंत्र में आग लगने के बाद कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच विवाद और गहरा गया और चारो-तरफ अफरा तफरी मच गई। इस दौरान स्‍थानीय लोगों ने इस बात की सूचना पुलिस को दी। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने पहले मामले को संभालने की कोशिश की लेकिन विवाद बढ़ जाने के कारण अंत में पुलिस को लाठियों का सहारा लेना पड़ा। इस दौरान मौके पर मौजूद लगभग 40 कर्मचारी घायल हो गये।

पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किये जाने के कारण कर्मचारी और भी नाराज हो गये और उन्‍होनें पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। श्रमिकों ने काफी संख्या में गाडिय़ों को तहस-नहस कर दिया। यहां तक कि प्रबंधन के कई अधिकारियों को बंधक बनाकर बुरी तरह पीटा। पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर अधिकारियों को छुड़ाया और आर्टमिस हास्पिटल में भर्ती कराया। घटना के बाद सभी श्रमिक वहां से फरार हो गए।

इस पुरे मामले पर श्रम विभाग का कहना है कि संयंत्र में मारूति सुजुकी के प्रबंधन और एक कर्मचारी के बीच विवाद हो गया था। जिसके बाद कई कर्मचारी अपना काम-काज ठप्‍प कर संयंत्र परिसर में बैठ गये। इस बात पर प्रबंधन ने एतराज जताया जिसके बाद प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच विवाद बढ़ गया। इसी दौरान नारात कर्मचारियों ने संयंत्र के एक सेक्‍सन में आग लगा दी। आग लगने के बाद मौके पर पुहंची पुलिस ने एक अधिकारी का शव मौके से बरामद किया है। इस समय मारूति के मनेसर संयंत्र ने प्रशासन ने कड़ा पहरा बैठा रखा है पुरा संयंत्र छावनी में तब्दिल हो गया है।

60 कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज:

मनेसर संयंत्र के यूनियन नेताओं सहित 60 कर्मचारियों के खिलाफ गुड़गांव पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है। वहीं संयंत्र में लगातार विवाद की स्थिती को ध्‍यान में रखकर कंपनी संयंत्र को बंद रखने का आदेश दिया है। मानेसर के एसएचओ ओम प्रकाश ने बताया, प्रबंधन ने कुछ यूनियन नेताओं के नाम दिए हैं । 60 कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है । उन्होंने बताया कि मामला हत्या, हत्या की कोशिश, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और भारतीय दंड विधान की अन्य धाराओं के तहत दर्ज किया गया है।

उनसे पूछा गया कि क्या मामले में कोई गिरफ्तारी हुई हैं तो उन्होंने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया लेकिन कहा कि कुछ कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है। कर्मचारी सूत्रों ने कहा कि सरकार के दखल देने और सभी दोषियों की गिरफ्तारी तक वे काम पर नहीं जाएंगे। कंपनी ने कल कहा था कि शाम में एक कर्मचारी के सुपरवाइजर को पीट देने के बाद हिंसा भड़क गई थी जबकि मजदूर संघ का कहना है कि सुपरवाइजर ने कर्मचारी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की जिसके बाद हिंसा शुरू हुई।

यूं शुरू हुआ विवाद का सिलसिला:

आपको बता दें कि बीते वर्ष अगस्‍त माह में मारूति के मनेसर संयंत्र पर कर्मचारियों और मारूति प्रबंधन के बीच विवाद का सिलसिला शुरू हुआ और 29 अगस्‍त को कर्मचारी हड़ताल पर चले गये। इस दौरान मारूति प्रबंधन ने कर्मचारियों पर आरोप लगाया कि वो कारों के उत्‍पादन में लापरवाही बरत रहें है, साथ ही साथ प्रबंधन के सुपरवाइजरों के साथ उनके व्‍यवहार को भी खराब बताया। इसी बीच मारूति के कुछ सुपरवाइजरों पर हमला भी किया गया। इसके बाद मारूति प्रबंधन ने कर्मचारियों को एक गुड कंडक्‍ट बांड पर हस्‍ताक्षर करने को कहा और हस्‍ताक्षर के बगैर संयंत्र में प्रवेश को निषेध कर दिया था।

खैर किसी तरह कंपनी प्रबंधन कर्मचारियों को मना कर फिर से उत्‍पादन कार्य शुरू किया था। लेकिन संयंत्र के कुछ कर्मचारियों के मन में अभी भी विवाद की चिंगारी सुलग रही थी। जिसने बीती रात उग्र रुप धारण कर लिया और विवादो का सिलसिला खूनी रुप ले लिया। आपको बता दें कि बीते वर्ष मारूति को मनेसर संयंत्र में लगातार हुए हड़ताल और विवाद के कारण लगभग 650 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा था। इस दौरान कंपनी की बिक्री और उत्‍पादन दोनों पर बुरा असर पड़ा था। एक बार फिर से कंपनी उसी रास्‍ते पर आ खड़ी है, और उत्‍पादन कार्य बंद है।

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Hindi
English summary
Even as Maruti Suzuki recovers from the damage caused by the spate of strikes at its Manesar plant, again, workers and management representatives were involved in a scuffle which later became a physical fight in which one person was killed and at least 40 were injured.
 
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